देवी तारा सहस्रनामावली

देवी तारा दस महाविद्याओं में दूसरी महाविद्या मानी जाती हैं। उनका स्वरूप करुणा, रक्षा और ज्ञान का प्रतीक है। देवी तारा को ‘नील सरस्वती’ के नाम से भी जाना जाता है। वे साधकों को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान और आध्यात्मिक प्रकाश की ओर ले जाती हैं। तारा सहस्रनामावली में देवी के एक हजार…

देवी धूमावती सहस्रनामावली

देवी धूमावती महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या हैं, जिन्हें विध्वंसी स्वरूप की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे अद्वितीय, रहस्यमय और त्रिगुणात्मक शक्ति का प्रतीक हैं। देवी धूमावती का स्वरूप त्याग, वैराग्य, और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाता है। उनकी सहस्रनामावली में एक हजार नामों का संग्रह है, जो उनकी अपार शक्ति, करुणा, और कृपा…

श्री मातङ्गी स्तोत्रम् 2

|| श्री मातङ्गी स्तोत्रम् 2 || मातङ्गीं मधुपानमत्तनयनां मातङ्ग सञ्चारिणीं कुम्भीकुम्भविवृत्तपीवरकुचां कुम्भादिपात्राञ्चिताम् । ध्यायेऽहं मधुमारणैकसहजां ध्यातुः सुपुत्रप्रदां शर्वाणीं सुरसिद्धसाध्यवनिता संसेविता पादुकाम् ॥ १ ॥ मातङ्गी महिषादिराक्षसकृतध्वान्तैकदीपो मणिः मन्वादिस्तुत मन्त्रराजविलसत्सद्भक्त चिन्तामणिः । श्रीमत्कौलिकदानहास्यरचना चातुर्य राकामणिः देवि त्वं हृदये वसाद्यमहिमे मद्भाग्य रक्षामणिः ॥ २ ॥ जय देवि विशालाक्षि जय सर्वेश्वरि जय । जयाञ्जनगिरिप्रख्ये महादेव प्रियङ्करि ॥ ३…

श्री मातङ्गी स्तोत्रम्

|| श्री मातङ्गी स्तोत्रम् || ईश्वर उवाच । आराध्य मातश्चरणाम्बुजे ते ब्रह्मादयो विस्तृतकीर्तिमापुः । अन्ये परं वा विभवं मुनीन्द्राः परां श्रियं भक्तिभरेण चान्ये ॥ १ नमामि देवीं नवचन्द्रमौले- -र्मातङ्गिनीं चन्द्रकलावतंसाम् । आम्नायप्राप्तिप्रतिपादितार्थं प्रबोधयन्तीं प्रियमादरेण ॥ २ ॥ विनम्रदेवासुरमौलिरत्नै- -र्नीराजितं ते चरणारविन्दम् । भजन्ति ये देवि महीपतीनां व्रजन्ति ते सम्पदमादरेण ॥ ३ ॥ कृतार्थयन्तीं पदवीं पदाभ्या-…

देवी वाराही सहस्रनामावली

देवी वाराही शक्ति के सात मातृका रूपों में से एक हैं और वे सृष्टि, रक्षा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। देवी वाराही का स्वरूप दिव्य शक्ति और साहस का प्रतीक है। वे भगवान विष्णु के वराह अवतार की शक्ति हैं और रात्रिचर शक्तियों का विनाश करती हैं। वाराही सहस्रनामावली में देवी के एक…

देवी भुवनेश्वरी सहस्रनामावली

देवी भुवनेश्वरी, आदि शक्ति के महाविद्या स्वरूपों में से एक हैं। उन्हें सृष्टि की अधिष्ठात्री और समस्त ब्रह्मांड की माता के रूप में पूजा जाता है। वे ब्रह्मांड को चलाने वाली शक्ति हैं और अपने भक्तों को ज्ञान, शक्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं। भुवनेश्वरी सहस्रनामावली में देवी के एक हजार दिव्य नामों का उल्लेख…

महाकाल सहस्रनामावली

श्री महाकाल भगवान शिव का वह स्वरूप हैं जो समय, मृत्यु और सृष्टि के नियंता माने जाते हैं। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को इनका निवास स्थान माना जाता है। श्री महाकाल सहस्रनामावली भगवान महाकाल के एक हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी शक्ति, करुणा और महिमा का वर्णन करते हैं। यह सहस्रनामावली…

धन्वन्तरि सहस्रनामावली

श्री धन्वन्तरि भगवान को आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता माना जाता है। उनका प्रकट होना समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के साथ हुआ था। वे सभी रोगों के निवारणकर्ता और आरोग्य के संरक्षक माने जाते हैं। श्री धन्वन्तरि सहस्रनामावली में उनके एक हजार दिव्य नामों का संग्रह है, जो उनकी शक्ति, करुणा…

श्री मातङ्गी कवचम् (सुमुखी कवचम्)

|| श्री मातङ्गी कवचम् (सुमुखी कवचम्) || श्रीपार्वत्युवाच । देवदेव महादेव सृष्टिसंहारकारक । मातङ्ग्याः कवचं ब्रूहि यदि स्नेहोऽस्ति ते मयि ॥ १ ॥ शिव उवाच । अत्यन्तगोपनं गुह्यं कवचं सर्वकामदम् । तव प्रीत्या मयाऽऽख्यातं नान्येषु कथ्यते शुभे ॥ २ ॥ शपथं कुरु मे देवि यदि किञ्चित्प्रकाशसे । अनया सदृशी विद्या न भूता न भविष्यति ॥…

श्री मातङ्गिनी कवचम् (त्रैलोक्यमङ्गल कवचम्)

|| श्री मातङ्गिनी कवचम् (त्रैलोक्यमङ्गल कवचम्) || श्रीदेव्युवाच । साधु साधु महादेव कथयस्व सुरेश्वर । मातङ्गीकवचं दिव्यं सर्वसिद्धिकरं नृणाम् ॥ १ ॥ श्री ईश्वर उवाच । शृणु देवि प्रवक्ष्यामि मातङ्गीकवचं शुभम् । गोपनीयं महादेवि मौनी जापं समाचरेत् ॥ २ ॥ अस्य श्रीमातङ्गीकवचस्य दक्षिणामूर्तिरृषिः विराट् छन्दः मातङ्गी देवता चतुर्वर्गसिद्ध्यर्थे विनियोगः ॥ ओं शिरो मातङ्गिनी पातु भुवनेशी…

गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम् २

|| गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम् २ || ध्यानम् – मुक्ताविद्रुमहेमनीलधवलच्छायैर्मुखैस्त्रीक्षणैः युक्तामिन्दुनिबद्धरत्नमकुटां तत्त्वार्थवर्णात्मिकाम् । गायत्रीं वरदाऽभयाङ्कुशकशाः शुभ्रं कपालं गदां शङ्खं चक्रमथारविन्दयुगलं हस्तैर्वहन्तीं भजे ॥ अथ स्तोत्रं – तत्काररूपा तत्त्वज्ञा तत्पदार्थस्वरूपिणी । तपस्स्व्याध्यायनिरता तपस्विजनसन्नुता ॥ १ ॥ तत्कीर्तिगुणसम्पन्ना तथ्यवाक्च तपोनिधिः । तत्त्वोपदेशसम्बन्धा तपोलोकनिवासिनी ॥ २ ॥ तरुणादित्यसङ्काशा तप्तकाञ्चनभूषणा । तमोऽपहारिणी तन्त्री तारिणी ताररूपिणी ॥ ३ ॥ तलादिभुवनान्तःस्था तर्कशास्त्रविधायिनी…

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम् 1

|| श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम् 1 || नारद उवाच । भगवन् सर्वधर्मज्ञ सर्वशास्त्रविशारद । श्रुतिस्मृतिपुराणानां रहस्यं त्वन्मुखाच्छ्रुतम् ॥ १ ॥ सर्वपापहरं देव येन विद्या प्रवर्तते । केन वा ब्रह्मविज्ञानं किं नु वा मोक्षसाधनम् ॥ २ ॥ ब्राह्मणानां गतिः केन केन वा मृत्युनाशनम् । ऐहिकामुष्मिकफलं केन वा पद्मलोचन ॥ ३ ॥ वक्तुमर्हस्यशेषेण सर्वे निखिलमादितः । श्रीनारायण…

श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनामावली २

|| श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनामावली २ || ओं तरुणादित्यसङ्काशायै नमः । ओं सहस्रनयनोज्ज्वलायै नमः । ओं स्यन्दनोपरिसंस्थानायै नमः । ओं धीरायै नमः । ओं जीमूतनिस्स्वनायै नमः । ओं मत्तमातङ्गगमनायै नमः । ओं हिरण्यकमलासनायै नमः । ओं धीजनोद्धारनिरतायै नमः । ओं योगिन्यै नमः । ९ ओं योगधारिण्यै नमः । ओं नटनाट्यैकनिरतायै नमः । ओं प्रणवाद्यक्षरात्मिकायै नमः । ओं…

श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनामावली १

|| श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनामावली १ || ओं श्रीगायत्र्यै नमः । ओं जगन्मात्रे नमः । ओं परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः । ओं परमार्थप्रदायै नमः । ओं जप्यायै नमः । ओं ब्रह्मतेजोविवर्धिन्यै नमः । ओं ब्रह्मास्त्ररूपिण्यै नमः । ओं भव्यायै नमः । ओं त्रिकालध्येयरूपिण्यै नमः । ९ ओं त्रिमूर्तिरूपायै नमः । ओं सर्वज्ञायै नमः । ओं वेदमात्रे नमः । ओं…

श्री गायत्री अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

|| श्री गायत्री अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् || अस्य श्रीगायत्र्यष्टोत्तरशत दिव्यनामस्तोत्र मन्त्रस्य ब्रह्माविष्णुमहेश्वरा ऋषयः ऋग्यजुस्सामाथर्वाणि छन्दांसि परब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री देवता ओं तद्बीजं भर्गः शक्तिः धियः कीलकं मम गायत्रीप्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । तरुणादित्यसङ्काशा सहस्रनयनोज्ज्वला । स्यन्दनोपरिसंस्थाना धीरा जीमूतनिस्स्वना ॥ १ ॥ मत्तमातङ्गगमना हिरण्यकमलासना । धीजनोद्धारनिरता योगिनी योगधारिणी ॥ २ ॥ नटनाट्यैकनिरता प्रणवाद्यक्षरात्मिका । घोराचारक्रियासक्ता दारिद्र्यच्छेदकारिणी ॥ ३ ॥…

श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् १

|| श्री गायत्र्यष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् १ || श्रीगायत्री जगन्माता परब्रह्मस्वरूपिणी । परमार्थप्रदा जप्या ब्रह्मतेजोविवर्धिनी ॥ १ ॥ ब्रह्मास्त्ररूपिणी भव्या त्रिकालध्येयरूपिणी । त्रिमूर्तिरूपा सर्वज्ञा वेदमाता मनोन्मनी ॥ २ ॥ बालिका तरुणी वृद्धा सूर्यमण्डलवासिनी । मन्देहदानवध्वंसकारिणी सर्वकारणा ॥ ३ ॥ हंसारूढा वृषारूढा गरुडारोहिणी शुभा । षट्कुक्षिस्त्रिपदा शुद्धा पञ्चशीर्षा त्रिलोचना ॥ ४ ॥ त्रिवेदरूपा त्रिविधा त्रिवर्गफलदायिनी । दशहस्ता चन्द्रवर्णा…

श्री गुरु सहस्रनामावली

गुरु को आध्यात्मिक मार्गदर्शक और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। वे व्यक्ति को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। श्री गुरु सहस्रनामावली में गुरु के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है, जो उनकी करुणा, ज्ञान, और मार्गदर्शन को दर्शाते हैं। यह सहस्रनामावली भक्त को गुरु तत्व…

श्री सुब्रमण्या सहस्रनामावली

श्री सुब्रमण्या स्वामी, जिन्हें भगवान कार्तिकेय, स्कंद, या मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है, शक्ति और विजय के देवता हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और देवताओं के सेनापति के रूप में उनकी पूजा की जाती है। श्री सुब्रमण्या सहस्रनामावली भगवान सुब्रमण्या के एक हजार पवित्र नामों का संग्रह…

श्री गायत्री सहस्रनामावली

श्री गायत्री देवी को वेदों की माता और समस्त ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। वे त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। गायत्री मंत्र के साथ उनकी आराधना को सबसे श्रेष्ठ और शक्तिशाली माना गया है। गायत्री सहस्रनामावली में देवी गायत्री के एक हजार दिव्य और पवित्र नामों का…

भगवान राम सहस्रनामावली

भगवान राम, जो धर्म, मर्यादा, और आदर्श जीवन का प्रतीक हैं, त्रेता युग में भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में अवतरित हुए। उनका जीवन और चरित्र “रामायण” में वर्णित है, जो मानवता के लिए धर्म और कर्तव्य का आदर्श प्रस्तुत करता है। भगवान राम सहस्रनामावली में उनके एक हजार पवित्र नामों का संकलन…

भगवान कार्तिकेय सहस्रनामावली

भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, स्कंद, और सुब्रमण्य स्वामी के नाम से भी जाना जाता है, देवताओं के सेनापति और शक्ति के प्रतीक हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र तथा भगवान गणेश के भाई हैं। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष आराधना होती है। उनकी पूजा शक्ति, विजय, और ज्ञान प्राप्ति के…

भगवान गणेश सहस्रनामावली

भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदायक” के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के स्मरण और पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। गणेश सहस्रनामावली भगवान गणेश के एक हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी महिमा, शक्तियों और दिव्य…

देवी अन्नपूर्णा सहस्रनामावली

देवी अन्नपूर्णा हिंदू धर्म में भोजन, समृद्धि और सुख-शांति की देवी मानी जाती हैं। वे भगवान शिव की अर्धांगिनी और जगत माता पार्वती का स्वरूप हैं। “अन्नपूर्णा” का अर्थ है “भोजन से परिपूर्ण”, और उनकी कृपा से भक्तों को जीवन में कभी भी भोजन या धन की कमी नहीं होती। देवी अन्नपूर्णा सहस्रनामावली में उनके…

देवी मातंगी सहस्रनामावली

देवी मातंगी तंत्र साधना और विद्या की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उन्हें “तंत्र स्वरूपिणी” और “सरस्वती का तांत्रिक रूप” भी कहा जाता है। देवी मातंगी सहस्रनामावली में उनके एक हजार पवित्र नामों का वर्णन है, जो उनकी महिमा, शक्ति और अनुकंपा को प्रकट करते हैं। यह सहस्रनामावली देवी की कृपा प्राप्त करने और जीवन…

श्री गायत्री मन्त्र कवचम् (देवीभागवते)

|| श्री गायत्री मन्त्र कवचम् (देवीभागवते) || नारद उवाच । स्वामिन् सर्वजगन्नाथ संशयोऽस्ति मम प्रभो । चतुःषष्टिकलाभिज्ञ पातकाद्योगविद्वर ॥ १ ॥ मुच्यते केन पुण्येन ब्रह्मरूपः कथं भवेत् । देहश्च देवतारूपो मन्त्ररूपो विशेषतः ॥ २ ॥ कर्म तच्छ्रोतुमिच्छामि न्यासं च विधिपूर्वकम् । ऋषिश्छन्दोऽधिदैवं च ध्यानम् च विधिवद्विभो ॥ ३ ॥ श्रीनारायण उवाच । अस्त्येकं परमं गुह्यं…

श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम्

|| श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम् || उषःकालगम्यामुदात्त स्वरूपां अकारप्रविष्टामुदाराङ्गभूषाम् । अजेशादि वन्द्यामजार्चाङ्गभाजां अनौपम्यरूपां भजाम्यादिसन्ध्याम् ॥ १ ॥ सदा हंसयानां स्फुरद्रत्नवस्त्रां वराभीतिहस्तां खगाम्नायरूपाम् । स्फुरत्स्वाधिकामक्षमालां च कुम्भं दधनामहं भावये पूर्वसन्ध्याम् ॥ २ ॥ प्रवाल प्रकृष्टाङ्ग भूषोज्ज्वलन्तीं किरीटोल्लसद्रत्नराजप्रभाताम् । विशालोरुभासां कुचाश्लेषहारां भजे बालकां ब्रह्मविद्यां विनोदाम् ॥ ३ ॥ स्फुरच्चन्द्रकान्तां शरच्चन्द्रवक्त्रां महाचन्द्रकान्ताद्रि पीनस्तनाढ्याम् । त्रिशूलाक्षहस्तां त्रिनेत्रस्य पत्नीं वृषारूढपादां…

श्री शिव सहस्रनामावली

श्री शिव सहस्रनामावली भगवान शिव के हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी अनंत शक्तियों, दिव्य स्वरूपों और महिमा का वर्णन करता है। भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है, सृष्टि के संहारक और पुनर्निर्माण के देवता हैं। इस सहस्रनामावली का पाठ करने से भगवान शिव की…

श्री गायत्री पञ्जर स्तोत्रम् (सावित्री पञ्जरम्)

|| श्री गायत्री पञ्जर स्तोत्रम् (सावित्री पञ्जरम्) || भगवन्तं देवदेवं ब्रह्माणं परमेष्ठिनम् । विधातारं विश्वसृजं पद्मयोनिं प्रजापतिम् ॥ १ ॥ शुद्धस्फटिकसङ्काशं महेन्द्रशिखरोपमम् । बद्धपिङ्गजटाजूटं तडित्कनककुण्डलम् ॥ २ ॥ शरच्चन्द्राभवदनं स्फुरदिन्दीवरेक्षणम् । हिरण्मयं विश्वरूपमुपवीताजिनावृतम् ॥ ३ ॥ मौक्तिकाभाक्षवलयस्तन्त्रीलयसमन्वितः । कर्पूरोद्धूलिततनुं स्रष्टारं नेत्रगोचरम् ॥ ४ ॥ विनयेनोपसङ्गम्य शिरसा प्रणिपत्य च । नारदः परिपप्रच्छ देवर्षिगणमध्यगः ॥ ५ ॥…

श्री कृष्ण सहस्रनामावली

श्री कृष्ण सहस्रनामावली में भगवान श्रीकृष्ण के एक हजार पवित्र और दिव्य नामों का वर्णन है। यह नाम उनके विभिन्न स्वरूपों, लीलाओं, गुणों और महिमा को प्रकट करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें योगेश्वर, मुरलीधर और गोविंद के नाम से भी जाना जाता है, प्रेम, करुणा और ज्ञान के प्रतीक हैं। इस सहस्रनामावली का पाठ करने…

श्री राधिका सहस्रनामावली

श्री राधिका सहस्रनामावली में राधारानी के एक हजार दिव्य और पवित्र नामों का वर्णन है। यह सहस्रनामावली उनके अलौकिक प्रेम, दिव्यता और भक्तों पर उनकी अनुकंपा का गुणगान करती है। राधारानी भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और प्रेम का सर्वोच्च रूप हैं। उनका यह सहस्रनाम स्तोत्र हर उस भक्त के लिए है, जो सच्चे प्रेम, भक्ति…

देवी छिन्नमस्ता सहस्रनामावली

देवी छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में से एक हैं और उनका स्वरूप शक्ति, त्याग, और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। छिन्नमस्ता का अर्थ है “कटी हुई मस्तक वाली देवी”। यह स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि अहंकार का त्याग और आत्मबलिदान से व्यक्ति सच्ची सिद्धि प्राप्त करता है। देवी छिन्नमस्ता सहस्रनामावली में उनके एक हजार पवित्र…

श्री गायत्री तत्त्वमालामन्त्रम्

|| श्री गायत्री तत्त्वमालामन्त्रम् || अस्य श्रीगायत्रीतत्त्वमालामन्त्रस्य विश्वामित्र ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः परमात्मा देवता हलो बीजानि स्वराः शक्तयः अव्यक्तं कीलकं मम समस्तपापक्षयार्थे श्रीगायत्री मालामन्त्र जपे विनियोगः । चतुर्विंशति तत्त्वानां यदेकं तत्त्वमुत्तमम् । अनुपाधि परं ब्रह्म तत्परं ज्योतिरोमिति ॥ १ ॥ यो वेदादौ स्वरः प्रोक्तो वेदान्ते च प्रतिष्ठितः । तस्य प्रकृतिलीनस्य तत्परं ज्योतिरोमिति ॥ २ ॥ तदित्यादिपदैर्वाच्यं…

भगवान विष्णु सहस्रनामावली

भगवान विष्णु सहस्रनामावली में भगवान विष्णु के एक हजार पवित्र नामों का वर्णन है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और समस्त ब्रह्मांड के संरक्षक हैं। उनका यह सहस्रनाम उनके दिव्य गुणों, स्वरूपों और महिमा का गुणगान करता है। विष्णु सहस्रनामावली का पाठ भक्तों को हर प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने, आत्मिक शांति प्राप्त करने,…

श्री गायत्री कवचम् २

|| श्री गायत्री कवचम् २ || अस्य श्रीगायत्री कवचस्य ब्रह्मा ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः गायत्री देवता भूः बीजं भुवः शक्तिः स्वः कीलकं श्रीगायत्री प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । ध्यानम् – पञ्चवक्त्रां दशभुजां सूर्यकोटिसमप्रभाम् । सावित्री ब्रह्मवरदां चन्द्रकोटिसुशीतलाम् ॥ १ ॥ त्रिनेत्रां सितवक्त्रां च मुक्ताहारविराजिताम् । वराऽभयाङ्कुशकशां हेमपात्राक्षमालिकाम् ॥ २ ॥ शङ्खचक्राब्जयुगलं कराभ्यां दधती पराम् । सितपङ्कजसंस्था च…

श्री गायत्री कवचम् १

|| श्री गायत्री कवचम् १ || याज्ञवल्क्य उवाच । स्वामिन् सर्वजगन्नाथ संशयोऽस्ति महान्मम । चतुःषष्टिकलानां च पातकानां च तद्वद ॥ १ ॥ मुच्यते केन पुण्येन ब्रह्मरूपं कथं भवेत् । देहश्च देवतारूपो मन्त्ररूपो विशेषतः । क्रमतः श्रोतुमिच्छामि कवचं विधिपूर्वकम् ॥ २ ॥ ब्रह्मोवाच । अस्य श्रीगायत्रीकवचस्य ब्रह्मविष्णुरुद्रा ऋषयः, ऋग्यजुःसामाथर्वाणि छन्दांसि, परब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री देवता, भूर्बीजं, भुवः शक्तिः,…

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप को समर्पित है। अर्धनारीश्वर का स्वरूप शिव और शक्ति का अद्वितीय संगम है, जो सृष्टि की संतुलित रचना और समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा के मूल रूप को दर्शाता है। सहस्रनामावली में अर्धनारीश्वर के हजार नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों…

श्री गायत्र्यक्षरवल्ली स्तोत्रम्

|| श्री गायत्र्यक्षरवल्ली स्तोत्रम् || तत्कारं चम्पकं पीतं ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम् । शान्तं पद्मासनारूढं ध्यायेत् स्वस्थान संस्थितम् ॥ १ ॥ सकारं चिन्तयेच्छान्तं अतसीपुष्पसन्निभम् । पद्ममध्यस्थितं काम्यमुपपातकनाशनम् ॥ २ ॥ विकारं कपिलं चिन्त्यं कमलासनसंस्थितम् । ध्यायेच्छान्तं द्विजश्रेष्ठो महापातकनाशनम् ॥ ३ ॥ तुकारं चिन्तयेत्प्राज्ञ इन्द्रनीलसमप्रभम् । निर्दहेत्सर्वदुःखस्तु ग्रहरोगसमुद्भवम् ॥ ४ ॥ वकारं वह्निदीप्ताभं चिन्तयित्वा विचक्षणः । भ्रूणहत्याकृतं पापं तक्षणादेव…

दत्तात्रेय सहस्रनामावली

दत्तात्रेय सहस्रनामावली भगवान दत्तात्रेय को समर्पित एक अद्भुत स्तोत्र है। भगवान दत्तात्रेय त्रिमूर्ति के संयुक्त अवतार हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित हैं। वे गुरु तत्व के सर्वोच्च प्रतीक हैं और आत्मज्ञान, वैराग्य, और ज्ञान प्रदान करते हैं। इस सहस्रनामावली में भगवान दत्तात्रेय के हजार पवित्र नामों का वर्णन है, जो उनके…

श्री गायत्री अष्टकम् – २

|| श्री गायत्री अष्टकम् – २ || सुकल्याणीं वाणीं सुरमुनिवरैः पूजितपदां शिवामाद्यां वन्द्यां त्रिभुवनमयीं वेदजननीम् । परां शक्तिं स्रष्टुं विविधविधरूपां गुणमयीं भजेऽम्बां गायत्रीं परमसुभगानन्दजननीम् ॥ १ ॥ विशुद्धां सत्त्वस्थामखिलदुरवस्थादिहरणीं निराकारां सारां सुविमल तपोमूर्तिमतुलाम् । जगज्ज्येष्ठां श्रेष्ठामसुरसुरपूज्यां श्रुतिनुतां भजेऽम्बां गायत्रीं परमसुभगानन्दजननीम् ॥ २ ॥ तपोनिष्ठाभीष्टां स्वजनमनसन्तापशमनीं दयामूर्तिं स्फूर्तिं यतितति प्रसादैकसुलभाम् । वरेण्यां पुण्यां तां निखिलभवबन्धापहरणीं भजेऽम्बां…

श्री गायत्री अष्टकम् १

|| श्री गायत्री अष्टकम् १ || विश्वामित्रतपःफलां प्रियतरां विप्रालिसंसेवितां नित्यानित्यविवेकदां स्मितमुखीं खण्डेन्दुभूषोज्ज्वलाम् । ताम्बूलारुणभासमानवदनां मार्ताण्डमध्यस्थितां गायत्रीं हरिवल्लभां त्रिणयनां ध्यायामि पञ्चाननाम् ॥ १ ॥ जातीपङ्कजकेतकीकुवलयैः सम्पूजिताङ्घ्रिद्वयां तत्त्वार्थात्मिकवर्णपङ्क्तिसहितां तत्त्वार्थबुद्धिप्रदाम् । प्राणायामपरायणैर्बुधजनैः संसेव्यमानां शिवां गायत्रीं हरिवल्लभां त्रिणयनां ध्यायामि पञ्चाननाम् ॥ २ ॥ मञ्जीरध्वनिभिः समस्तजगतां मञ्जुत्वसंवर्धनीं विप्रप्रेङ्खितवारिवारितमहारक्षोगणां मृण्मयीम् । जप्तुः पापहरां जपासुमनिभां हंसेन संशोभितां गायत्रीं हरिवल्लभां त्रिणयनां ध्यायामि पञ्चाननाम्…

श्री लक्ष्मी सहस्रनामावली

श्री लक्ष्मी सहस्रनामावली माता लक्ष्मी के हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी अद्भुत महिमा और दिव्य स्वरूप को प्रकट करती है। माता लक्ष्मी धन, वैभव, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी हैं। यह सहस्रनामावली उनके गुणों, स्वरूपों और कृपा के विभिन्न आयामों का विस्तार से वर्णन करती है। इसका पाठ न केवल आर्थिक समृद्धि…

बटुक भैरव सहस्रनामावली

बटुक भैरव सहस्रनामावली भगवान भैरव को समर्पित एक अद्भुत स्तोत्र है जिसमें उनके हजार नामों का वर्णन किया गया है। भगवान भैरव को शिव जी का उग्र और रक्षक स्वरूप माना जाता है। उनका यह स्वरूप भक्तों को बुरी शक्तियों, कष्टों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने वाला है। बटुक भैरव सहस्रनामावली में उनके प्रत्येक नाम…

उच्छिष्टगणपति पंचांग (Uchchishtaganpati Panchang)

उच्छिष्टगणपति पंचांग (Uchchishtaganpati Panchang)

उच्छिष्ट गणपति पंचांग एक अनमोल पुस्तक है जिसे पंडित खेमा राज कृष्णदास जी ने लिखा है। यह पुस्तक विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक साधकों के लिए तैयार की गई है, जो उच्छिष्ट गणपति की साधना और उनसे जुड़ी तांत्रिक विधियों को समझने और अपनाने में रुचि रखते हैं। उच्छिष्ट गणपति कौन हैं? उच्छिष्ट गणपति…

श्री लक्ष्म्यष्टक स्तोत्रम्

|| श्री लक्ष्म्यष्टक स्तोत्रम् || महालक्ष्मि भद्रे परव्योमवासि- -न्यनन्ते सुषुम्नाह्वये सूरिजुष्टे । जये सूरितुष्टे शरण्ये सुकीर्ते प्रसादं प्रपन्ने मयि त्वं कुरुष्व ॥ १ ॥ सति स्वस्ति ते देवि गायत्रि गौरि ध्रुवे कामधेनो सुराधीश वन्द्ये । सुनीते सुपूर्णेन्दुशीते कुमारि प्रसादं प्रपन्ने मयि त्वं कुरुष्व ॥ २ ॥ सदा सिद्धगन्धर्वयक्षेशविद्या- -धरैः स्तूयमाने रमे रामरामे । प्रशस्ते समस्तामरी…

श्री महालक्ष्मी स्तोत्रम् (महेन्द्र कृतम्)

|| श्री महालक्ष्मी स्तोत्रम् (महेन्द्र कृतम्) || महेन्द्र उवाच । नमः कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नमः । कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नमः ॥ १ ॥ पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नमः । पद्मासनायै पद्मिन्यै वैष्णव्यै च नमो नमः ॥ २ ॥ सर्वसम्पत्स्वरूपायै सर्वदात्र्यै नमो नमः । सुखदायै मोक्षदायै सिद्धिदायै नमो नमः ॥ ३ ॥ हरिभक्तिप्रदात्र्यै च…

श्री लक्ष्मी स्तोत्रम् (अगस्त्य कृतम्)

|| श्री लक्ष्मी स्तोत्रम् (अगस्त्य कृतम्) || जय पद्मपलाशाक्षि जय त्वं श्रीपतिप्रिये । जय मातर्महालक्ष्मि संसारार्णवतारिणि ॥ १ ॥ महालक्ष्मि नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥ २ ॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूतहितार्थाय वसुवृष्टिं सदा कुरु ॥ ३ ॥ जगन्मातर्नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे । दयावति नमस्तुभ्यं विश्वेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ४…

श्री शनि वज्र पंजर कवचम्

॥ श्री शनि वज्र पंजर कवचम् ॥ ॥ विनियोगः ॥ ॐ अस्य श्रीशनैश्चरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री शनैश्चर देवता, श्रीशनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ॥ ऋष्यादि न्यासः ॥ श्रीकश्यप ऋषयेनमः शिरसि । अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे । श्रीशनैश्चर देवतायै नमः हृदि । श्रीशनैश्चरप्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ॥ ॥ ध्यानम् ॥ नीलाम्बरो नीलवपुः…

श्री लक्ष्मी गायत्री मन्त्रस्तुतिः

|| श्री लक्ष्मी गायत्री मन्त्रस्तुतिः || श्रीर्लक्ष्मी कल्याणी कमला कमलालया पद्मा । मामकचेतः सद्मनि हृत्पद्मे वसतु विष्णुना साकम् ॥ १ ॥ तत्सदों श्रीमितिपदैश्चतुर्भिश्चतुरागमैः । चतुर्मुखस्तुता मह्यमिन्दिरेष्टं प्रयच्छतु ॥ २ ॥ सच्चित्सुखत्रयीमूर्ति सर्वपुण्यफलात्मिका । सर्वेशमहिषी मह्यमिन्दिरेष्टं प्रयच्छतु ॥ ३ ॥ विद्या वेदान्तसिद्धान्तविवेचनविचारजा । विष्णुस्वरूपिणी मह्यमिन्दिरेष्टं प्रयच्छतु ॥ ४ ॥ तुरीयाऽद्वैतविज्ञानसिद्धिसत्तास्वरूपिणी । सर्वतत्त्वमयी मह्यमिन्दिरेष्टं प्रयच्छतु ॥ ५…