शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता कहा जाता है। मान्यता है कि वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैया के प्रभाव को कम करने और उनकी कृपा पाने के लिए कुछ विशेष चीजें उन्हें अर्पित की जाती हैं और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानना भी आवश्यक है।
हिंदू धर्म में, शनिदेव न्याय, कर्म और भाग्य के देवता के रूप में जाना जाता हैं। वे सूर्यदेव के पुत्र और छाया देवी संज्ञा से उत्पन्न हुए हैं। नवग्रहों में से एक, शनि को अक्सर उनके कठोर स्वभाव और दंडात्मक प्रकृति के लिए जाना जाता है। लेकिन शनिदेव केवल दंड देने वाले नहीं हैं, वे न्यायप्रिय भी हैं और कर्मों के अनुसार फल देते हैं। वे सच्चे भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं।
शनिदेव से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें
- न्याय के देवता – शनिदेव को न्याय का प्रतीक माना जाता है। वे कर्मों के आधार पर दंड और पुरस्कार देते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी को उनके कर्मों का उचित फल मिले, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली या प्रभावशाली क्यों न हों।
- सूर्य पुत्र – शनिदेव, सूर्यदेव के पुत्र और छाया देवी संज्ञा से उत्पन्न हुए हैं। उनका जन्म एक अजीबोगरीब परिस्थिति में हुआ था, जिसके कारण उन्हें शुरुआती जीवन में ही कई कष्टों का सामना करना पड़ा।
- ग्रहों का अधिपति – शनिदेव, नवग्रहों में से एक हैं और उन्हें ‘शनि’ या ‘शनिश्चर’ भी कहा जाता है। ग्रहों में शनि का स्थान महत्वपूर्ण है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं।
- साढ़े साती – शनि की साढ़े साती, व्यक्ति के जीवन में सात-सात साल तक परेशानियां ला सकती है। यह शनि ग्रह के राशि में गोचर करने के दौरान होता है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम दो बार शनि की साढ़े साती से गुजरना पड़ता है।
- शनि का रंग – शनि का रंग काला माना जाता है। यह अंधेरे, रहस्य और गहराई का प्रतीक है।
- वाहन – शनिदेव का वाहन कौआ और गिद्ध है। यह उन्हें अलौकिक शक्तियों और रहस्यमय प्रकृति से जोड़ता है।
- दिशा – शनि की दिशा पश्चिम है। यह दिशा मृत्यु और परिवर्तन से जुड़ी है।
- मित्र ग्रह – शनि के मित्र ग्रह राहु और बुध हैं। इन ग्रहों का प्रभाव शनि के स्वभाव को थोड़ा नरम करता है।
- शत्रु ग्रह – सूर्य और चंद्रमा शनि के शत्रु ग्रह माने जाते हैं। इन ग्रहों के साथ शनि का संबंध तनावपूर्ण होता है।
- उपासना – शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव की पूजा, हनुमान जी की पूजा, शनि स्तोत्र का पाठ और तेल दान करना शुभ माना जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का व्रत रखना भी लाभकारी होता है।
शनिदेव को प्रिय 7 चीजें
शनिदेव को प्रसन्न करना भाग्य में बदलाव ला सकता है। यहाँ 5 चीजें हैं जो शनिदेव को प्रिय हैं:
- सरसों का तेल – शनिदेव को सरसों का तेल अत्यंत प्रिय है। शनिवार के दिन शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाना शुभ माना जाता है। आप तेल का दीपक भी जला सकते हैं या शनिदेव को तेल अर्पित कर सकते हैं।
- काले वस्त्र – शनिदेव का रंग काला है। इसलिए, शनिवार के दिन काले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। आप शनिदेव को भी काले वस्त्र अर्पित कर सकते हैं।
- काले तिल – काले तिल भी शनिदेव को बहुत पसंद हैं। शनिवार के दिन काले तिल या उनसे बनी चीजों का भोग लगाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- लोहा – शनिदेव लोहे से भी जुड़े हैं। शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएं दान करना शुभ माना जाता है। आप शनिदेव को लोहे का छल्ला, घोड़े की नाल या अन्य लोहे की वस्तु अर्पित कर सकते हैं।
- काली उड़द दाल – उड़द दाल शनिदेव को प्रिय है। शनिवार के दिन उड़द दाल का दान करना शुभ माना जाता है। आप उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर शनिदेव को भोग भी लगा सकते हैं।
- नीले फूल (विशेष रूप से आक और अपराजिता) – शनिदेव को नीले रंग के फूल, विशेषकर आक (मदार) और अपराजिता के फूल बहुत प्रिय हैं। शनिवार के दिन इन फूलों को अर्पित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और साढ़ेसाती व ढैय्या के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है।
- शनिदेव की पूजा – शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन, आप शनिदेव की प्रतिमा की पूजा कर सकते हैं, शनि चालीसा का पाठ कर सकते हैं | इन 5 चीजों को शनिदेव को अर्पित करके आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
ध्यान रखें
- शनिदेव को अर्पित की जाने वाली सभी वस्तुएं शुद्ध और नई होनी चाहिए।
- शनिदेव की पूजा करते समय ध्यान और भक्ति का भाव रखें। और शनिदेव आरती अर्पित कर सकते हैं।
- शनिदेव से न्यायपूर्ण और सदाचारी जीवन जीने का वचन दें।
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