श्री राधा रानी की आरती उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आरती राधा जी के दिव्य स्वरूप, उनकी कृपा और प्रेम को समर्पित है। “श्री राधा आरती PDF” के माध्यम से भक्तगण कभी भी, कहीं भी इस पावन आरती का पाठ कर सकते हैं, जिससे उन्हें मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है। राधा रानी को भगवान कृष्ण की प्रियतमा और शक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती का गायन और श्रवण भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और आनंद का संचार करता है, और उन्हें भक्ति मार्ग पर अग्रसर करता है।
|| श्री राधा आरती (Shri Radha Rani Aarti PDF) ||
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,
आदि अनादि शक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
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