सूर्य देव व्रत, जिसे रविवार व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा और उपवास करने का विधान है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और शत्रुओं से रक्षा प्राप्त होती है।
इस व्रत को करने के पीछे यह मान्यता भी है कि सूर्य देव स्वास्थ्य, धन-धान्य और सफलता का आशीर्वाद देते हैं। रविवार का व्रत करने वाले व्यक्ति को नेत्र संबंधी रोग, त्वचा रोग आदि से भी मुक्ति मिलती है।
सूर्य देव व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है। एक बुढ़िया थी जो नियमित रूप से रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर अपने आंगन को गोबर से लीपती थी ताकि वह स्वच्छ हो सके। इसके बाद वह सूर्य देव की पूजा-अर्चना करती थी और रविवार की व्रत कथा भी सुनती थी। इस दिन वह केवल एक समय भोजन करती थी और उससे पहले सूर्य देव को भोग भी लगाती थी। सूर्य देव उस बुढ़िया से बेहद प्रसन्न थे, इसलिए उसे किसी भी तरह का कष्ट नहीं था और वह धन-धान्य से परिपूर्ण थी।
जब उसकी पड़ोसन ने देखा कि वह बहुत सुखी है, तो वह उससे जलने लगी। बुढ़िया के घर में गाय नहीं थी, इसलिए वह अपनी पड़ोसन के आंगन से गोबर लाती थी क्योंकि उसके यहां गाय बंधी रहती थी। पड़ोसन ने बुढ़िया को परेशान करने के लिए गाय को घर के अंदर बांध दिया। अगले रविवार को बुढ़िया को आंगन लीपने के लिए गोबर नहीं मिला। इस कारण उसने सूर्य देवता को भोग भी नहीं लगाया और खुद भी भोजन नहीं किया। वह पूरे दिन भूखी-प्यासी रही और फिर सो गई।
अगले दिन जब वह सोकर उठी तो उसने देखा कि उसके आंगन में एक सुंदर गाय और एक बछड़ा बंधा हुआ था। बुढ़िया गाय को देखकर हैरान रह गई और उसने गाय को चारा खिलाया। वहीं, उसकी पड़ोसन बुढ़िया के आंगन में बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखकर और ज्यादा जलने लगी। पड़ोसन ने देखा कि उस गाय का गोबर सोने का है, तो उसने उस गोबर को वहां से उठाकर अपनी गाय के गोबर के पास रख दिया।
सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा और बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता नहीं चला। इस बीच बुढ़िया पहले की ही तरह सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा भी सुनती रही। जब सूर्यदेव को पड़ोसन की चालाकी का पता चला, तब उन्होंने तेज आंधी चला दी। तेज आंधी को देखकर बुढ़िया ने अपनी गाय को अंदर बांध दिया। अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसने सोने का गोबर देखा और उसे बेहद आश्चर्य हुआ।
इसके बाद से बुढ़िया ने गाय को घर के अंदर ही बांधना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में बुढ़िया बहुत धनी हो गई। बुढ़िया की सुखी और धनी स्थिति देखकर पड़ोसन और जलने लगी। उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेजा। जब राजा ने उस सुंदर गाय को देखा तो वह बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
वहीं, बुढ़िया भूखी-प्यासी रहकर सूर्य भगवान से प्रार्थना कर रही थी। सूर्यदेव को उस पर करुणा आई। उसी रात सूर्यदेव राजा के सपने में आए और उससे कहा कि हे राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत वापस कर दो। अगर ऐसा नहीं किया तो तुम पर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। सूर्यदेव के सपने ने राजा को बुरी तरह डरा दिया। इसके बाद राजा ने बुढ़िया को गाय और बछड़ा लौटा दिया।
राजा ने बुढ़िया को ढेर सारा धन दिया और क्षमा मांगी। वहीं, राजा ने पड़ोसन और उसके पति को सजा भी दी। इसके बाद राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि रविवार को हर कोई व्रत किया करे। सूर्यदेव का व्रत करने से व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है और घर में खुशहाली आती है।
सूर्य देव पूजा विधि
- रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। स्नान के बाद साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- फिर सूर्य देव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- तांबे के लोटे में लाल फूल, अक्षत, जल, शक्कर, लाल चंदन या रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- फिर पूजा की तैयारी करें। घर के मंदिर या पूजा स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर पर रोली, अक्षत, सुपारी, फूल और फल चढ़ाएं और धूप दीप दिखाएं।
- फिर रविवार व्रत कथा का पाठ करें। सूर्य देव की आरती करें।
सूर्य देव व्रत नियम
- रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।
- रविवार के दिन नमक का त्याग करें।
- इस दिन मांस-मदिरा से दूर रहें।
- रविवार के दिन बाल-दाढ़ी न कटवाएं।
- इस दिन बदन में तेल मालिश भी नहीं करनी चाहिए।
- आज के दिन तांबा धातु से जुड़ी चीजों की खरीद-बिक्री न करें।
- दूध को जलाने से संबंधित जैसे (घी निकालना आदि) काम न करें।
- आज के दिन ग्रे, काला, नीला और गहरे रंग के कपड़े न पहनें।
सूर्य देव मंत्र
- सूर्य देव के कई शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध मंत्र इस प्रकार हैं:
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ घृणि सूर्य्य आदित्यः
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
- ॐ विष्णुवो जगतपतिः सूर्यो नारायणो हरिः
- ॐ सूर्याय नमः नमः
सूर्य देव मंत्र का जाप कैसे करें
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने के लिए सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय का होता है।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
- मोमबत्ती या दीप जलाएं।
- सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठ जाएं।
- माला का प्रयोग करते हुए मंत्र का जाप करें।
- आप धूप भी जला सकते हैं।
- मंत्र का जाप 108 बार या अपनी इच्छानुसार कम या ज्यादा बार कर सकते हैं।
- मंत्र का जाप करते समय ध्यान केंद्रित करें और सूर्य देव की कल्पना करें।
सूर्य देव मंत्र के लाभ
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से रोगों से बचाता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सूर्य देव मंत्र का जाप करने से मन में शांति और सकारात्मकता आती है।
सूर्य देव मंत्र का जाप करते समय कुछ सावधानियां
- सूर्य देव मंत्र का जाप करते समय मन में शुद्ध विचार रखें।
- मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- प्रतिदिन नियमित रूप से मंत्र का जाप करें।
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