विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिसे लोग प्रायः विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं। जैसे मकर संक्रांति जनवरी में आती है, वैसे ही विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो 16-17 सितंबर के आसपास पड़ती है।
भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा का सहयोग किया था। ऐसा माना जाता है कि देवताओं के घर, नगर, और अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। हस्तिनापुर, द्वारका, इंद्रपुरी, पुष्पक विमान और इन्द्रप्रस्थ जैसे अनेक नगरों, भवनों और वस्तुओं का निर्माण उन्होंने ही किया। इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और कार्यशालाओं में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा जयंती 2024 के लिए पूजा मुहूर्त
विश्वकर्मा जयंती 2024 में 16-17 सितंबर को मनाई जाएगी, और यह पूजा कन्या संक्रांति के साथ ही होती है। इस साल के अनुसार, संक्रांति का समय शाम 7:53 बजे से शुरू होगा। इस समय को ध्यान में रखते हुए, पूजा, भगवान श्री विश्वकर्मा की कथा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न किया जाता है। विश्वकर्मा जयंती पर लोग अपने औजारों और उपकरणों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से समृद्धि और सफलता की प्रार्थना करते हैं।
पूजा का मुख्य समय संक्रांति के आसपास ही होता है, इसलिए शाम 7:53 बजे के बाद पूजा करना शुभ माना जाएगा।
विश्वकर्मा जयंती मनाने की पूजा विधि
- विश्वकर्मा जयंती के दिन सबसे पहले प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें।
- भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करते समय संकल्प लें और पूजा प्रारंभ करें। प्रतिमा के साथ-साथ औजारों और उपकरणों की भी पूजा करें।
- भगवान विश्वकर्मा को पान, सुपारी, हल्दी, अक्षत, फूल, लौंग, फल, और मिठाई अर्पित करें और शास्त्रों के अनुसार विधिवत पूजा करें।
- इसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और रक्षासूत्र अर्पित करें।
- भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ-साथ अपने कार्यालय, कार्यशाला या कारखाने के सभी उपकरणों और मशीनों की भी पूजा करें।
- अंत में, पूजा में किसी भी त्रुटि के लिए भगवान विश्वकर्मा से क्षमा याचना करें और अपने व्यवसाय में उन्नति और सफलता के लिए प्रार्थना करें। पूजा के समापन पर प्रसाद का वितरण करें।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व का अत्यधिक महत्व है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है, जिन्हें सृष्टि के दिव्य शिल्पकार और वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है।
- इस विशेष अवसर पर, विभिन्न उद्योगों में कारीगरों, इंजीनियरों और श्रमिकों के हुनर और शिल्पकला का सम्मान किया जाता है। कुछ कारखानों और कार्यशालाओं में इस दिन छुट्टी दी जाती है, जबकि अन्य स्थानों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा की पूजा की जाती है और श्रमिकों के बीच प्रसाद और मिठाई वितरित की जाती है।
- विश्वकर्मा जयंती समाज में श्रम के महत्व और उसके योगदान को रेखांकित करती है, चाहे वह कितना भी छोटा या बड़ा क्यों न हो। यह पर्व नए उद्यमों की शुरुआत, कारखानों और कार्यशालाओं के उद्घाटन और औजारों व मशीनों की विधिवत पूजा का प्रतीक भी है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए:
- ॐ आधार शक्तपे नम:
- ॐ कूमयि नम:
- ॐ अनन्तम नम:
- ॐ पृथिव्यै नम:’।
जप करते समय रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
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