सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की विशाल कालगणना (Chronology) और गूढ़ रहस्यों में ‘मनु’ और ‘मन्वंतर’ का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। मनु न केवल आदि पुरुष (First Man) हैं, बल्कि वे प्रत्येक युग में धर्म और व्यवस्था (Law and Order) के संस्थापक भी माने जाते हैं। आज हम १४ मनुओं की श्रृंखला में एक विशेष नाम धर्म सावर्णि मनु के बारे में विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि उनकी तिथि को ‘मन्वादि तिथि’ क्यों कहा जाता है, तथा इस दिन श्राद्ध करने के क्या नियम और लाभ हैं।
कौन थे धर्म सावर्णि मनु? (Who was Dharma Savarni Manu?)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के इतिहास को कई ‘मन्वंतरों’ में बांटा गया है। प्रत्येक मन्वंतर का काल लगभग ३० करोड़ ६७ लाख २० हजार मानव वर्षों का होता है और इसका संचालन एक विशेष ‘मनु’ द्वारा किया जाता है। अभी वर्तमान में सातवां मन्वंतर चल रहा है, जिसके मनु वैवस्वत मनु हैं।
धर्म सावर्णि मनु का नाम ११वें मनु के रूप में आता है।
१४ मनुओं की सूची में उनका स्थान महत्वपूर्ण है:
- स्वायम्भुव
- स्वरोचिष
- औत्तमी
- तामस
- रैवत
- चाक्षुष
- वैवस्वत (वर्तमान मनु)
- सावर्णि (सूर्य सावर्णि)
- दक्ष सावर्णि
- ब्रह्म सावर्णि
- धर्म सावर्णि
- रुद्र सावर्णि
- रौच्य या देव सावर्णि
- भौत या इन्द्र सावर्णि
धर्म सावर्णि मनु का महत्व
- धर्म के संरक्षक – जैसा कि उनके नाम से स्पष्ट है, ‘धर्म सावर्णि’ का अर्थ है – धर्म की रक्षा करने वाले सावर्णि। वे अपने मन्वंतर में धर्म, नीति (Ethics) और न्याय (Justice) की स्थापना करेंगे।
- भविष्य के शासक – वे भविष्य के ११वें मन्वंतर के अधिपति होंगे। उनका शासनकाल धर्म पर आधारित होगा, जिसमें सत्य, तपस्या और ज्ञान को सर्वोच्च स्थान प्राप्त होगा।
- देवता और सप्तर्षि – प्रत्येक मन्वंतर की तरह, धर्म सावर्णि मनु के काल में भी विशिष्ट देवता, इंद्र और सप्तर्षि होंगे, जो सृष्टि के संचालन में उनका सहयोग करेंगे।
मनु एक पदवी है, जो उस महान आत्मा को मिलती है जो धर्म के सिद्धांतों को स्थापित करती है। धर्म सावर्णि मनु इसी श्रृंखला के एक महान व्यक्तित्व हैं।
मन्वादि तिथि क्या है? (What is Manvadi Tithi?)
जिस दिन किसी विशेष मनु के मन्वंतर की शुरुआत होती है, उस तिथि को ‘मन्वादि तिथि’ कहा जाता है। हिंदू धर्म में ये तिथियां अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि मन्वादि तिथियाँ पितृ तर्पण (Ancestral offering) और श्राद्ध कर्म के लिए बहुत ही श्रेष्ठ हैं। इन तिथियों को किया गया श्राद्ध, सामान्य श्राद्ध की तुलना में हजार गुना अधिक फलदायी माना जाता है। यह तिथि पितृ पक्ष या अन्य किसी भी समय आ सकती है, लेकिन जब यह श्राद्ध पक्ष में आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
धर्म सावर्णि मनु की मन्वादि तिथि: यह तिथि हर वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है, जिसे ‘द्वादशी श्राद्ध’ के साथ-साथ ‘धर्म सावर्णि मन्वादि तिथि’ भी कहा जाता है।
मन्वादि तिथि पर श्राद्ध करने के नियम (Rules for Shradh on Manvadi Tithi)
मन्वादि तिथि पर श्राद्ध करते समय कुछ विशिष्ट नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है:
- श्राद्धकर्ता (Performer) को इस दिन पूर्णतः शुद्ध होकर कर्म करना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पितरों के लिए जल, काले तिल और कुश (एक प्रकार की घास) से तर्पण किया जाता है। जल अर्पित करते समय अपनी अनामिका उंगली में कुश की अंगूठी (Ring) धारण करना शुभ माना जाता है।
- मन्वादि श्राद्ध में ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक भोजन कराना अत्यंत आवश्यक है। यह पितरों को संतुष्टि प्रदान करता है।
- भोजन का एक हिस्सा गाय (Cow), कुत्ता (Dog), कौआ (Crow), चींटी (Ant) और देवताओं के लिए अलग से निकालकर समर्पित करें। यह मान्यता है कि इन जीवों के माध्यम से पितर भोजन ग्रहण करते हैं।
- अपनी क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल और दक्षिणा (Donation) ब्राह्मणों को दें। दान पितृ ऋण (Pitra Rin) से मुक्ति दिलाता है।
- ब्राह्मण भोजन के दौरान मौन (Silence) धारण करना और पूर्ण श्रद्धा भाव रखना महत्वपूर्ण है। भोजन की निंदा न करें।
- श्राद्ध के दिन घर में और श्राद्धकर्ता के लिए मांस, मदिरा (Alcohol) और अन्य तामसिक भोजन (Non-vegetarian food) पूरी तरह से वर्जित होते हैं।
मन्वादि तिथि पर श्राद्ध करने के लाभ (Benefits of Shradh on Manvadi Tithi)
मन्वादि तिथियों पर श्राद्ध करने से जातक को अद्भुत और चिरस्थायी (Everlasting) लाभ प्राप्त होते हैं।
- पितृ दोष से मुक्ति यह सबसे बड़ा लाभ है। इस पवित्र तिथि पर किया गया श्राद्ध पितृ दोष को समाप्त करता है, जिससे जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
- पितर संतुष्ट होकर वंशजों को सुख, समृद्धि (Prosperity) और धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं।
- जिन परिवारों में संतान प्राप्ति में समस्या (Childlessness) होती है, उन्हें मन्वादि श्राद्ध से विशेष लाभ मिलता है।
- श्राद्ध कर्म से परिवार के सदस्यों को उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु (Longevity) का वरदान प्राप्त होता है।
- शास्त्रों के अनुसार, मन्वादि तिथि पर किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष (Salvation) की ओर ले जाता है।
- यह श्राद्ध परिवार की निरंतरता और वंश की वृद्धि (Genealogical growth) सुनिश्चित करता है।
- इस दिन किया गया कोई भी धर्म-कर्म या दान ‘अक्षय’ (Imperishable) फल प्रदान करता है।
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