Shiva

सोम प्रदोष व्रत का गूढ़ रहस्य – क्यों है यह सोमवार शिव आराधना का सबसे खास दिन?

ShivaHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

हिंदू धर्म (Hindu religion) में व्रतों और त्योहारों की एक अनूठी श्रंखला है, जिनमें से प्रत्येक किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इन्हीं में से एक है प्रदोष व्रत, जो भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। जब यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है, और इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

सोम प्रदोष व्रत सिर्फ एक उपवास नहीं, बल्कि भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक अमोघ साधन (infallible means) है। लेकिन यह सोमवार ही क्यों? क्यों शिव आराधना का यह दिन सबसे खास माना जाता है? आइए, इस गूढ़ रहस्य और इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थों को समझते हैं।

सोम प्रदोष का गूढ़ रहस्य – ‘सोम’ और ‘शिव’ का संबंध

सोम प्रदोष का रहस्य ‘सोम’ शब्द में छिपा है। ‘सोम’ का अर्थ है चंद्रमा (Moon) और साथ ही, सोमवार (Monday) का दिन भी शिवजी को प्रिय है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा को प्रजापति दक्ष का शाप मिला था, जिसके कारण उनकी कलाएं क्षीण होने लगी थीं। चंद्रमा ने मृत्युतुल्य कष्ट से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल (शाम का समय) में भगवान शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया और उनकी रक्षा की। इसी कारण, चंद्रमा का एक नाम ‘सोम’ भी है और शिवजी को ‘सोमनाथ’, ‘सोमेश्वर’ कहा जाता है।

  • सोम प्रदोष – यह दिन शिव और चंद्र देव के इस अद्भुत मिलन का प्रतीक है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसे न केवल भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उसकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है।
  • भावनात्मक और मानसिक शांति (Emotional and mental peace) – चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। सोम प्रदोष व्रत करने से मन शांत होता है, मानसिक तनाव (stress) दूर होता है और जीवन में स्थिरता आती है।

प्रदोष काल – शिव के प्रसन्न होने का विशेष समय

प्रदोष व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है प्रदोष काल। यह वह समय है जब सूर्य अस्त हो रहा होता है और रात शुरू होने वाली होती है (लगभग सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद)।

  • देवताओं का नृत्य – शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल वह दिव्य समय है जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन (Silver House) में प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी स्तुति करते हैं।
  • अखंड कृपा – इस समय शिवजी अत्यंत दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले होते हैं। इसलिए इस विशेष समय पर की गई आराधना, पूजा और दान का फल सामान्य दिनों की अपेक्षा हजार गुना अधिक मिलता है।

सोम प्रदोष व्रत के अद्भुत लाभ

सोम प्रदोष व्रत सभी प्रकार के सुखों को देने वाला और परम कल्याणकारी माना गया है।

  • आरोग्यता रोग और बीमारियों से मुक्ति मिलती है, दीर्घायु (longevity) प्राप्त होती है।
  • सौभाग्य विवाहित जीवन में सुख-शांति आती है और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
  • संतान सुख संतान की कामना रखने वालों को भोलेनाथ के आशीर्वाद से संतान प्राप्त होती है।
  • धन और समृद्धि आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • मुक्ति अनजाने में हुए पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सोम प्रदोष व्रत की सरल और प्रभावी पूजा विधि (Easy and effective worship method)

सोम प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए।

  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ (हो सके तो सफेद) वस्त्र पहनें। हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प (vow) लें।
  • शाम के समय, प्रदोष काल शुरू होने से पहले, एक बार फिर स्नान करें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • चांदी या तांबे के पात्र में जल/दूध/दही/शहद/घी/गन्ने का रस आदि मिलाकर पंचामृत तैयार करें। इससे शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • शिवजी को सफेद चंदन, बेलपत्र (सबसे महत्वपूर्ण), भांग, धतूरा, अक्षत (चावल), सफेद पुष्प, और शमी पत्र अर्पित करें।
  • आसन पर बैठकर ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • प्रदोष व्रत की कथा (जैसे कि ब्राह्मणी और राजकुमार की कथा) अवश्य पढ़ें या सुनें।
  • धूप, दीप से आरती करें और अपनी मनोकामना शिवजी के सामने रखें। अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

विशेष उपाय – चंद्र दोष निवारण

जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है या मन अशांत रहता है, उन्हें सोम प्रदोष के दिन ये उपाय अवश्य करने चाहिए:

  • दूध का दान – शिवजी को दूध से अभिषेक करने के बाद, बचा हुआ दूध किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें।
  • सफेद वस्तुओं का दान – चावल, दही, सफेद वस्त्र या चीनी का दान करने से चंद्र दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
  • चंद्र मंत्र – शिव पूजा के बाद चंद्र देव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जाप करें।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Join WhatsApp Channel Download App