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मां अन्नपूर्णा को कैसे करें प्रसन्न? जयंती पर करें ये 5 अचूक काम, कभी खाली नहीं होगा अन्न का भंडार।

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मार्गशीर्ष माह (Margashirsha Month) की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली ‘अन्नपूर्णा जयंती’ (Annapurna Jayanti) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन देवी अन्नपूर्णा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है, जिन्हें माँ पार्वती (Maa Parvati) का ही एक स्वरूप माना जाता है और जो अन्न, समृद्धि और पोषण की देवी हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से देवी की पूजा करने और कुछ विशेष उपाय करने से घर में कभी भी अन्न (food) और धन (money) की कमी नहीं होती। क्या आप भी अपने घर में सुख-समृद्धि और अन्न का अक्षय भंडार (eternal storehouse of grain) चाहते हैं? तो इस जयंती पर आपको कौन से 5 अचूक काम करने चाहिए, आइए जानते हैं इस विस्तृत ब्लॉग में।

जयंती पर करें रसोईघर (Kitchen) की विशेष पूजा

माँ अन्नपूर्णा का वास रसोईघर में होता है, और यही वह स्थान है जहाँ से पूरे परिवार का पोषण होता है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई को साफ-सुथरा (clean and tidy) रखना और उसकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

कैसे करें

  • सफाई और शुद्धिकरण – जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूरे घर, विशेषकर रसोई की अच्छी तरह साफ-सफाई करें। गंगाजल या हल्दी के पानी से पूरे रसोईघर को शुद्ध करें।
  • चूल्हे और बर्तन की पूजा – चूल्हा (Stove/Gas burner) और जल रखने के स्थान (water storage area) की पूजा अवश्य करें। नए बर्तनों को धोकर हल्दी-कुमकुम लगाकर, उन्हें पूजनीय स्थान पर रखें।
  • अन्न की आराधना – घर में रखे अन्न भंडार (जैसे चावल, आटा) की पूजा करें। थोड़े से चावल पर हल्दी-कुमकुम और अक्षत चढ़ाकर माँ अन्नपूर्णा का आह्वान करें।

तीन प्राणियों के लिए पहली तीन रोटी (First Three Chapatis)

यह उपाय न केवल आपको माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद दिलाएगा, बल्कि आपकी रसोई को धर्म और सेवा भाव (spirit of service) से भी जोड़ेगा। यह एक बहुत ही प्रभावशाली और सरल उपाय है।

कैसे करें

  • रसोई में पहली रोटी बनाकर उसे शुद्ध देसी घी लगाकर गौ माता को खिलाएं। गाय में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
  • दूसरी रोटी किसी काले या अन्य कुत्ते को खिलाएं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) दूर होती है।
  • तीसरी रोटी कौओं के लिए निकालें। इन्हें भोजन देने से पितृ दोष (ancestral fault) शांत होता है और मां प्रसन्न होती हैं।

यह अनुष्ठान दर्शाता है कि आप न केवल अपने लिए बल्कि प्रकृति और अन्य प्राणियों के लिए भी अन्न का सम्मान करते हैं।

अन्न दान (Grain Donation) और ‘अक्षय’ संकल्प

अन्नपूर्णा जयंती का मूल उद्देश्य अन्न का सम्मान करना और उसका दान करना है। इस दिन किया गया अन्न दान अत्यंत फलदायी होता है।

कैसे करें

  • अपनी क्षमतानुसार किसी गरीब, भूखे व्यक्ति या किसी धार्मिक स्थल (religious place) पर चावल, आटा या दाल का दान करें। आप किसी अन्नक्षेत्र (food distribution center) में भी योगदान कर सकते हैं।
  • दान करते समय मन में यह संकल्प लें कि आप अन्न का कभी भी अपमान नहीं करेंगे और न ही उसे व्यर्थ करेंगे (will not waste food)।
  • इस दिन ब्राह्मणों, कन्याओं या जरूरतमंद लोगों को आदर सहित भरपेट भोजन कराएं।

अन्नपूर्णा मंत्र का जाप (Chanting of Annapurna Mantra)

मंत्रों में अद्भुत शक्ति (wonderful power) होती है। माँ अन्नपूर्णा के मंत्र का जाप करने से उनकी कृपा सीधे प्राप्त होती है और घर में बरकत बनी रहती है।

कैसे करें

  • पूजा के समय या किसी भी शुभ मुहूर्त (auspicious time) में स्नान के बाद शुद्ध आसन पर बैठकर स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • चमत्कारी मंत्र – “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।” (Om Hreem Shreem Kleem Namo Bhagavati Maheshwari Annapurne Swaha.)
  • आप इस प्रसिद्ध श्लोक का 21 बार पाठ भी कर सकते हैं – “अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकर प्राण वल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति।।”

वास्तु नियम (Vastu Rules) का करें पालन

माँ अन्नपूर्णा को प्रसन्न रखने के लिए रसोईघर के कुछ वास्तु नियमों का पालन करना भी अत्यंत आवश्यक है। जयंती के दिन से ही इन नियमों को अपनी जीवनशैली (lifestyle) में शामिल करें।

कैसे करें

  • रसोईघर में खाना बनाते समय गृहणी (housewife) का मुख पूर्व दिशा (East direction) की ओर होना शुभ माना जाता है।
  • रात में कभी भी जूठे बर्तन सिंक (sink) में न छोड़ें। सोने से पहले उन्हें अवश्य साफ कर लें। ऐसा करने से घर में अलक्ष्मी का वास नहीं होता।
  • अनाज को फर्श पर न रखें। अन्न को हमेशा ऊंचे और साफ स्थान पर ही रखना चाहिए।
  • अन्नपूर्णा जयंती के दिन बासी (stale) या बचा हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन ताजा भोजन ही ग्रहण करें।

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