तुकाराम गाथा प्रसिद्ध मराठी संत तुकाराम द्वारा लिखित सबसे प्रसिद्ध मराठी कविता (अभंग) में से एक है। तुकाराम (1608-1645) भक्ति के एक प्रमुख वारकरी संत और आध्यात्मिक कवि थे। तुकाराम भगवान विष्णु के एक रूप विट्ठल या विठोबा के भक्त थे। वह महाराष्ट्र में पैदा हुए महानतम संतों में से एक थे।
तुकाराम गाथा उनकी रचनाओं का मराठी भाषा में संकलन है, जो संभवतः 1632 और 1650 के बीच रचित है। इसे अभंग गाथा भी कहा जाता है, भारतीय परंपरा के अनुसार इसमें लगभग 4,500 अभंग शामिल हैं। संत तुकाराम ने इस बात पर बल दिया है कि सभी मनुष्य परमपिता ईश्वर की संतान हैं और इस कारण समान हैं। संत तुकाराम द्वारा ‘महाराष्ट्र धर्म’ का प्रचार हुआ जिसके सिद्धांत भक्ति आंदोलन से प्रभावित थे। महाराष्ट्र धर्म का तत्कालीन सामाजिक विचारधारा पर बहुत गहरा प्रभाव पङा।
तुकाराम गाथा से जुड़ी कुछ बातें
- तुकारामजी के पिता का नाम ‘बोल्होबा’ और माता का नाम ‘कनकाई’ था। तुकारामजी जब 8 वर्ष के थे, तभी इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था।
- तुकाराम ने ‘अभंग’ रचकर कीर्तन करना आरंभ कर दिया। इसका लोगों पर बड़ा प्रभाव पड़ा। रामेश्वर भट्ट नामक एक व्यक्ति उनका विरोधी हो गया परंतु बाद में वह उनका शिष्य बन गया।
- तुकारामजी ने अपने जीवन के उत्तरार्ध में इनके द्वारा गाए गए लगभग 4600 से अधिक अभंग आज भी उपलब्ध हैं। उनके ‘अभंग’ अंग्रेज़ी भाषा में भी अनुवादित हुए हैं।