हर साल हिन्दू पंचांग में कई महत्वपूर्ण तिथियां आती हैं, जिनमें से एक है मन्वादि तिथि। ये केवल एक कैलेंडर (calendar) की तारीखें नहीं हैं, बल्कि हिन्दू काल-गणना (Hindu time calculation) और सृष्टि विज्ञान (cosmology) के गहन दर्शन को दर्शाती हैं। इनमें से ही एक है तामस मन्वादि। आइए जानते हैं 2025 में इसकी तिथि क्या है, इसका अर्थ क्या है और यह हर हिन्दू के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
‘मन्वादि’ का अर्थ – सृष्टि के नियम का आरंभ
‘मन्वादि’ शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है:
- मनु – इन्हें मानवता का जनक (progenitor of mankind) माना जाता है। मनु केवल एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि यह एक पद है जो हर मन्वन्तर (Manvantara) में सृष्टि का विधान (code of conduct) स्थापित करता है।
- आदि – जिसका अर्थ है ‘आरंभ’ या ‘शुरुआत’। इस प्रकार, मन्वादि का अर्थ है ‘मनु के युग का आरंभ’। हिन्दू धर्म में चौदह मनु और चौदह मन्वन्तरों का उल्लेख है, जो मिलकर ब्रह्मा के एक दिन यानी एक ‘कल्प’ का निर्माण करते हैं। प्रत्येक मन्वन्तर के आरंभ की तिथि को ही ‘मन्वादि तिथि’ कहा जाता है। ये तिथियां प्रत्येक प्रलय के बाद सृष्टि के पुनः आरंभ होने का संकेत देती हैं।
तामस मनु – एक विशिष्ट पहचान
हमारा वर्तमान मन्वन्तर वैवस्वत मन्वन्तर है, जिसके मनु वैवस्वत मनु हैं। लेकिन इनसे पहले भी मनु हुए हैं। तामस मन्वादि चौथे मनु, तामस मनु के नाम से जुड़ी है।
- तामस मनु की कहानी – पुराणों के अनुसार, तामस मनु का नाम राजा उत्तम के पुत्र के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपने तप और शौर्य से यह पद प्राप्त किया था। ‘तामस’ शब्द का शाब्दिक अर्थ भले ही ‘अंधकार’ से जुड़ा हो, लेकिन यह यहाँ उनके जन्म की विशिष्ट परिस्थिति या उनके पूर्व जीवन से संबंधित हो सकता है। यह कथा बताती है कि मनु का पद कैसे कर्म और तपस्या से प्राप्त होता है।
तामस मन्वादि 2025 – तिथि और समय (Date and Time)
हिन्दू पंचांग के अनुसार, तामस मन्वादि प्रायः कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जिसे उत्तम मन्वादि भी कहा जाता है क्योंकि उत्तम मनु भी इसी तिथि से जुड़े हैं। कुछ पंचांग में उत्तम मन्वादि और तामस मन्वादि की तिथियां अलग-अलग भी हो सकती हैं।
- 2025 में तिथि – नवम्बर 2, 2025, रविवार
यह तिथि हर हिंदू के लिए क्यों है ज़रूरी?
मन्वादि तिथियों का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों (rituals) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समय की शाश्वत प्रकृति (eternal nature of time) और जीवन के दर्शन से जुड़ा है।
दान और पुण्य का महायोग
शास्त्रों में कहा गया है कि मन्वादि तिथियाँ पुण्य कर्म (meritorious deeds) के लिए अत्यंत शुभ होती हैं।
- नदी स्नान – इस दिन पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।
- दान – गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान (donation) करना अक्षय पुण्य प्रदान करता है।
- श्राद्ध – मन्वादि तिथियों को पूर्वजों (ancestors) के निमित्त श्राद्ध कर्म करने के लिए भी अति महत्वपूर्ण माना गया है। तामस मन्वादि भी श्राद्ध के लिए उत्तम मानी जाती है।
सृष्टि की चेतना से जुड़ाव (Connection with Cosmic Consciousness)
यह तिथि हमें याद दिलाती है कि हम एक शाश्वत कालचक्र (eternal time cycle) का हिस्सा हैं। मनु हमें धर्म, सदाचार और सही जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं। इस दिन उनकी स्मृति में कार्य करने से हम उस आदि चेतना (primal consciousness) से जुड़ते हैं जिसने मानवता को दिशा दी।
ज्ञान और स्वाध्याय का अवसर (Opportunity for Study)
यह दिन मनुस्मृति (Manu Smriti) जैसे धर्म ग्रंथों के अध्ययन (study of scriptures) के लिए उत्तम माना जाता है, जिससे हमें अपने कर्तव्यों (duties) और सामाजिक व्यवस्था (social order) की गहरी समझ मिलती है।
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