एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत हर महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आता है। एकादशी के दिन, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए, भक्त उन्हें भोग भी लगाते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की उपासना और व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उन्हें विशेष भोग अर्पित करने की परंपरा है। यहाँ 4 विशेष भोगों के बारे में बताया जा रहा है जिन्हें एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित करने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है
तुलसी दल
तुलसी दल को भगवान विष्णु का प्रिय माना गया है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को ताजे तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी के पत्तों से भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
पंचामृत
पंचामृत पांच तत्वों – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर – से मिलकर बना होता है। इसे भगवान विष्णु को अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। पंचामृत से अभिषेक करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और भक्तों के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।
खीर
खीर भगवान विष्णु का प्रिय भोग है। एकादशी के दिन विशेष रूप से चावल और दूध से बनी खीर भगवान को अर्पित करें। खीर अर्पित करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। खीर को तुलसी के पत्तों से सजाकर अर्पित करें।
माखन मिश्री
माखन मिश्री भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। एकादशी के दिन भगवान को ताजे माखन और मिश्री का भोग लगाएं। माखन मिश्री का भोग अर्पित करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।
एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि इस प्रकार है:
स्नान और स्वच्छता:
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहाँ भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा सामग्री:
- दीपक, धूप, पुष्प, पंचामृत, तुलसी दल, खीर, माखन मिश्री
- चंदन, रोली, अक्षत (चावल), जल
पूजा विधि:
- दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें।
- धूप दिखाकर भगवान का ध्यान करें।
- चंदन, रोली, और अक्षत से भगवान का तिलक करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें और तुलसी दल अर्पित करें।
- भगवान को खीर और माखन मिश्री का भोग लगाएं।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
॥ एकादशी आरती ॥
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
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