हिन्दू धर्म ग्रंथों में एक है अग्नि पुराण है जिसे वेदव्यास द्वारा रचित किया गया हैं इसमे प्रकाशित पांडुलिपियों को 382 या 383 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिसमें 12,000 से 15,000 छंद हैं।
अग्नि पुराण में ११ रुद्रों, ८ वसुओं तथा १२ आदित्यों के बारे में बताया गया है। विष्णु तथा शिव की पूजा के विधान, सूर्य की पूजा का विधान, नृसिंह मंत्र आदि की जानकारी भी इस पुराण में दी गयी है। इसके अतिरिक्त प्रासाद एवं देवालय निर्माण, मूर्ति प्रतिष्ठा आदि की विधियाँ भी बतायी गयी है।
अग्नि पुराण के मंत्र
वैसे तो अग्निपुराण में कई मंत्र हैं जिस में कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं
- अग्नि प्रज्वलित करते समय ‘ऊं अग्नये स्वाहा’ मंत्र का जाप किया जाता है।
- अग्नि पुराण में एक स्तोत्र है, जिसके पाठ से पापों का नाश होता है। इस स्तोत्र में भगवान वासुदेव के नामों का उच्चारण किया जाता है।
- अग्नि पुराण में अघोर के शस्त्रों का मंत्र भी है. इस मंत्र में परब्रह्म को नमस्कार किया जाता है।
अग्नि पुराण की कुछ मुख्य बातें
- 1 रुद्रों, 8 वसुओं, और 12 आदित्यों के बारे में जानकारी
- विष्णु और शिव की पूजा के विधान
- सूर्य की पूजा का विधान
- नृसिंह मंत्र
- प्रासाद और देवालय निर्माण की विधियां
- मूर्ति प्रतिष्ठा की विधियां