भगवान श्री राम, जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोत्तम (Maryada Purushottam) के रूप में पूजते हैं, केवल एक ऐतिहासिक चरित्र (Character) नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा (Soul) हैं। उनका नाम इतना शक्तिशाली है कि वह जीवन का आधार बन गया है। हम उन्हें ‘राम’ के नाम से जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र का ‘असली’ नाम क्या था?
यह ब्लॉग न केवल उनके नाम के रहस्य (mystery) को उजागर करेगा, बल्कि उनके बाल्यकाल (childhood) के 7 ऐसे अनछुए पहलुओं को भी सामने लाएगा, जो शायद ही कहीं और सुनने को मिले!
श्री राम का ‘असली’ नाम – नामकरण संस्कार का रहस्य
राम नाम, स्वयं में एक महामंत्र है, लेकिन वैदिक परंपरा के अनुसार, जब गुरु वशिष्ठ ने नवजात शिशु का नामकरण संस्कार (Naming Ceremony) किया, तब उन्होंने एक और विशिष्ट नाम दिया।
- कई प्राचीन ग्रंथों और लोक कथाओं के अनुसार, गुरु वशिष्ठ ने राम को दशरथ राघव नाम दिया था। ‘दशरथ’ पिता का नाम और ‘राघव’ रघुवंश का प्रतीक।
- ‘राम’ नाम ‘रघुकुल’ के तेज और मर्यादा का प्रतीक बना। “रा” का अर्थ है ‘तेजस्वी’ या ‘प्रकाश’, और “म” का अर्थ है ‘परमात्मा’।
- उन्हें श्री रामचंद्र क्यों कहा गया? कुछ कथाओं के अनुसार, जन्म के समय चंद्रमा (चंद्र) भगवान ने हठ किया कि वे प्रभु के दर्शन करेंगे, जिसके बाद राम ने अपने नाम के साथ ‘चंद्र’ जोड़कर उन्हें संतुष्ट किया।
उनका नाम कई रूपों में जाना जाता है, जैसे राम, राघव, रामचंद्र, लेकिन ‘दशरथ राघव’ उस राजकुल के गौरव को दिखाता है जिसमें उनका जन्म हुआ था। यह नाम दर्शाता है कि वह रघुवंश के वंशज और दशरथ के पुत्र हैं।
बाल्यकाल के 7 अनसुने और अनोखे रहस्य
श्री राम का बचपन (childhood) सिर्फ खेलकूद तक सीमित नहीं था। उनके बाल्यकाल की प्रत्येक घटना किसी बड़े उद्देश्य (Purpose) की ओर इशारा करती है।
- चंद्रमा का हठ और नामकरण – जैसा कि ऊपर बताया गया, एक कथा के अनुसार, शिशु राम को देखकर चंद्रमा इतने मोहित हो गए कि उन्होंने धरती पर उतरने की इच्छा व्यक्त की। माता कौशल्या ने एक पात्र (bowl) में जल लेकर चंद्रमा का प्रतिबिंब (reflection) दिखाया और प्रभु को शांत किया। यही कारण है कि राम को श्री रामचंद्र भी कहा गया। यह घटना उनके सौम्य (gentle) और मोहक व्यक्तित्व को दर्शाती है।
- वह गुरु जो सिर्फ राम के लिए आए! – क्या आप जानते हैं कि विश्वामित्र जैसे तेजस्वी और सिद्ध गुरु (Guru) का राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम ले जाना कोई सामान्य घटना नहीं थी। उन्होंने राम को न सिर्फ युद्ध कला (warfare) सिखाई, बल्कि कई ऐसे दिव्य अस्त्र-शस्त्रों (divine weapons) का ज्ञान दिया, जो केवल परमावतार (Supreme Incarnation) ही प्रयोग कर सकता था। विश्वामित्र का आना स्वयं एक ईश्वरीय योजना (Divine Plan) का हिस्सा था।
- ताड़का वध: पहला ‘कठिन’ निर्णय – राम का पहला युद्ध (war) एक स्त्री ताड़का के साथ था। इस वध पर उन्हें संकोच (hesitation) हुआ था, क्योंकि धर्म शास्त्रों में स्त्री पर वार वर्जित है। विश्वामित्र ने उन्हें समझाया कि ताड़का अब केवल एक स्त्री नहीं, बल्कि दुष्टता (evil) की प्रतीक है, और अधर्म का नाश ही क्षत्रिय का धर्म है। यह घटना राम के न्याय (justice) और धर्म के प्रति उनकी गहरी समझ को दर्शाती है।
- भाई भरत से अद्भुत प्रेम – राम और भरत का प्रेम किसी भी भाई-बंधु के लिए प्रेरणा (Inspiration) है। एक रहस्य यह भी है कि बचपन में राम और भरत एक-दूसरे के इतने करीब थे कि वे एक ही समय पर सोते और जागते थे। भरत का वनवास के दौरान नंदीग्राम में तपस्वी (ascetic) जीवन बिताना, उनके इस निस्वार्थ प्रेम (Selfless Love) की पराकाष्ठा थी।
- धनुष यज्ञ का ‘अज्ञात’ रहस्य – शिव धनुष (Shiva’s Bow) तोड़ना राम के लिए शक्ति प्रदर्शन नहीं था, बल्कि वह दर्शाता है कि जिस दैवीय शक्ति (Celestial Power) को कोई नहीं उठा सका, उसे राम ने सहजता से उठा लिया। यह घटना उनके भीतर छिपी अलौकिक शक्ति (Supernatural Power) का पहला सार्वजनिक प्रमाण थी।
- गुरु वशिष्ठ का विशेष आशीर्वाद – गुरु वशिष्ठ ने राम के जन्म के समय ही भविष्यवाणी (prediction) कर दी थी कि राम ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहलाएंगे। उन्होंने राम को केवल शिक्षा नहीं दी, बल्कि उन्हें ‘जीवन जीने की कला’ (Art of living) भी सिखाई। गुरु वशिष्ठ के आश्रम में बिताया गया समय राम के शांतिपूर्ण (peaceful) व्यक्तित्व का आधार बना।
- अयोध्या का ‘राम’ नाम! – यह रहस्य कम ही लोग जानते हैं कि राम के जन्म के बाद अयोध्या में ऐसी खुशी फैली थी कि लोग एक-दूसरे को ‘राम-राम’ कहकर अभिवादन (greeting) करते थे। राम नाम ने अयोध्या के वातावरण (atmosphere) को प्रेम और सद्भाव से भर दिया था।
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