नाग पंचमी पर, सर्प देवताओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए विशेष आरती की जाती है। यह आरती नागों के पूजन को पूर्णता देती है, जिसमें भक्तगण उनके शांत स्वरूप और कृपा के लिए आभार व्यक्त करते हैं।
आरती में नाग देवता की शक्ति और शुभता का गुणगान होता है। ‘ओम जय जगदीश हरे’ की तर्ज पर गाई जाने वाली यह आरती, नागों से सुरक्षा और कल्याण की प्रार्थना करती है। भक्त मानते हैं कि आरती करने से कालसर्प दोष, भय और सर्प दंश का खतरा दूर होता है, तथा घर में धन-धान्य और शांति बनी रहती है।
|| श्री नाग पंचमी आरती (Naag Panchmi Aarti PDF) ||
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
|| इति श्री नाग पंचमी आरती ||
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