लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम्

॥लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम्॥ श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे भोगींद्रभोगमणिराजित पुण्यमूर्ते । योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ ब्रह्मेंद्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटि संघट्टितांघ्रिकमलामलकांतिकांत । लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ संसारदावदहनाकरभीकरोरु- ज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरुहस्य । त्वत्पादपद्मसरसीरुहमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ संसारजालपतिततस्य जगन्निवास सर्वेंद्रियार्थ बडिशाग्र झषोपमस्य । प्रोत्कंपित प्रचुरतालुक मस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ संसारकूमपतिघोरमगाधमूलं संप्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य । दीनस्य…

वेणु गोपाल अष्टकम्

॥वेणु गोपाल अष्टकम्॥ कलितकनकचेलं खंडितापत्कुचेलं गलधृतवनमालं गर्वितारातिकालम् । कलिमलहरशीलं कांतिधूतेंद्रनीलं विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ व्रजयुवतिविलोलं वंदनानंदलोलं करधृतगुरुशैलं कंजगर्भादिपालम् । अभिमतफलदानं श्रीजितामर्त्यसालं विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ घनतरकरुणाश्रीकल्पवल्ल्यालवालं कलशजलधिकन्यामोदकश्रीकपोलम् । प्लुषितविनतलोकानंतदुष्कर्मतूलं विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ शुभदसुगुणजालं सूरिलोकानुकूलं दितिजततिकरालं दिव्यदारायितेलम् । मृदुमधुरवचःश्री दूरितश्रीरसालं विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ मृगमदतिलकश्रीमेदुरस्वीयफालं जगदुदयलयस्थित्यात्मकात्मीयखेलम् । सकलमुनिजनालीमानसांतर्मरालं विनमदवनशीलं वेणुगोपालमीडे ॥ असुरहरणखेलनं नंदकोत्क्षेपलीलं विलसितशरकालं विश्वपूर्णांतरालम् । शुचिरुचिरयशश्श्रीधिक्कृत श्रीमृणालं विनमदवनशीलं…

बाल मुकुंदाष्टकम्

॥बाल मुकुंदाष्टकम्॥ करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम् । वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि ॥ संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यंतविहीनरूपम् । सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि ॥ इंदीवरश्यामलकोमलांगं इंद्रादिदेवार्चितपादपद्मम् । संतानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि ॥ लंबालकं लंबितहारयष्टिं शृंगारलीलांकितदंतपंक्तिम् । बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि ॥ शिक्ये निधायाद्यपयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् । भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन…

अर्ध नारीश्वर अष्टकम्

॥अर्ध नारीश्वर अष्टकम्॥ चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय । धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजःपुंज विचर्चिताय । कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ झणत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय । हेमांगदायै भुजगांगदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय । समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ मंदारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकंधराय । दिव्यांबरायै च दिगंबराय…

उमा महेश्वर स्तोत्रम्

॥ उमा महेश्वर स्तोत्रम् ॥ नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् । नगेंद्रकन्यावृषकेतनाभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् । नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां विरिंचिविष्ण्विंद्रसुपूजिताभ्याम् । विभूतिपाटीरविलेपनाभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् । जंभारिमुख्यैरभिवंदिताभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम् ॥ नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां पंचाक्षरीपंजररंजिताभ्याम् । प्रपंचसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम्…

अर्ध नारीश्वर स्तोत्रम्

॥अर्ध नारीश्वर स्तोत्रम्॥ चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय । धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजःपुंज विचर्चिताय । कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ झणत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय । हेमांगदायै भुजगांगदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय । समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ मंदारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकंधराय । दिव्यांबरायै च दिगंबराय…

श्री गंगा स्तोत्रम्

॥ श्री गंगा स्तोत्रम् ॥ देवि! सुरेश्वरि! भगवति! गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे । शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥ भागीरथिसुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः । नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे । दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम् । मातर्गंगे त्वयि…

ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी – भजन

||ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी || ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले कितने दरों पे भटके, कितने ही दर बनाये अब तेरे हो रहें हैं, जायें न हम निकाले ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे जोड़ी तेरी हमारी कैसी रची विधाता जो तुम हो तन के काले, हम भी हैं मन के काले…

हरी नाम की माला जप ले – भजन

॥हरी नाम की माला जप ले – भजन॥ हरी नाम की माला जप ले, पल की खबर नही,ओ… । अन्तरघट मन को मथ ले, पल की खबर नही,ओ… ॥ ॥ हरी नाम की माला ॥ नाम बिना ये तेरा, जीवन अधूरा है, घाटा सत्संग बिना, होता नही पूरा है । तेरी बीती उमरिया सारी, पल…

कण कण में श्याम – भजन

।।कण कण में श्याम – भजन।। खाटू के कण कण में, बसेरा करता साँवरा, जाने कैसा वेश बनाए, हर गली में आया जाया, करता साँवरा, सांवरा तुझमे साँवरा, साँवरा मुझ में सांवरा, सांवरा सब में साँवरा। रींगस से खाटू नगरी तक, पैदल चलते लोग, पीठ के बल, कोई पेट के बल, लेट के चलते लोग,…

शिवजी सत्य है – भजन

|| शिवजी सत्य है – भजन || जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌ डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम बम बम भोले बम बम भोले, बम बम भोले बम बम भोले बम बम भोले, बम बम भोले चाहू दिशा में शिव, शोहरत में शिव कल कल में शिव, पल पल में शिव ॐ नमः शिवाय…

आज मंगलवार है – भजन

||आज मंगलवार है – भजन|| आज मंगलवार है महावीर का वार है ये सच्चा दरबार है सच्चे मन से जो कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है चैत्र सुदी पूनम मंगल का जनम वीर ने पाया है-2 लाल लंगोट गदा हाथ में सिर पर मुकुट सजाया है-2 शंकर का अवतार है महावीर का वार है ये…

श्री हनुमान अमृतवाणी

||श्री हनुमान अमृतवाणी|| रामायण की भव्य जो माला हनुमत उसका रत्न निराला निश्चय पूर्वक अलख जगाओ जय जय जय बजरंग ध्याओ अंतर्यामी है हनुमंता लीला अनहद अमर अनंता रामकी निष्ठा नस नस अंदर रोम रोम रघुनाथ का मंदिर सिद्धि महात्मा ये सुख धाम इसको कोटि कोटि प्रमाण तुलसीदास के भाग्य जगाये साक्षात के दर्श दिखाए…

नित्य पारायण स्तोत्रम्

॥नित्य पारायण स्तोत्रम्॥ प्रभात श्लोकः कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी प्रभाते करदर्​शनम् ॥ करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्​शनम् ॥ प्रभात भूमि श्लोकः समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं, पादस्पर्​शं क्षमस्वमे ॥ सूर्योदय श्लोकः ब्रह्मस्वरूप मुदये मध्याह्नेतु महेश्वरम् । साहं ध्यायेत्सदा विष्णुं त्रिमूर्तिं च दिवाकरम् ॥ स्नान श्लोकः गंगे…

श्री हनुमान वडवानल स्तोत्रम्

।।श्री हनुमान वडवानल स्तोत्रम्।। विनियोग: ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल- स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं, मम समस्त विघ्न-दोष- निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये। ध्यान: मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।। वडवानल स्तोत्रम्: ॐ ह्रां ह्रीं ॐ…

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम्

॥दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम्॥ विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय । कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ गौरीप्रियाय रजनीश कलाधराय कालांतकाय भुजगाधिप कंकणाय । गंगाधराय गजराज विमर्धनाय दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ भक्तप्रियाय भवरोग भयापहाय उग्राय दुःख भवसागर तारणाय । ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ चर्मांबराय शवभस्म विलेपनाय फालेक्षणाय मणिकुंडल मंडिताय । मंजीरपादयुगलाय…

मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है – भजन

॥मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है – भजन॥ जब जब भी संकट का मुझ पर, घेरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है, मेरे दरवाजे पे हनुमान का, पहरा होता है ॥ जब से आए घर में मेरे, घर के संकट भाग गए, हम तो सोए थे गहरी नींद में,…

श्री राम की तू जपले रे माला – भजन

॥ श्री राम की तू जपले रे माला – भजन ॥ श्री राम की तू जपले रे माला, मिलेंगे तुझे हनुमाना, प्रभु राम की तू जपले रे माला, मिलेंगे तुझे हनुमाना, मिलेंगे तुझे हनुमाना राम के काज ये हरपल बनाए, राम चरण रज हनुमत को भाए, राम के नाम का पीते है प्याला, श्री राम…

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल – भजन

|| छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल – भजन || छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल बीच में मेरो मदन गोपाल बीच में मेरो मदन गोपाल छोटी…

शंकर मेरा प्यारा – भजन

||शंकर मेरा प्यारा – भजन|| शंकर मेरा प्यारा शंकर मेरा प्यारा माँ री माँ मुझे मूरत ला दे शिव शंकर की मूरत ला दे मूरत ऐसी जिस के सर से निकले गंगा धरा शंकर मेरा प्यारा शंकर मेरा प्यारा माँ री माँ वो डमरू वाला तन पे पहने मृग की छाला रात मेरे सपनो में…

अवध में राम आए है – भजन

||अवध में राम आए है – भजन|| सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आये हैं सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आये हैं अवध में राम आये हैं मेरे सरकार आये हैं अवध में राम आये हैं मेरे सरकार आये हैं मेरे सरकार आये हैं लगे कुटिया भी दुल्हन…

श्री विन्ध्यवासिनी स्तोत्रम्

॥ श्री विन्ध्यवासिनी स्तोत्र ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ श्रीनन्दगोपगृहिणीप्रभवा तनोतु भद्रं सदा मम सुरार्थपरा प्रसन्ना । विन्ध्याद्रि-गह्वरगताष्टभुजा प्रसिद्धा सिद्धैः सुसेवित-पदाब्जयुगा त्रिरूपा ॥ वेदैरगम्यमहिमा निजबोधतुष्टा नित्या गुणत्रयपराऽखिलभेदशून्या । एका प्रपञ्चकरणे त्रिगुणोरुशक्तिरुच्चावचाकृतिरथोऽचलजङ्गमात्मा ॥ पीयूष-सिन्धु-सुरपादपवाटिरत्नद्वीपे सुनीपवनशालिनि दुष्प्रवेशे । चिन्तामणि-प्रखचिते भवने निषण्णा विन्ध्येश्वरी श्रियमनल्पतरां करोतु ॥ श्रुत्वा स्तुतिं विधिकृतां करुणार्द्रचित्ता नारायणेन सबलौ मधुकैटभाख्यौ । या सञ्जहार…

शत्रु संहारकम श्री ऐक दन्त स्तोत्रम्

॥ शत्रु संहारकम श्री ऐक दन्त स्तोत्र ॥ सनत्कुमार उवाच श्रृणु शम्भ्वादयो देवा मदासुरविनाशने । उपायं कथयिष्यामि तत्कुरुध्वं मुनीश्वराः ॥ १॥ गणेशं पूजयध्वं वै यूयं सर्वे समावृताः । स बाह्यान्तरसंस्थो वै हनिष्यति मदासुरम् ॥ २॥ सनत्कुमारवाक्यं तच्छ्रुत्वा देवर्षिसत्तमाः । ऊचुस्तं प्रणिपत्यादौ भक्तिनम्रात्मकन्धराः ॥ ३॥ देवर्षय उवाच केनोपायेन देवेशं गणेशं मुनिसत्तमम् । पूजयामो विशेषेण तं ब्रवीहि…

श्री एक मुखी हनुमत्कवचम्

॥ श्री एक मुखी हनुमत्कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥ श्रीरामदूतं शिरसा नमामि ॥ ॥ श्रीहनुमते नमः ॥ एकदा सुखमासीनं शङ्करं लोकशङ्करम् । पप्रच्छ गिरिजाकान्तं कर्पूरधवलं शिवम् ॥ ॥ पार्वत्युवाच ॥ भगवन्देवदेवेश लोकनाथ जगद्गुरो । शोकाकुलानां लोकानां केन रक्षा भवेद्ध्रुवम् ॥…

श्री पंचमुख हनुमत्कवचम्

॥ श्री पंचमुख हनुमत्कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॥ श्रीउमामहेश्वराभ्यां नमः ॥ श्रीसीतारामचन्द्राभ्यां नमः ॥ श्रीपञ्चवदनायाञ्जनेयाय नमः ॥ ॥ श्री पार्वत्युवाच ॥ सदाशिव वरस्वामिञ्ज्ञानद प्रियकारकः । कवचादि मया सर्वं देवानां संश्रुतं प्रिय ॥ १॥ इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं करुणानिधे । वायुसूनोर्वरं येन नान्यदन्वेषितं भवेत् । साधकानां च सर्वस्वं हनुमत्प्रीति वर्द्धनम् ॥ २॥ ॥…

श्री सप्तमुखी हनुमत्कवच

॥ श्री सप्तमुखी हनुमत्कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॐ अस्य श्रीसप्तमुखीवीरहनुमत्कवच स्तोत्रमन्त्रस्य, नारदऋषिः ,अनुष्टुप्छन्दः ,श्रीसप्तमुखीकपिः परमात्मादेवता ,ह्रां बीजम् ,ह्रीं शक्तिः ,ह्रूं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।…

श्री लक्ष्मीनारायण कवच

॥ श्री लक्ष्मीनारायण कवचम् ॥ ॥ श्री भैरव उवाच ॥ अधुना देवि वक्ष्यामि लक्ष्मीनारायणस्य ते । कवचं मन्त्रगर्भं च वज्रपञ्जरकाख्यया ॥ श्रीवज्रपञ्जरं नाम कवचं परमाद्भुतम् । रहस्यं सर्वदेवानां साधकानां विशेषतः ॥ यं धृत्वा भगवान् देवः प्रसीदति परः पुमान् । यस्य धारणमात्रेण ब्रह्मा लोकपितामहः ॥ ईश्वरोऽहं शिवो भीमो वासवोऽपि दिवस्पतिः । सूर्यस्तेजोनिधिर्देवि चन्द्रर्मास्तारकेश्वरः ॥ वायुश्च बलवांल्लोके…

श्री सीता कवचम्

॥ श्री सीताकवचम् ॥ ॥ अगस्तिरुवाच ॥ सम्यक् पृष्टं त्वया वत्स सावधानमनाः श्रुणु । आदौ वक्ष्याम्यहं रम्यं सीतायाः कवचं शुभम् ॥ या सीतावनि संभवाथमिथिलापालेन संवर्धितापद्माक्षनृपतेः सुता नलगता या मातुलिङ्गोत्भवा। या रत्ने लयमागता जलनिधौ या वेद वारं गतालङ्कां सा मृगलोचना शशिमुखी मांपातु रामप्रिया ॥ ॥ अथ न्यासः ॥ अस्य श्री सीताकवच मन्त्रस्य अगस्ति ऋषिः । श्री…

श्री कृष्ण नाम कवचम्

॥ श्री कृष्ण नाम कवचम् ॥ ॥ नारद उवाच ॥ भगवञ्छ्रोतुमिच्छामि किं मन्त्रं भगवान्हरः । कृपया-ऽदात् परशुरामाय स्तोत्रं च वर्म च ॥ कोवाऽस्य मन्त्रस्याराध्यः किं फलं कवचस्य च । स्तवनस्य फलं किं वा तद्भवान्वक्तुमर्हसि ॥ ॥ नारायण उवाच ॥ मन्त्राराध्यो हि भगवान् परिपूर्णतमः स्वयम् । गोलोकनाथः श्रीकृष्णो गोप-गोपीश्वरः प्रभुः ॥ त्रैलोक्यविजयं नाम कवचं परमाद्भुतम् ।…

श्री त्रैलोक्य मोहन काली कवचम्

॥ श्री त्रैलोक्य मोहन काली कवचम् ॥ ॥ श्री देव्युवाच ॥ देवदेवमहादेव संसारप्रीतिकारकः । सर्वविद्येश्वरीं विद्यां कालिकां कथयाद्भुताम् ॥ ॥ श्री शिव उवाच ॥ श्रृणुदेवि महाविद्यां सर्वविद्योत्तमोत्तमाम् । सर्वेश्वरीं महाविद्यां सर्वदेवप्रपूजिताम् ॥ यस्याः कटाक्षमात्रेण त्रैलोक्यविजयीहरः । बभूवकमलानाथो विभुब्रह्मा प्रजापति ॥ शचीस्वामीदेवनाथो यमोपिधर्मनायकः । त्रैलोक्यपावनी गङ्गा कमला श्रीर्हरिप्रिया ॥ दिनस्वामिरविश्चन्द्रो निशापतिर्ग्रहेश्वरः । जलाधिपतिर्वरुणः कुबेरोपिधनेश्वरः ॥ अव्याहतगतिर्वायुर्गजास्योविघ्ननायकः…

श्री देवी काली कवचम्

॥ श्री देवी काली कवचम् ॥ ॥ भैरव् उवाच ॥ कालिका या महाविद्या कथिता भुवि दुर्लभा । तथापि हृदये शल्यमस्ति देवि कृपां कुरु ॥ कवचन्तु महादेवि कथयस्वानुकम्पया । यदि नो कथ्यते मातर्व्विमुञ्चामि तदा तनुं ॥ ॥ श्री देव्युवाच ॥ शङ्कापि जायते वत्स तव स्नेहात् प्रकाशितं । न वक्तव्यं न द्रष्टव्यमतिगुह्यतरं महत् ॥ कालिका जगतां माता…

श्री दशमहाविद्या कवचम्

॥ श्री दशमहाविद्या कवचम् ॥ ॥ विनियोगः ॥ ॐ अस्य श्रीमहाविद्याकवचस्य श्रीसदाशिव ऋषिः उष्णिक् छन्दः श्रीमहाविद्या देवता सर्वसिद्धीप्राप्त्यर्थे पाठे विनियोगः । ॥ ऋष्यादि न्यासः ॥ श्रीसदाशिवऋषये नमः शिरसी उष्णिक् छन्दसे नमः मुखे श्रीमहाविद्यादेवतायै नमः हृदि सर्वसिद्धिप्राप्त्यर्थे पाठे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे । ॥ मानसपुजनम् ॥ ॐ पृथ्वीतत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः । ॐ हं आकाशतत्त्वात्मकं पुष्पं…

श्री देवी चण्डी कवच

॥ श्री देवी चण्डी कवच ॥ ॥ विनियोग: ॥ ॐ अस्य श्रीदेव्या: कवचस्य ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, ख्फ्रें चामुण्डाख्या महा-लक्ष्मी: देवता, ह्रीं ह्रसौं ह्स्क्लीं ह्रीं ह्रसौं अंग-न्यस्ता देव्य: शक्तय:, ऐं ह्स्रीं ह्रक्लीं श्रीं ह्वर्युं क्ष्म्रौं स्फ्रें बीजानि, श्रीमहालक्ष्मी-प्रीतये सर्व रक्षार्थे च पाठे विनियोग:। ॥ ऋष्यादि-न्यास: ॥ ब्रह्मर्षये नम: शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नम: मुखे, ख्फ्रें चामुण्डाख्या…

वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम्

॥ वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ कैलासशिखरासीनं देवदेवं जगद्गुरुम् । शङ्करं परिपप्रच्छ पार्वती परमेश्वरम् ॥ कैलासशिखरारूढं शङ्करं वरदं शिवम् । देवी पप्रच्छ सर्वज्ञं सर्वदेव महेश्वरम् ॥ ॥ पार्वत्युवाच ॥ भगवन् देवदेवेश देवानां भोगद प्रभो । प्रब्रूहि मे महादेव गोप्यं चेद्यदि हे प्रभो ॥ शत्रूणां येन नाशः स्यादात्मनो रक्षणं भवेत्…

श्री बगलामुखी कवचम्

॥ श्री बगलामुखी कवचं ॥ ॥ अथ ध्यानम् ॥ जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीम्। गदाभि घातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ॥ ॥ अथ बगलामुखी कवचम् ॥ श्रुत्वा च बगलापूजां स्तोत्रं चापि महेश्वर । इदानी श्रोतुमिच्छामि कवचं वद मे प्रभो ॥ वैरिनाशकरं दिव्यं सर्वाSशुभविनाशनम् । शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:खनाशनम् ॥ ॥ श्री भैरव…

श्री कामाख्या कवचम्

॥ श्री कामाख्या कवचम् ॥ ॥ कामाख्या ध्यानम् ॥ रविशशियुतकर्णा कुंकुमापीतवर्णा मणिकनकविचित्रा लोलजिह्वा त्रिनेत्रा । अभयवरदहस्ता साक्षसूत्रप्रहस्ता प्रणतसुरनरेशा सिद्धकामेश्वरी सा ॥ अरुणकमलसंस्था रक्तपद्मासनस्था नवतरुणशरीरा मुक्तकेशी सुहारा । शवहृदि पृथुतुङ्गा स्वाङ्घ्रियुग्मा मनोज्ञा शिशुरविसमवस्त्रा सर्वकामेश्वरी सा ॥ विपुलविभवदात्री स्मेरवक्त्रा सुकेशी दलितकरकदन्ता सामिचन्द्रावतंसा । मनसिज-दृशदिस्था योनिमुद्रालसन्ती पवनगगनसक्ता संश्रुतस्थानभागा । चिन्ता चैवं दीप्यदग्निप्रकाशा धर्मार्थाद्यैः साधकैर्वाञ्छितार्था ॥ ॥ कामाख्या-कवचम् ॥…

श्री तारा कवच

॥ श्री तारा कवचम् ॥ ॥ ईश्वर उवाच ॥ कोटितन्त्रेषु गोप्या हि विद्यातिभयमोचिनी । दिव्यं हि कवचं तस्याः श्रृणुष्व सर्वकामदम् ॥ अस्य ताराकवचस्य अक्षोभ्य ऋषिः , त्रिष्टुप् छन्दः, भगवती तारा देवता , सर्वमन्त्रसिद्धिसमृद्धये जपे विनियोगः । प्रणवो मे शिरः पातु ब्रह्मरूपा महेश्वरी । ललाटे पातु ह्रींकारो बीजरूपा महेश्वरी ॥ स्त्रींकारो वदने नित्यं लज्जारूपा महेश्वरी ।…

श्री कमला कवचम्

॥ श्री कमला कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॐ अस्याश्चतुरक्षराविष्णुवनितायाः कवचस्य श्रीभगवान् शिव ऋषीः । अनुष्टुप्छन्दः । वाग्भवा देवता । वाग्भवं बीजम् । लज्जा शक्तिः । रमा कीलकम् । कामबीजात्मकं कवचम् । मम सुकवित्वपाण्डित्यसमृद्धिसिद्धये पाठे विनियोगः । ऐङ्कारो मस्तके पातु वाग्भवां सर्वसिद्धिदा । ह्रीं पातु चक्षुषोर्मध्ये चक्षुर्युग्मे च शाङ्करी ॥ जिह्वायां मुखवृत्ते…

श्री गायत्री कवचम्

॥ श्री गायत्री कवचम् ॥ ॥ याज्ञवल्क्य उवाच ॥ स्वामिन् सर्वजगन्नाथ संशयोऽस्ति महान्मम । चतुःषष्ठिकलानं च पातकानां च तद्वद ॥ मुच्यते केन पुण्येन ब्रह्मरूपं कथं भवेत् । देहं च देवतारूपं मन्त्ररूपं विशेषतः ॥ ॥ ब्रह्मोवाच ॥ क्रमतः श्रोतुमिच्छामि कवचं विधिपूर्वकम् । गायत्र्याः कवचस्यास्य ब्रह्मा विष्णुः शिवो ऋषिः ॥ ऋग्यजुःसामाथर्वाणि छन्दांसि परिकीर्तिताः । परब्रह्मस्वरूपा सा गायत्री…

श्री तुलसी कवच

॥ श्री तुलसी कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ अस्य श्री तुलसीकवच स्तोत्रमंत्रस्य । श्री महादेव ऋषिः । अनुष्टुप्छन्दः । श्रीतुलसी देवता । मन ईप्सितकामनासिद्धयर्थं जपे विनियोगः । तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी । शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ॥ दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम । घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं…

श्री एकादशमुख हनुमत्कवचम्

॥ श्री एकादशमुख हनुमत्कवचम् ॥ ॥ लोपामुद्रा उवाच ॥ कुम्भोद्भव दयासिन्धो श्रुतं हनुमतः परम् । यन्त्रमन्त्रादिकं सर्वं त्वन्मुखोदीरितं मया ॥ दयां कुरु मयि प्राणनाथ वेदितुमुत्सहे । कवचं वायुपुत्रस्य एकादशमुखात्मनः ॥ इत्येवं वचनं श्रुत्वा प्रियायाः प्रश्रयान्वितम् । वक्तुं प्रचक्रमे तत्र लोपामुद्रां प्रति प्रभुः ॥ ॥ अगस्त्य उवाच ॥ नमस्कृत्वा रामदूतां हनुमन्तं महामतिम् । ब्रह्मप्रोक्तं तु कवचं…

श्री भैरवी कवच

॥ श्री भैरवी कवचम् ॥ ॥ श्री देव्युवाच ॥ भैरव्याः सकला विद्याः श्रुताश्चाधिगता मया । साम्प्रतं श्रोतुमिच्छामि कवचं यत्पुरोदितम् ॥ त्रैलोक्यविजयं नाम शस्त्रास्त्रविनिवारणम् । त्वत्तः परतरो नाथ कः कृपां कर्तुमर्हति ॥ ॥ ईश्वर उवाच ॥ श्रुणु पार्वति वक्ष्यामि सुन्दरि प्राणवल्लभे । त्रैलोक्यविजयं नाम शस्त्रास्त्रविनिवारकम् ॥ पठित्वा धारयित्वेदं त्रैलोक्यविजयी भवेत् । जघान सकलान्दैत्यान् यधृत्वा मधुसूदनः ॥…

श्री भुवनेश्वरी कवच

॥ श्री भुवनेश्वरी कवचम् ॥ ॥ देव्युवाच ॥ देवेश भुवनेश्वर्या या या विद्याः प्रकाशिताः । श्रुताश्चाधिगताः सर्वाः श्रोतुमिच्छामि साम्प्रतम् ॥ त्रैलोक्यमङ्गलं नाम कवचं यत्पुरोदितम् । महादेव मम प्रीतिकरं परम् ॥ ॥ ईश्वर उवाच ॥ श्रृणु पार्वति वक्ष्यामि सावधानावधारय । त्रैलोक्यमङ्गलं नाम कवचं मन्त्रविग्रहम् ॥ सिद्धविद्यामयं देवि सर्वैश्वर्यसमन्वितम् । पठनाद्धारणान्मर्त्यस्त्रैलोक्यैश्वर्यभाग्भवेत् ॥ ॐ अस्य श्रीभुवनेश्वरीत्रैलोक्यमङ्गलकवचस्य शिव ऋषिः…

श्री छिन्नमस्ता कवच

॥ श्री छिन्नमस्ता कवचम् ॥ ॥ देव्युवाच ॥ कथिताच्छिन्नमस्ताया या या विद्या सुगोपिताः । त्वया नाथेन जीवेश श्रुताश्चाधिगता मया ॥ इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं सर्वसूचितम् । त्रैलोक्यविजयं नाम कृपया कथ्यतां प्रभो ॥ ॥ भैरव उवाच ॥ श्रुणु वक्ष्यामि देवेशि सर्वदेवनमस्कृते । त्रैलोक्यविजयं नाम कवचं सर्वमोहनम् ॥ सर्वविद्यामयं साक्षात्सुरात्सुरजयप्रदम् । धारणात्पठनादीशस्त्रैलोक्यविजयी विभुः ॥ ब्रह्मा नारायणो रुद्रो धारणात्पठनाद्यतः…

श्री धूमावती कवच

॥ धूमावती कवचम् ॥ ॥ श्री पार्वत्युवाच॥ धूमावत्यर्चनं शम्भो श्रुतम् विस्तरतो मया। कवचं श्रोतुमिच्छामि तस्या देव वदस्व मे ॥ ॥ श्री भैरव उवाच॥ शृणु देवि परङ्गुह्यन्न प्रकाश्यङ्कलौ युगे। कवचं श्रीधूमावत्या: शत्रुनिग्रहकारकम् ॥ ब्रह्माद्या देवि सततम् यद्वशादरिघातिन:। योगिनोऽभवञ्छत्रुघ्ना यस्या ध्यानप्रभावत: ॥ ॐ अस्य श्री धूमावती कवचस्य पिप्पलाद ऋषि: निवृत छन्द:, श्री धूमावती देवता, धूं बीजं, स्वाहा…

श्री मातंगी कवच

॥ श्री मातङ्गी कवचम् ॥ ॥ श्रीपार्वत्युवाच ॥ देवदेव महादेव सृष्टिसंहारकारक । मातङ्ग्याः कवचं ब्रूहि यदि स्नेहोऽस्ति ते मयि ॥ ॥ शिव उवाच ॥ अत्यन्तगोपनं गुह्यं कवचं सर्वकामदम् । तव प्रीत्या मयाऽऽख्यातं नान्येषु कथ्यते शुभे ॥ शपथं कुरु मे देवि यदि किञ्चित्प्रकाशसे । अनया सदृशी विद्या न भूता न भविष्यति ॥ शवासनां रक्तवस्त्रां युवतीं सर्वसिद्धिदाम्…

श्री महालक्ष्मी कवच

॥ श्री महालक्ष्मी कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ अस्य श्रीमहालक्ष्मीकवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दःमहालक्ष्मीर्देवता महालक्ष्मीप्रीत्यर्थं जपे विनियोग। इन्द्र उवाच । समस्तकवचानां तु तेजस्वि कवचोत्तमम् । आत्मरक्षणमारोग्यं सत्यं त्वं ब्रूहि गीष्पते ॥ श्रीगुरुरुवाच । महालक्ष्म्यास्तु कवचं प्रवक्ष्यामि समासतः । चतुर्दशसु लोकेषु रहस्यं ब्रह्मणोदितम् ॥ ब्रह्मोवाच । शिरो मे विष्णुपत्नी च ललाटममृतोद्भवा । चक्षुषी…

श्री लक्ष्मी तन्त्रोक्त कवच

॥ श्री लक्ष्मी तन्त्रोक्त कवचम् ॥ ॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥ ॐ अस्य श्रीलक्ष्मीकवचस्तोत्रस्य, श्रीईश्वरो देवता, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीलक्ष्मीप्रीत्यर्थे पाठे विनियोगः । ॐ लक्ष्मी मे चाग्रतः पातु कमला पातु पृष्ठतः । नारायणी शीर्षदेशे सर्वाङ्गे श्रीस्वरूपिणी ॥ रामपत्नी तु प्रत्यङ्गे सदाऽवतु शमेश्वरी । विशालाक्षी योगमाया कौमारी चक्रिणी तथा ॥ जयदात्री धनदात्री पाशाक्षमालिनी शुभा । हरिप्रिया हरिरामा जयङ्करी…

श्री सरस्वती कवच

॥ श्री सरस्वती कवचं ॥ ॥ ब्रह्मोवाच ॥ शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वकामदम् । श्रुतिसारं श्रुतिसुखं श्रुत्युक्तं श्रुतिपूजितम् ॥ उक्तं कृष्णेन गोलोके मह्यं वृन्दावने वने । रासेश्वरेण विभुना रासे वै रासमण्डले ॥ अतीव गोपनीयं च कल्पवृक्षसमं परम् । अश्रुताद्भुतमन्त्राणां समूहैश्च समन्वितम् ॥ यद्धृत्वा पठनाद्ब्रह्मन्बुद्धिमांश्च बृहस्पतिः । यद्धृत्वा भगवाञ्छुक्रः सर्वदैत्येषु पूजितः ॥ पठनाद्धारणाद्वाग्मी कवीन्द्रो वाल्मिको मुनिः…

श्री महामृत्युञ्जय कवचम्

॥ श्री महामृत्युञ्जय कवचम् ॥ ॥ श्री भैरव उवाच ॥ श्रृणुष्व परमेशानि कवचं मन्मुखोदितम् । महामृत्युञ्जयस्यास्य न देयं परमाद्भुतम् ॥ १॥ यं धृत्वा यं पठित्वा च श्रुत्वा च कवचोत्तमम् । त्रैलोक्याधिपतिर्भूत्वा सुखितोऽस्मि महेश्वरि ॥ २॥ तदेववर्णयिष्यामि तव प्रीत्या वरानने । तथापि परमं तत्वं न दातव्यं दुरात्मने ॥ ३॥ ॥ विनियोगः ॥ अस्य श्रीमहामृत्युञ्जयकवचस्य श्रीभैरव ऋषिः,…