Download HinduNidhi App
Misc

आखिर क्या है नागा साधुओं का रहस्य और कहाँ रहते हैं

MiscHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

नागा साधु किसे कहते हैं:- नागा साधु उन साधु को कहते है जो नग्न रहने के साथ युद्ध कला में माहिर होते हैं। नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है और भिक्षा से ही अपना पेटना भरना होता है। नागा साधु बनने के बाद वस्त्र का त्याग करना पड़ता है। नाग साधु 3 प्रकार के योग में निपुण होते है जिसे उन्हे ठंड से निपटने में सहायता मिलती हैं। नागा साधुओं का जीवन अन्य साधुओं की तुलना में सबसे कठिन माना जाता है और उनका संबंध शैव परंपरा की स्थापना से जुड़ा हुआ है।

नागा साधु अपने  विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते है और अपने शरीर को ढकने के लिए भस्म का इस्तेमाल करते हैं। नागा साधु (Naga Sadhus Traditions) शिव जी के उपासक होने के साथ 17 शृंगार भी करते हैं। जो की इस प्रकार हैं  भभूत, लंगोट, चंदन, पैरों में कड़ा , पंचकेश, अंगूठी, फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए), हाथों में चिमटा, माथे पर रोली का लेप, डमरू, कमंडल, गुथी हुई जटा, तिलक, काजल, हाथों का कड़ा, विभूति का लेप, रुद्राक्ष आदि चीजें शामिल हैं।

नागा साधुओं का रहस्य (इतिहास)

हिन्दू धर्म के अनुसार 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने अखाड़ा प्रणाली की स्थापना की जिसमे धर्म की रक्षा के उद्देश्य से शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण साधुओं का एक संगठन बनाया गया जिसे “धर्म रक्षक” या “नागा साधु” कहा जाता था।

अखाड़े पहले व्यक्ति की जाँच-पड़ताल कर योग्य व्यक्ति को ही प्रवेश देते है और फिर उसे लम्बे समय तक ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है। उन्हे अखाड़ों में पहलवान कसरत के दांवपेंच की सिख दी जाती हैं। फिर उसे महापुरुष तथा फिर अवधूत बनाया जाता है। इतिहास में ऐसे कई गौरवपूर्ण युद्धों का वर्णन मिलता है जिनमें ४० हजार से ज्यादा नागा योद्धाओं ने हिस्सा लिया।

नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन तथा लम्बी होती है। इस प्रक्रिया में लगभग छह साल लगते हैं। इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते। कुंभ मेले में अंतिम प्रण लेने के बाद वे लंगोट भी त्याग देते हैं और जीवन भर यूँ ही रहते हैं। अन्तिम प्रक्रिया महाकुम्भ के दौरान होती है जिसमें उसका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है।

नागा साधु कहां रहते हैं?

नागा साधु के आश्रम बहुत दूरदराज इलाकों में होते है जिसके की आम जनजीवन से दूर कठोर अनुशासन कर सके। कहाँ जाता है की भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे।

बहुत से नागा साधु हिमालयों, जंगलों और अन्य एकांत स्थानों में तपस्या करने चले जाते हैं। ये साधु शरीर पर भभूत लपेटे हिमालय तपस्या करने जाते हैं। वहाँ वे कठोर तप करते हैं, फल व फूल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं।

कुछ नागा साधु कुंभ के बाद तीर्थ स्थलों पर भी रहते हैं जैसे प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में इनका बसेरा होता है। वही पर दीक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं। नागा साधु धार्मिक यात्राएं भी करते हैं।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App