क्या आप कर्ज (Debt) और आर्थिक संकट (Financial Crisis) से परेशान हैं? क्या जीवन में मंगल (Auspiciousness) की कमी महसूस हो रही है? तो यह ब्लॉग आपके लिए है! प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब यह शुभ तिथि मंगलवार (Tuesday) को पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। यह व्रत भगवान शिव-माता पार्वती के साथ-साथ मंगल ग्रह (Lord Mangal) और संकटमोचक हनुमान जी की कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर है। आइए, विस्तार से जानते हैं इस व्रत की महिमा, पूजा विधि और कथा।
भौम प्रदोष व्रत की महिमा और लाभ (Significance and Benefits)
मंगलवार के दिन पड़ने के कारण यह व्रत ‘भौम प्रदोष’ कहलाता है। ‘भौम’ मंगल ग्रह का ही एक नाम है। मंगल साहस, ऊर्जा और ऋण (Loan) का कारक ग्रह है। इसलिए यह व्रत निम्न लाभ देता है:
- यह व्रत विशेष रूप से ऋण (Debt) और आर्थिक तंगी (Financial Hardship) से मुक्ति दिलाने के लिए फलदायी है।
- मंगल ग्रह रक्त और शक्ति का स्वामी है। यह व्रत शारीरिक व्याधियों और कष्टों को दूर करने में सहायक है।
- इस दिन शिव-पार्वती के साथ हनुमान जी की पूजा का विधान है, जिससे साधक को महादेव के आशीर्वाद के साथ-साथ बजरंगबली का बल और बुद्धि भी प्राप्त होती है।
- सच्चे मन से व्रत और पूजन करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि 2025 (Puja Vidhi)
भौम प्रदोष व्रत में शिव, पार्वती और हनुमान जी की एक साथ पूजा का विधान है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (Preferably Red or Saffron) धारण करें। पूजा घर को साफ करें। हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- दिनभर ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते रहें। संभव हो तो दिन में फलाहार (Fruits and Milk) ग्रहण करें।
- प्रदोष काल (शाम का समय) शुरू होने पर फिर से स्नान करें और पूजा की तैयारी करें:
- शिव परिवार और हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
- शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, अक्षत और सफेद पुष्प अर्पित करें।
- माता पार्वती को लाल पुष्प, रोली, अक्षत और चुनरी अर्पित करें।
- शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
- हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
- उन्हें लाल या पीले पुष्प, बूंदी के लड्डू (Boondi Laddoo) या गुड़-चना का भोग लगाएं।
- हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें। यह कर्ज मुक्ति के लिए बहुत प्रभावशाली है।
- भगवान शिव, माता पार्वती और हनुमान जी की आरती करें।
- भोग सभी को अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें। गरीबों या जरूरतमंदों को गुड़ और गेहूं का दान (Donation) करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)
प्राचीन काल की बात है। एक नगर में एक बहुत गरीब विधवा ब्राह्मणी रहती थी। उसका एकमात्र पुत्र था। वृद्धा बड़ी भक्तिभाव वाली थी और प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक हनुमान जी का व्रत रखती थी। वह न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती थी, क्योंकि वह इन कार्यों को मंगल के दिन अशुभ मानती थी।
एक दिन हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने का विचार किया। वह साधु का वेष धारण कर उसके द्वार पर आए और पुकार कर कहा, “ऐ वृद्धा! मैं भूखा हूँ, भोजन बना दो।”
वृद्धा ने उत्तर दिया, “महाराज! आज मंगलवार है, मैं व्रत रखती हूँ और घर में चूल्हा नहीं जलाती। भोजन नहीं बन पाएगा।”
साधु ने क्रोधित होकर कहा, “क्या तुम्हारा मंगल तुम्हारी दरिद्रता (Poverty) दूर करेगा? यदि तुम भोजन नहीं बना सकती तो कम से कम मेरे बैठने के लिए मिट्टी लीपकर स्थान ही बना दो।”
वृद्धा ने कहा, “क्षमा करें महाराज! मैं मंगल के दिन मिट्टी नहीं लीपती।”
साधु ने कहा, “यदि तुम मेरा कहा नहीं मानती हो, तो मैं तुम्हारे पुत्र को खा जाऊंगा।”
वृद्धा डर गई और उसने हाथ जोड़कर पुत्र की रक्षा की प्रार्थना की। साधु (हनुमान जी) ने जबरदस्ती उसके पुत्र को पेट के बल लिटाया और उसकी पीठ पर आग जलाकर तपस्या करने लगा।
वृद्धा बहुत दुखी हुई, पर उसने हनुमान जी पर अपनी श्रद्धा नहीं छोड़ी और चुपचाप अपने घर के कार्य करने लगी। जब भोजन तैयार हुआ, तो साधु ने वृद्धा को पुकारा और कहा, “तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।”
वृद्धा बोली, “महाराज, उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।”
साधु ने हँसते हुए कहा, “पुकारो तो सही!”
वृद्धा ने जैसे ही अपने पुत्र को पुकारा, पुत्र दौड़ता हुआ माता के पास आ गया। उसे जीवित देखकर वृद्धा आश्चर्यचकित रह गई और साधु के चरणों में गिर पड़ी।
तब हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और बोले, “हे माता! मैं तुम्हारी सेवा, भक्ति और श्रद्धा (Devotion) से अत्यंत प्रसन्न हूँ। माँगो, क्या मांगती हो?”
वृद्धा ने अपने पुत्र की सलामती और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। हनुमान जी ने उसे आशीर्वाद दिया और उसके सभी कष्ट दूर कर दिए।
इस प्रकार, हनुमान जी ने वृद्धा को भौम प्रदोष व्रत का सही फल प्रदान किया। तभी से यह माना जाता है कि भौम प्रदोष व्रत करने से शिव-पार्वती और हनुमान जी की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के ऋण, रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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