गणेश चतुर्थी का पावन पर्व, जो भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है, पूरे भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है, जब भक्त अपने प्यारे बाप्पा को विदाई देते हैं और उन्हें अगले वर्ष फिर से आने का निमंत्रण देते हैं। 2025 में, यह विसर्जन एक बार फिर लाखों दिलों में श्रद्धा और भावना का संगम लेकर आएगा। आइए, विस्तार से जानते हैं गणेश विसर्जन क्यों इतना विशेष है, इसकी सही विधि, पालन करने योग्य नियम और हमारे पर्यावरण के लिए अनुकूल विकल्प क्या हैं।
गणेश विसर्जन 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त
सबसे पहले, गणेश विसर्जन 2025 की महत्वपूर्ण तिथि और शुभ मुहूर्त जानना आवश्यक है। आमतौर पर, गणेश चतुर्थी के 1.5, 3, 5, 7, 9 दिन या अनंत चतुर्दशी (10वें दिन) पर विसर्जन किया जाता है।
- 1.5 दिन का विसर्जन – (बृहस्पतिवार, अगस्त 28, 2025)
- 3 दिन का विसर्जन – (शुक्रवार, अगस्त 29, 2025)
- 5 दिन का विसर्जन – (रविवार, अगस्त 31, 2025)
- 7 दिन का विसर्जन – (मंगलवार, सितम्बर 2, 2025)
- अनंत चतुर्दशी (10वें दिन) का विसर्जन – (शनिवार, सितम्बर 6, 2025)
गणेश विसर्जन क्यों है इतना विशेष?
गणेश विसर्जन सिर्फ मूर्ति को पानी में डुबोना नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा दार्शनिक और आध्यात्मिक महत्व है:
- यह बताता है कि हर शुरुआत का एक अंत होता है और हर अंत एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है। भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति का पानी में घुलना यह दर्शाता है कि हमारा शरीर भी पंच तत्वों से बना है और अंततः उन्हीं में विलीन हो जाता है।
- माना जाता है कि दस दिनों तक भगवान गणेश अपने भक्तों के घरों में रहकर सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। विसर्जन के माध्यम से, यह सकारात्मक ऊर्जा जल के माध्यम से प्रकृति में वापस विलीन हो जाती है और सभी को लाभान्वित करती है।
- भक्त इस दौरान अपने सभी दुखों, चिंताओं और नकारात्मकता को बाप्पा के साथ विसर्जित करते हैं, यह मानते हुए कि भगवान उन्हें अपने साथ ले जाएंगे।
- विसर्जन ‘अलविदा’ नहीं, बल्कि ‘फिर मिलेंगे’ का वादा है। भक्त अगली गणेश चतुर्थी पर बाप्पा के फिर से आगमन की आशा और प्रार्थना के साथ उन्हें विदा करते हैं।
गणेश विसर्जन की सही विधि
विसर्जन की प्रक्रिया भक्ति और सम्मान के साथ की जानी चाहिए:
- अंतिम पूजा – विसर्जन से पहले, भगवान गणेश की मूर्ति की अंतिम आरती और पूजा करें। उन्हें मोदक, लड्डू और अन्य प्रिय भोग अर्पित करें।
- क्षमा याचना – जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए भगवान से क्षमा मांगें और उनसे अगले साल फिर से आने का आग्रह करें।
- जल अर्पित करना – एक छोटा पात्र लें और उसमें थोड़ा पानी लेकर भगवान गणेश के चरणों पर अर्पित करें। यह प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि आपने उन्हें विसर्जन के लिए तैयार कर दिया है।
- मूर्ति को उठाना – आदरपूर्वक मूर्ति को उठाएं। परिवार के सभी सदस्य ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ का जयघोष करते हुए शोभायात्रा में शामिल हों।
- विसर्जन स्थल पर – सुरक्षित और निर्धारित विसर्जन स्थल पर पहुंचें। यह सुनिश्चित करें कि आप भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचते हुए शांतिपूर्ण तरीके से विसर्जन करें।
- पानी में विसर्जन – धीरे से और श्रद्धा के साथ मूर्ति को पानी में विसर्जित करें। सुनिश्चित करें कि मूर्ति पूरी तरह से पानी में डूब जाए।
गणेश विसर्जन के दौरान पालन किए जाने वाले नियम और सावधानियां
सुरक्षित और सम्मानजनक विसर्जन के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है:
- सुरक्षित विसर्जन स्थल – केवल निर्धारित तालाबों, झीलों या कृत्रिम कुंडों में ही विसर्जन करें। नदियों और समुद्र तटों पर अनावश्यक भीड़ से बचें।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) मूर्तियों से बचें – पीओपी की मूर्तियां पानी में आसानी से नहीं घुलतीं और जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। मिट्टी की मूर्तियों को प्राथमिकता दें।
- रंगों का चयन – रासायनिक रंगों से रंगी मूर्तियों का उपयोग न करें। प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल रंगों का प्रयोग करें।
- अनावश्यक सजावट हटाएं – विसर्जन से पहले मूर्ति पर लगी सभी प्लास्टिक, थर्माकोल और अन्य गैर-जैविक सजावटी सामग्री हटा दें।
- शोर-शराबा कम करें – विसर्जन जुलूस के दौरान अत्यधिक शोर-शराबा और ध्वनि प्रदूषण से बचें। दूसरों का सम्मान करें।
- स्वच्छता बनाए रखें – विसर्जन स्थल पर स्वच्छता बनाए रखें। किसी भी प्रकार का कचरा न फैलाएं।
- बच्चों की निगरानी – बच्चों को विसर्जन स्थल पर अकेला न छोड़ें। उनकी सुरक्षा का ध्यान रखें।
- सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें – स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों और प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करें।
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