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Shri Ram

वन वन भटके राम – भजन

Van Van Bhatke Ram Bhajan Hindi

Shri RamBhajan (भजन संग्रह)हिन्दी
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वन वन भटके राम

चौपाई

आश्रम देखि जानकी हीना
भए बिकल जस प्राकृत दीना ||

विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम ||

कुंजन माहि ना सरिता तीरे,
विरह बिकल रघुवीर अधिरे,
हे खग मृग हे मधुकर शैनी,
तुम देखी सीता मृगनयनी,
वृक्ष लता से जा से ता से,
पूछत डोले राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम ||

फागुन खानी जानकी सीता,
रूप शील व्रत नाम पुनिता,
प्राणाधिका घनिष्ट सनेही,
कबहु ना दूर भई वैदेही,
श्री हरी जु श्री हिन सिया बिन,
ऐसे लागे राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम ||

विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,
अपनी सिया को,
प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,
वन वन भटके राम,
बन बन भटके राम ||

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