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प्रश्नोपनिषद् (Prashnopanishad)

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प्रश्नोपनिषद् एक महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथ है, जो उपनिषदों में वर्णित गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान को सरल और बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करता है। यह उपनिषद अथर्ववेद के अंतर्गत आता है और इसमें मुख्यतः छह महत्वपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से जीवन, ब्रह्म, और आत्मा के रहस्यों पर चर्चा की गई है। गीता प्रेस गोरखपुर ने इस उपनिषद को सरल हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है, ताकि हर वर्ग का पाठक इसका लाभ उठा सके।

प्रश्नोपनिषद् पुस्तक की विशेषताएँ

  1. छह महत्वपूर्ण प्रश्न – यह उपनिषद ऋषि पिप्पलाद और उनके छह शिष्यों के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत है। इसमें शिष्यों द्वारा पूछे गए छह प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तरों के माध्यम से ब्रह्मज्ञान, आत्मा, और सृष्टि के गूढ़ रहस्यों को समझाया गया है।
    • प्रश्न 1: सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य।
    • प्रश्न 2: जीवन-शक्ति (प्राण) का महत्व।
    • प्रश्न 3: प्राण और इंद्रियों का संबंध।
    • प्रश्न 4: मन और आत्मा का स्वरूप।
    • प्रश्न 5: ओंकार का महत्व।
    • प्रश्न 6: आत्मा और मोक्ष का ज्ञान।
  2. आध्यात्मिक मार्गदर्शन – यह उपनिषद आत्मा, ब्रह्म, और ओंकार के महत्व पर जोर देता है और आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।
  3. सरल भाषा और व्याख्या – गीता प्रेस ने मूल संस्कृत श्लोकों के साथ उनका सरल हिंदी अनुवाद और विस्तृत व्याख्या प्रदान की है, जिससे यह ग्रंथ आम पाठकों के लिए भी सहज हो गया है।
  4. गुरु-शिष्य परंपरा – “प्रश्नोपनिषद्” में गुरु-शिष्य के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान की परंपरा को भी दर्शाया गया है, जो वैदिक शिक्षाओं की नींव रही है।
  5. ध्यान और साधना का महत्व – उपनिषद में बताया गया है कि ध्यान और साधना के माध्यम से ही व्यक्ति ब्रह्म और आत्मा के सत्य को जान सकता है।

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