श्री गजानन आरती PDF

श्री गजानन आरती PDF हिन्दी

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Shri GaneshAarti (आरती संग्रह)हिन्दी

|| आरती || जय जय सतचित स्वरूपा स्वामी गणराया। अवतरलासी भूवर जड मुढ ताराया॥ || जयदेव जयदेव || निर्गुण ब्रह्म सनातन अव्यय अविनाशी। स्थिरचर व्यापून उरलें जे या जगताशी॥ तें तूं तत्त्व खरोखर निःसंशय अससी। लीलामात्रें धरिलें मानव देहासी॥ || जयदेव जयदेव || होऊं न देशी त्याची जाणिव तूं कवणा। करूनी गणि गण गणांत बोते...

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श्री गजानन आरती
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