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श्री भरत भगवान आरती

Bharat Bhagwan Aarti Hindi Lyrics

MiscAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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।। आरती ।।

जय जय श्री भरतजिन,
तुम हो तारण तरन ॥
भविजन प्यारे,
इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।

प्रभु तुम सर्वार्थसिद्धि से आये।
माता सुनंदा के प्रिय सुत कहाये ॥
आदि नृप के नन्दन,
तुमको शत शत वंदन, हों हमारे ।।

इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे..

कर्मयुग में हुए तुम विधाता ।
लोकहित मार्ग के तुम ही ज्ञाता ।।
अंक, अक्षर, कला,
तुमसे प्रकटे प्रभो! शिल्प सारे ।।

इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे..

देखे सिरकेश की शुक्लता को
राज छोड़ गये देव वन को ॥
योग साधा कठिन,
कर्म बंधन गहन, तोड़ डाले ।।

इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे..

सिद्ध परमात्म पद पा गये तुम
शंभु ब्रह्मा जिनेश्वर हुए तुम ॥
सिर नवाते हुए,
गुणगण गाते हुए, गणधर हारे ।।

इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे..

नाथ अपनी चरण भक्ति दीजे ।
आत्मगुण सिन्धु में मन कीजै ॥
छीजे आवागमन,
शिवपुर में हो गमन, कर्म झारे ।।

जय जय श्री भरतजिन,
तुम हो तारण तरन ॥
भविजन प्यारे,
इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।

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