श्री तारा देवी को समर्पित यह चालीसा उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चालीसा 40 छंदों का एक भक्तिमय स्तोत्र है जो देवी की महिमा और शक्ति का गुणगान करता है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति, शक्ति और सुरक्षा मिलती है।
यह चालीसा भक्तों को मां तारा देवी के करीब लाता है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। वे ज्ञान, मुक्ति और सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती हैं। जो लोग ध्यान, साधना या तांत्रिक मार्ग पर हैं, उनके लिए यह चालीसा विशेष रूप से लाभकारी है।
|| श्री तारा देवी चालीसा (Tara Devi Chalisa PDF) ||
|| दोहा ||
जय तारा जगदम्ब जै
जय कृपाद्रष्टि की खान।
कृपा करो सुरेश्वरि
मोहि शरण तिहारी जान।।
|| चौपाई ||
माता तुम ही जगत की पालन हारी
तुम ही भक्तन कि भयहारी।
तुम ही आदिशक्ति कलिका माइ
तुम ही सन्त जनों की सुखदायी।
तारणी तरला तन्वी कहलाती
निज जनो की मंगलदाता कहलाती।
तारा तरुणा बल्लरी तुम ही
तीररुपातरी श्यामा तनुक्षीन हो तुम ही।
बामा खेपा की पालन कर्त्री
माँ तुम ही कहलाती हो सिद्धि दात्री।
माता रूप तुम्हारा अति पावन
भक्तन की हो तुम मनभावन।
तुमसे इतर नहीं कछु दूजा
तुम हो सुर-नर मुनि जन की भूपा।
तुम ही माता नागलोक मे बसती
जन-जन की विपदा हरती।
तुम ही माता कहलाती प्रलयंकारी
सकल त्रैलोक्य की भयहारी।
माँ तुमने ही शिव प्राण बचाये
तुम्हरे सुमिरन से विष पार ना पाए।
दस महाविद्या क्रम मे तुम आती
द्वितीय विद्या तुम कहलाती।
माता तुम ही सरस्वती कहलाती
तुम ही हो ज्ञान की अधिष्ठात्री।
नील सरस्वती है नाम तिहारो
चहूँ लोक फैलो जगमग उजियारो।
श्मशान प्रिय श्मशाना कहलाती
एकजटा जगदम्बा कहलाती।
माता शिव तुम्हरी गोद विराजे
मुण्डमाल गले मे अति साजे।
बाम मार्ग पूजन तुम्को अति प्यारा
शरणागत की तुम हो सहारा।
वीरभूमि कि माता तुम वासिनी
तुम ही अघोरा तुम ही विलासिनी।
तुम्हरो चरित जगत आधारा
तुमसे ही माँ चहुँ दिशि उजियारा।
तुम्हरो चरित सदा मै गाउं
तुमहि मात रूप मे पाऊं।
चिंता सगरी हरो महतारी
तुम्हरो आसरा जगत मे भारी।
तुरीया तरला तीव्रगामिनी तुम ही
नीलतारा उग्रा विषहरी भी तुमही।
तुम परा परात्परा अतीता कहलाती
वेदारम्भा वेदातारा कहलाती
अचिन्तयामिताकार गुणातीता
बामाखेपा रक्षिता बामाखेपा पूजिता।
अघोरपूजिता नेत्रा नेत्रोत्पन्ना तुमहि
दिव्या दिव्यज्ञाना भी तुमहि।
सब जन मन्त्र रूप तुमहि माँ जपहि
त्रीं स्त्रीं रूप का ध्यान सब धरहिं ।
मुझ पर माँ कृपाल हो जाओ
अपनी कृपा का अमिय जल बरसाओ।
काली पुत्र निशदिन तुम्हे मनावे
निश-वासर माँ तुमको ध्यावे।
खडग खप्पर तुम्हरे हस्त विराजे
खष्टादश तुम्हरी कळा अति साज़े।
तुमने माता अगम्य चरित दिखलायो
अक्षोभ ऋषि को मान बढ़ायो।
माता तारा मोरे हिय आय विराजो
नील सरस्वती बन साजो।
तुम ही भक्ति भाव की अमित सरूपा
अखिल ब्रह्माण्ड की भूपा।
बिन तुम्हरे नहि मोक्ष अधिकार
तुमसे है माता जगत का बेङा पार।
आकर मात मोहि दरस दिखाओ
मम जीवन को सफल बनाओ।
रमाकांत है तुम्हारि शरण मे
दीजो माता मोहि जगह चरण मे।
जो मन मन्दिर मे तुमहि बसावे
उसका कोई बाल न बांका कर पावे।
तुम्ही आदि शक्ति जगदीशा
ब्रह्मा विष्णु शिव सब नवायें शीशा।
तुम ही चराचर जगत कि पालनहारी
तुम ही प्रलय काल मे नाशनकारी।
जो नर पढ़ें निरन्तर तारा चालीसा
बिनश्रम होए सिद्ध साखी गौरीशा।
जो नर-सुर मुनि आवे तुम्हरे धामा
सफल होयें उनके सब कामा।
जय जय जय माँ तारा
दीन दुखियन की तुम हो मात्र सहारा।
|| दोहा ||
निशदिन माता तारिणी
तुम्हे नवाऊँ माथ ।
हे जगदम्ब दीज्यो
मोहि सदा तिहारो साथ । ।
बिन तुम्हरे इस जगत मे
नहि कोइ आलम्ब ।
तुमही पालनहार हो
दक्षिणवासिनी जगदम्ब । ।
|| श्री तारा देवी चालीसा पाठ की विधि ||
किसी भी पूजा या अनुष्ठान की तरह, चालीसा पाठ के लिए भी कुछ विशेष नियम और विधियाँ हैं:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्य उदय से पहले) या शाम को संध्या काल में पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है। एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जहाँ कोई बाधा न हो।
- एक साफ आसन लें। देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले, खुद को स्वच्छ करें और साफ वस्त्र पहनें। आसन पर बैठकर मां तारा देवी का ध्यान करें।
- ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अब, चालीसा का पाठ शुरू करें। पाठ करते समय पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता बनाए रखें।
- पाठ समाप्त होने के बाद, देवी को धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- अंत में, मां से अपनी मनोकामना पूरी करने और जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
|| श्री तारा देवी चालीसा पाठ के लाभ ||
श्री तारा देवी चालीसा का नियमित पाठ कई तरह से लाभकारी है:
- माँ तारा देवी ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं। उनके चालीसा का पाठ करने से शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- यह चालीसा जीवन की सभी बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में सहायक है।
- जो लोग मोक्ष या मुक्ति की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह चालीसा आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने में मदद करता है।
- इसके पाठ से असाध्य रोगों और अज्ञात भय से छुटकारा मिलता है।
- ज्योतिषीय दृष्टि से यह चालीसा ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने में भी मदद कर सकता है।
- hindiश्री सम्मेद शिखर चालीसा
- hindiविन्ध्येश्वरी चालीसा
- hindiश्री चंडी चालीसा
- hindiज्वाला देवी चालीसा
- hindiश्री नैना देवी चालीसा
- englishShri Vindhyeshwari Chalisa
- englishShri Tara Devi Chalisa
- hindiश्री दुर्गा चालीसा
- tamilஶ்ரீ துர்கா சாலீஸா
- malayalamശ്രീ ദുര്ഗാ ചാലീസാ
- punjabiਸ਼੍ਰੀ ਦੁਰ੍ਗਾ ਚਾਲੀਸਾ
- kannadaಶ್ರೀ ದುರ್ಗಾ ಚಾಲೀಸಾ
- assameseশ্ৰীদুৰ্গা চালীসা
- gujaratiશ્રી દુર્ગા ચાલીસા
- teluguஶ்ரீ து³ர்கா³ சாலீஸா
Found a Mistake or Error? Report it Now
Download श्री तारा देवी चालीसा MP3 (FREE)
♫ श्री तारा देवी चालीसा MP3