यशोदा जयन्ती हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की पालक मां यशोदा के प्रति श्रद्धा और समर्पण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को स्मरण करते हुए मां यशोदा के स्नेह और उनकी भक्ति का गुणगान किया जाता है। यशोदा जयन्ती का पावन पर्व उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनकी भक्ति में डूबे रहते हैं।
यशोदा जयन्ती 2025 का पर्व हमें माता यशोदा के त्याग, प्रेम और भक्ति का स्मरण कराता है। यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत और पूजन करके भगवान श्रीकृष्ण और मां यशोदा का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं। इस लेख में हम यशोदा जयन्ती 2025 के शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
यशोदा जयन्ती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- पर्व तिथि: 18 फरवरी 2025 (मंगलवार)
- तिथि प्रारंभ: फरवरी 18, 2025 को 04:53 AM बजे
- तिथि समाप्त: फरवरी 19, 2025 को 07:32 AM बजे
शुभ मुहूर्त में व्रत, पूजन और कथा का आयोजन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
यशोदा जयन्ती का धार्मिक महत्व
यशोदा जयन्ती का महत्व भगवान श्रीकृष्ण और उनकी मां यशोदा के बीच के स्नेहपूर्ण संबंध से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को केवल मां का प्रेम ही नहीं दिया, बल्कि उनकी हर बाल लीला में साथ निभाया। गोकुलवासियों के बीच यशोदा और नंद बाबा का स्थान हमेशा पूजनीय रहा है।
इस दिन भक्तजन मां यशोदा की भक्ति और त्याग को स्मरण करते हैं और उनसे अपने जीवन में भी उसी स्नेह और समर्पण का वरदान मांगते हैं।
यशोदा जयन्ती व्रत कथा
यशोदा जयन्ती से जुड़ी एक पौराणिक कथा इस प्रकार है:
गोकुल में यशोदा और नंद बाबा ने बालकृष्ण को माता देवकी और वसुदेव से अपनाया था। यशोदा माता ने भगवान कृष्ण को अपने पुत्र के रूप में पाला और उनकी बाल लीलाओं का साक्षी बनीं। एक बार जब श्रीकृष्ण ने माखन चोरी की, तो यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया और दंड देने का निश्चय किया। लेकिन जैसे ही उन्होंने श्रीकृष्ण के मुख में ब्रह्मांड देखा, उन्हें अहसास हुआ कि उनका पुत्र सामान्य बालक नहीं बल्कि स्वयं नारायण हैं।
यह कथा बताती है कि सच्चे प्रेम और भक्ति से भगवान को भी अपने भक्त के प्रति समर्पित होना पड़ता है।
यशोदा जयन्ती पर पूजन विधि
यशोदा जयन्ती पर पूजन की प्रक्रिया इस प्रकार है:
- व्रत रखने वाले भक्त इस दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं।
- घर के मंदिर को फूलों और दीपों से सजाएं।
- मां यशोदा और बालकृष्ण की मूर्ति को प्रतिष्ठित करें।
- पूजन में रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, दीपक, धूप, तुलसी के पत्ते, माखन और मिश्री का उपयोग करें।
- भगवान श्रीकृष्ण और मां यशोदा की कथा का पाठ करें और उनके मंत्रों का जाप करें। मंत्र: “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय”
- माखन और मिश्री का भोग लगाएं, जो श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है।
- पूजा के अंत में मां यशोदा और भगवान कृष्णजी आरती करें और प्रसाद बांटें।
यशोदा जयन्ती व्रत के नियम
- व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- दिनभर केवल फलाहार करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
- झूठ, हिंसा और बुरे विचारों से बचें।
- अधिक समय भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और मंत्र जाप में व्यतीत करें।
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