Download HinduNidhi App
Misc

श्री इंद्र बाईसा चालीसा

Shri Indra Baisa Chalisa Hindi

MiscChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
Share This

II दोहा II

नमो नमो गज बदन ने,
रिद्ध-सिद्ध के भंडार।
नमो सरस्वती शारदा,
माँ करणी अवतार II

इन्द्र बाईसा आपरो,
खुड़द धाम बड़ खम्भ।
संकट मेटो सेवगा,
शरण पड़या भुज लम्ब II

II चौपाई II

आवड़जी अरु राजा बाई।
और देशाणे करणी माई II

चौथो अवतार खुड़द में लीनो।
चारण कुल उज्जवल कर दीहो II

सागर दान पिता बड़ भागी।
धापू बाई की कोख उजागी II

बचपन में आंगनिये मांही।
थान थरपियो पूजा तांई II

दिन में तीन बार निज हाथा।
करती ज्योत सवाई माता II

जिन-जिन सेवा कीनी तन सूं।
परचा पाया तिन बचपन सूं II

गेंढा, गाँव खुड़द के पासा।
गुमान सिंह तहं करतो वासा II

चारण जाति पर तेज करतो।
इन्द्र कुमारी पर व्यंग कसतो II

इन्द्र कुमारी ना शक्ति मानूं।
गढ़ में आ जावे तब जानूं II

एक दिवस गेंढे गढ़ मांही।
इन्द्र कुंवरसा पहुँचा जाई ॥

गुमान सिंह हो बड़ो गुमानी।
बाईसा री कदर न जाणी II

बोल्यो मौत बता कद म्हांरी।
शक्ति पिछाणूं म्हे जद थारी II

नवमे दिन नव लाख जोगणी।
भक्षण करसी आय यक्षिणी II

तिरस्कार देवी रो कीन्हो ।
नवमे दिन चील्हाँ चुग लीन्हो II

निमराणा री राज कुमारी।
पंगु पांगली अति दुःखियारी II

इन्द्र बाईसा रे शरणे आई।
दुःख हर लीन्हो पीड़ मिटाई II

नापासर बीकाणें मांही।
सेठाणी एक हीरां बाई II

ज़न्म जात की पंगु बेचारी।
खुड़द बुलाय लई महतारी II

पंगु पन्ना लाल महाजन।
घणी दवाई की, खरच्यो धन II

चौबीस मास खुड़द में खटकर।
की देवी री सेवा डटकर II

खुश होया सेवा सूं बाई।
महाजन रो सब व्यथा मिटाई II

दुःख हरणी सुख करणी माई।
भक्त हितां तूं दौड़ी आई II

ध्यावे राजा राव औ रंका।
मिटा ध्यावता ही सब शंका II

बांझ ध्याय पुत्र फल पावे।
रोगी सुमरे रोग नशावे II

पगा पांगला ने पग देवे।
इन्द्र बाईसा ने जब सेवे II

तन-मन सूं कोई ध्यान लगावे।
दुःख-दरिद्र सारा मिट जावे II

माथे पर माँ साफो साजे।
स्वर्ण जटित छुरंगों साजे II

कानों में जग मोती बाला।
गल सोहे रतना री माला II

स्वर्ण गले करणी री मूरत।
है मरदानी माँ री सूरत II

बन्द गले रो कोट सुहावे।
रूप देखकर मन हरसावे II

सूरज सी लिलाड़ी दमके।
खड़ग हाथ में थारे चमके II

इन्द्र बाईसा करनल रूपा।
रूप आपरो अकथ अनूपा II

माथे पर सोहे मद बिन्दू।
खमा खुड़द री अम्बे इन्दू II

हाथ राख ज्यों हे भुज लम्बे।
शक्ति इन्द्र कुंवरसा अम्बे II

घणी खमा खुड़दाने वाली।
पांगलियाँ पग देने वाली II

जो कोई जस इन्द्रा रा गावे ।
निश्चय वह सुख सम्पंत्ति पावे II

डर डाकर नेड़ा नहीं आवे।
कोर्ट कचेरी इज्जत पावे II

इन्द्र चालीसा जो कोई गावे।
पग उभराणी अम्बे आवे II

हनुमान ध्वावे जगदम्बा ।
मात करो नहीं और विलम्बा II

II दोहा II

दो हजार बारह मिति,
मिगसर मास प्रमाण।
कृष्ण पक्ष द्वितीय गुरु,
प्रातज तजिया प्राण II

इन्द्र बाईसा खुड़द में,
करण बसी देसाण।
जिन ध्याया तिन पाइया,
नत मस्तक हनुमान II

II इति श्री इन्द्र बाईसा चालीसा सम्पूर्ण II

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App

Download श्री इंद्र बाईसा चालीसा PDF

श्री इंद्र बाईसा चालीसा PDF

Leave a Comment