श्री विष्णु चालीसा PDF, गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा, आरती और चालीसा पाठ का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से श्री विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) का पाठ करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी दुख, कष्ट और बाधाओं को दूर कर देते हैं। हालाँकि यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न नहीं होते, लेकिन यदि कोई भक्त सच्चे मन और श्रद्धा के साथ श्रीहरि की उपासना करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ गुरु ग्रह यानी बृहस्पति देव का भी दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की आराधना करने से व्यक्ति को ज्ञान, विद्या, धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति देव को बुद्धि, ज्ञान और धर्म का प्रतीक माना गया है। इसलिए उन्हें ‘गुरु’ का दर्जा प्राप्त है और ब्रह्मा से भी उच्च स्थान दिया गया है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निरोगी, सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।
|| श्री विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa PDF) ||
॥ दोहा ॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
|| श्री विष्णु चालीसा पूजा विधि ||
- गुरुवार को सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
- किसी पवित्र चौकी पर साफ पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले फल और पीली मिठाइयों का भोग लगाएं क्योंकि उन्हें पीली वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं।
- भगवान विष्णु को धूप और दीप दिखाकर उनकी आरती करें। श्री विष्णु चालीसा का पाठ श्रद्धा से करें।
- इस दिन केले के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। केले के पेड़ को जल अर्पित करें और पीले फूल चढ़ाएं।
- इस विधि से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
|| श्री विष्णु चालीसा पाठ के लाभ ||
श्री विष्णु चालीसा के नियमित पाठ से कई लाभ प्राप्त होते हैं:
- यह चालीसा धन और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करती है।
- इसके पाठ से मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- यह जीवन में आने वाली हर तरह की बाधाओं और कष्टों को दूर करने में सहायक है।
- श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यह चालीसा व्यक्ति को स्वस्थ और निरोगी रखने में भी सहायक है।
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