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केवल सबरीमाला नहीं! आप घर पर कैसे मना सकते हैं ‘मण्डला पूजा’? सरल विधि और मंत्रों का जाप।

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‘स्वामी शरणम् अयप्पा!’ जब भी ‘मण्डला पूजा’ (Mandala Pooja) का नाम आता है, तो मन में सबसे पहले केरल के पवित्र सबरीमाला (Sabarimala) तीर्थ की छवि उभरती है। 41 दिनों की कठोर तपस्या (Vratham) और भक्ति की यह अवधि, जिसे ‘मण्डलाकालम’ भी कहा जाता है, भक्तों को आत्म-शुद्धि (Self-Purification) और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबरीमाला जाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता, फिर भी आप इस दिव्य अनुशासन के पर्व को अपने घर की पवित्रता में पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ मना सकते हैं? यह 41 दिवसीय व्रत केवल शारीरिक शुद्धता का नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प है। यह ब्लॉग आपको बताएगा कि आप कैसे अपने घर को ही अयप्पा का धाम बनाकर, सरल विधि और प्रभावशाली मंत्रों के साथ मण्डला पूजा के पुण्य फलों को प्राप्त कर सकते हैं।

मण्डला पूजा क्या है और इसका महत्व (Significance of Mandala Pooja)

मण्डला पूजा भगवान अयप्पा को समर्पित एक वार्षिक अनुष्ठान है, जो मलयालम महीने वृश्चिकम (Vrishchikam) के पहले दिन से शुरू होकर 41 दिनों तक चलता है। ‘मण्डल’ शब्द 41 दिनों की अवधि को दर्शाता है।

इस पूजा का मुख्य उद्देश्य है:

  • आत्म-परिवर्तन (Self-Transformation) – 41 दिनों की तपस्या से भक्त अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना सीखते हैं, जिससे उनके भीतर अनुशासन और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
  • पाप-क्षमा (Absolution of Sins) – यह माना जाता है कि यदि यह व्रत पूरी निष्ठा और शुद्ध मन से किया जाए, तो व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव (Positive Changes) आते हैं।
  • दैवीय एकता (Divine Unity) – इस व्रत के दौरान, भक्त एक-दूसरे को ‘स्वामी’ या ‘अयप्पन’ कहकर संबोधित करते हैं, जो सभी में भगवान अयप्पा के दिव्य तत्व (Divine Element) को देखने का प्रतीक है।

घर पर मण्डला पूजा की सरल विधि (Simple Steps for Mandala Pooja at Home)

मण्डला पूजा का व्रत सबरीमाला की यात्रा करने वाले भक्तों के लिए अनिवार्य है, लेकिन इसे घर पर भी उतनी ही निष्ठा से किया जा सकता है।

माला धारण करना (Malayidal: Adorning the Mala)

  • व्रत की शुरुआत वृश्चिकम के पहले दिन (लगभग 15-17 नवंबर) या किसी शुभ शनिवार को करें।
  • रुद्राक्ष (Rudraksha) या तुलसी (Tulsi) की माला, जिसमें भगवान अयप्पा का लॉकेट हो, को किसी पुजारी या गुरु स्वामी (वह व्यक्ति जिसने कई बार सबरीमाला यात्रा की हो) से या अपने ही पूजा घर में, भगवान अयप्पा की मूर्ति या चित्र के समक्ष धारण करें।
  • माला धारण करते समय 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य, सात्विक जीवन, और इंद्रिय नियंत्रण का संकल्प लें।

व्रत के 41 नियम (The 41-Day Vratham Austerities)

यह व्रत इस पूजा की आत्मा है।

  • प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) और शाम को दो बार ठंडा स्नान करें।
  • इस दौरान सादे, काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनें। काले रंग को भौतिक आसक्तियों (Material Attachments) से वैराग्य का प्रतीक माना जाता है।
  • शराब, धूम्रपान, मांसाहार और सभी प्रकार के भोग-विलास से पूर्णतः दूर रहें।
  • इस अवधि में पूर्ण ब्रह्मचर्य (Celibacy) का पालन करें।
  • किसी से क्रोध न करें और हर व्यक्ति को ‘स्वामी’ कहकर सम्मान दें।
  • आरामदायक बिस्तर की बजाय फर्श पर चटाई बिछाकर सोएं (Sleeping on the floor)।

दैनिक पूजा और मंत्र जाप (Daily Worship and Mantra Chanting)

  • सामग्री (Pooja Samagri) – भगवान अयप्पा का चित्र या मूर्ति, घी का दीपक, धूप/अगरबत्ती, ताज़े फूल (विशेषकर नीले या पीले), नारियल, पान-सुपारी और प्रसाद के लिए फल या अप्पम/अरावणा।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर बैठें। दीपक प्रज्वलित करें: घी का दीपक जलाएँ। भगवान अयप्पा का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपको व्रत पूरा करने की शक्ति दें।
  • रुद्राक्ष की माला से ‘स्वामी शरणम् अयप्पा’ (Swami Sharanam Ayyappa) मंत्र का कम से कम 108 या 1008 बार जाप करें।
  • फल, नारियल या कोई सात्विक प्रसाद अर्पित करें। कर्पूर (Camphor) या घी के दीपक से आरती करें।
  • पूजा के बाद ‘शरणम्’ मंत्र बोलते हुए साष्टांग प्रणाम करें।

विशेष ‘शरणम्’ मंत्रों का जाप (Special Sharanam Mantras)

भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए ‘शरणम्’ (Sharanam) मंत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं। जाप के समय इन मंत्रों का प्रयोग करने से पूजा में अधिक ऊर्जा आती है:

  • मूल मंत्र – {ॐ श्री धर्म शास्ताय नमः}
  • शरणम् घोष (Sharanam Ghosh) – {स्वामी शरणम् अयप्पा।}, {हरिहरसुतने शरणम् अयप्पा।}, {कन्निकोट्टु स्वामी शरणम् अयप्पा।}, {अनाथा रक्षकने शरणम् अयप्पा।}, {अखिलान्डेस्वरी अम्मा, शरणम् अम्मा अयप्पा।}

मण्डला पूजा का अंतिम दिन: ‘कलावभिशेकम’ (The Final Day: Kalabhabhishekam)

41वें दिन, व्रत का समापन होता है, जिसे आप घर पर विशेष पूजा से कर सकते हैं:

  • इरुमुडी प्रतीक – यदि आप सबरीमाला नहीं जा रहे हैं, तो प्रतीकात्मक रूप से एक नारियल में घी भरकर (जो आपकी आत्मा का प्रतीक है) उसे कपड़े में लपेटकर रखें। पूजा के बाद इस घी को अपने घर के किसी पवित्र स्थान पर रखें या किसी मंदिर में दान दें।
  • कलश पूजन – चंदन पेस्ट (Sandalwood Paste), केसर और कपूर को मिलाकर एक कलश में रखें और इसे भगवान अयप्पा को अर्पित करें (इसे कलावभिशेकम का प्रतीकात्मक रूप माना जाता है)।
  • भजन और प्रसाद – इस दिन विशेष रूप से भगवान अयप्पा के भजन गाएं। पूजा के बाद ‘पायसम’ (Payasam) या अप्पम का सात्विक प्रसाद बनाकर भक्तों (विशेषकर बच्चों) में वितरित करें।
  • माला उतारना – किसी गुरु स्वामी या अपने माता-पिता के हाथों, पूजा के बाद माला उतारें। इसे किसी पवित्र स्थान पर सुरक्षित रख दें।

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