राम की शक्ति पूजा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की एक उत्कृष्ट काव्य रचना है, जो हिंदी साहित्य के छायावादी युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह काव्य महाकाव्यात्मक शैली में लिखा गया है और भगवान राम के जीवन के उस प्रसंग को चित्रित करता है, जब वे रावण के साथ युद्ध में शक्ति प्राप्ति के लिए देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।
राम की शक्ति पूजा काव्य की विशेषताएं
- इस रचना में राम केवल एक देवता के रूप में नहीं, बल्कि एक साधारण मानव के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं, जो अपने संकल्प और आत्मबल से शक्तिशाली रावण से लड़ने के लिए तैयार होते हैं। यह काव्य दिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में कैसे आत्मबल और देवी शक्ति का सहारा लिया जा सकता है।
- “राम की शक्ति पूजा” में देवी दुर्गा की आराधना का सुंदर चित्रण किया गया है। यह काव्य हमें यह सिखाता है कि हर व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति को जागृत करने के लिए आत्मचिंतन और आध्यात्मिक साधना करनी चाहिए।
- निराला जी ने इस रचना में छायावादी काव्य शैली का अद्भुत उपयोग किया है। प्रकृति, मनोवैज्ञानिक संघर्ष, और आध्यात्मिकता का गहन वर्णन इस काव्य की विशेषता है।
- राम का आत्मसंघर्ष, उनके भीतर की दुविधा और उनके द्वारा शक्ति की खोज, इस काव्य की केंद्रीय भावभूमि है। यह दिखाता है कि भगवान राम भी जीवन के बड़े संघर्षों के दौरान आत्मविश्लेषण करते हैं और अपने भीतर की कमजोरियों को दूर करते हैं।
- यह काव्य न केवल रामकथा का एक हिस्सा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, देवी उपासना, और आत्मशक्ति पर गहन विचार प्रदान करता है। यह पाठकों को शक्ति और भक्ति का महत्व समझाने में मदद करता है।