॥ आरती ॥
नन्द-सुवन जसुमतिके लाला, गोधन गोपी प्रिय गोपाला।
देवप्रिय असुरनके काला, मोहन विश्वविमोहन वर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
जय वसुदेव-देवकी-नन्दन, कालयवन-कन्सादि-निकन्दन।
जगदाधार अजय जगवन्दन, नित्य नवीन परम सुन्दर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
अकल कलाधर सकल विश्वधर, विश्वम्भर कामद करुणाकर।
अजर, अमर, मायिक, मायाहर, निर्गुन चिन्मय गुणमन्दिर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
पाण्डव-पूत परीक्षित रक्षक, अतुलित अहि अघ मूषक-भक्षक।
जगमय जगत निरीह निरीक्षक, ब्रह्म परात्पर परमेश्वर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
नित्य सत्य गोलोकविहारी, अजाव्यक्त लीलावपुधारी।
लीलामय लीलाविस्तारी, मधुर मनोहर राधावर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
आरती कीजै श्रीनटवर जी की, गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की, गोवर्धन-धर बन्शीधर की॥
आरती कीजै श्रीनटवर जी की।
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