रामायण आठो काण्ड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य “श्रीरामचरितमानस” का संपूर्ण रूप है। यह ग्रंथ भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन, उनके आदर्श चरित्र और लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। श्रीरामचरितमानस को सात काण्डों में विभाजित किया गया है, लेकिन इसे “आठो काण्ड” के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें श्रीराम के संपूर्ण जीवन का गूढ़ वर्णन है।
गोस्वामी तुलसीदास 16वीं शताब्दी के महान संत और कवि थे। उनका जीवन भगवान श्रीराम की भक्ति में समर्पित था। उन्होंने “श्रीरामचरितमानस” के साथ-साथ कई अन्य ग्रंथों की रचना की, जो आज भी भक्ति साहित्य का अमूल्य हिस्सा हैं।
रामायण आठो काण्ड पुस्तक की विशेषताएं
- आठो काण्डों का वर्णन– इस पुस्तक में भगवान श्रीराम के जीवन को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है:
- बालकाण्ड: श्रीराम के जन्म, उनकी बाल लीलाओं और विश्वामित्र के साथ वन गमन की कथा।
- अयोध्याकाण्ड: राजा दशरथ द्वारा श्रीराम को वनवास और अयोध्या का विरह।
- अरण्यकाण्ड: वन में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के निवास और राक्षसों का विनाश।
- किष्किन्धाकाण्ड: सुग्रीव से मित्रता और वानर सेना का गठन।
- सुन्दरकाण्ड: हनुमानजी की लंका यात्रा और सीता माता का पता लगाना।
- लंकाकाण्ड: रावण का वध और श्रीराम की विजय।
- उत्तरकाण्ड: अयोध्या में श्रीराम का राज्याभिषेक और लोक कल्याणकारी शासन।
- मंगलकाण्ड: भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र और उनकी कृपा से प्राप्त मोक्ष।
- यह ग्रंथ भक्ति और काव्य का अद्भुत संगम है। गोस्वामी तुलसीदास ने सरल अवधी भाषा में इसे लिखा, ताकि हर वर्ग के लोग इसे पढ़ सकें और श्रीराम की भक्ति में लीन हो सकें।
- “रामायण आठो काण्ड” में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ मानव जीवन के आदर्श मूल्यों जैसे सत्य, धर्म, कर्तव्य, और समर्पण की शिक्षा देता है।
- यह ग्रंथ केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रतिबिंब है। इसमें परिवार, समाज, और धर्म के प्रति कर्तव्यों का वर्णन है।
- यह ग्रंथ बच्चों से लेकर वृद्धों तक, हर आयु वर्ग के लिए प्रेरणादायक है। भक्त, साधक, और विद्वान सभी के लिए यह आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत है।