|| आरती ||
जय देव जय देव जय वैनातेय ल
आरती ओवलु तुज पक्षीवर्य ll ध्रु.ll
हरिवाहनस्मृथर्न कश्यपवंदना ल
दिनकर सारथिबन्धो खगकुलमन्दन ल
कंचनमय बाहु नाम सुपर्णा ल
नारायण सन्निध्ये वन्ध त्रिभुवना ll जय ll
त्वय्यारूढ हौनि विष्णुन्चे गमन ल
मुनिन्द्रवचने केले सागरझडपन ल
जलचारी वार्ता एकांत जान एल
विन्तेपयोब्धिने केले संतवन ll जय ll
तुझे नाममंत्र जप्ती ते कोन ल
सर्पादिक विषबाधा नोहे निशिदिन ल
एसा तू महाराजा पक्षिन्द्र जान ल
महानुनि कवि हा तुजला अन्नया शर ll जय ll
Found a Mistake or Error? Report it Now