श्री हनुमान स्तवन स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ हनुमान स्तवन स्तोत्रम् पाठ विधि ॥ स्तवन स्तोत्र का पाठ प्रातः काल करना सर्वोत्तम माना गया है। इसका पाठ करते समय हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को लाल कपड़े या आसन पर सामने रखें। ॥ श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र एवं अर्थ ॥ प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम…

श्री संकष्टनाशन स्तोत्रम्

॥ श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ विधि ॥ जातक को सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ कर संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस स्तोत्र के पाठ की विधि अत्यंत सरल है। इस स्तोत्र को सुबह, दोपहर और शाम – तीनों समय प्रतिदिन पाठ किया जा…

श्री नवनाग स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ श्री नवनाग स्तोत्र पाठ विधि ॥ नवनाग स्तोत्र पाठ शुरू करने से पहले सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर भगवान शंकर का ध्यान करें। इस दौरान कालसर्प दोष यंत्र का भी पूजन कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले दूध से कालसर्प दोष यंत्र का अभिषेक कराएं फिर इसे गंगाजल से स्नान कराएं। बाद…

श्री मयूरेश स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ श्री मयूरेश स्तोत्र पाठ विधि ॥ भगवान गणेश से भक्तों को मयूरेश स्तोत्र का पाठ करने से पहले सुबह स्नान आदि कर तन-मन को शांत कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ कर मयूरेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह स्तोत्र के जाप से ब्रह्मभाव की प्राप्ति…

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

॥ श्री अन्नपूर्णा स्तोत्र पाठ विधि ॥ मां अन्नपूर्णा की तस्वीर या मूर्ति रखकर उसके सामने धूप-दीप दिखाकर अन्न अर्पित करें। अन्न में चावल, धान, गेहूं का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को धन धान्य की कमी नहीं होती है। हिंदू धर्म…

नील सरस्वती स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ नील सरस्वती स्तोत्र पाठ विधि ॥ प्रतिदिन नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने आप को चमत्कारिक अनुभव होंगे किन्तु यदि आप देवी सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो विशेषतः आपको अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी को इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ श्वेत व पीले वस्त्र धारण…

षष्ठी देवी स्तोत्रम्

॥ श्री षष्ठी देवि स्तोत्रम् का महत्व ॥ ऐसे दंपत्ति जिनकों संतान सुख नहीं मिलने में बाधा आती हो उन्हें दंपत्ति को नवरात्र काल में दोनों संध्याओं (सुबह+शाम) में माता षष्ठी के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । नवरात्र के पहले दिन संतान प्राप्ति की कामना से शालिग्राम शिला, कलश, वटवृक्ष का मूल अथवा दीवार…

श्री दत्तात्रेय स्तोत्रम्

॥ दत्तात्रेय स्तोत्र के लाभ ॥ मंत्र का जाप हमेशा आपके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना सकता है। इसके फायदे कई गुना हैं। पितृषप’ या मृत पूर्वजों के श्राप को हटाना। परिवार में सौहार्द और खुशहाली। मन की शांति और कष्टों से मुक्ति। बच्चों का कल्याण। बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार। कमांडिंग भाषण…

मारुति स्तोत्रम्

|| मारुति स्तोत्र की जप की विधि || मारुति स्तोत्र का पाठ प्रातः के समय या फिर संध्या वंदन के समय करना चाहिए। इसके पाठ के लिए सबसे पहले स्वयं को शुद्ध कर लें। इसके बाद आसान हनुमान जी की प्रतिमा के आसन विछाकर बैठें। हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। उसके पश्चात पाठ प्रारंभ…

महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्रम्

॥ शनि मृत्युंजय स्तोत्र पाठ के लाभ ॥ महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करते समय उच्चारण शुद्ध रखने से इसका पूर्ण प्रभाव होता है। इसका प्रति शनिवार पाठ करना चाहिए इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने के पश्चात शनि देव को तेल अवश्य चढ़ाएं, इससे आपके ऊपर से…

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्रम्

॥ नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के लाभ ॥ नवग्रह बीज मंत्रों का जाप व्यक्ति के समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में अत्यधिक लाभकारी होता है। इन सभी मंत्रों का नियमित रूप से जाप करने से आप अपनी कुंडली में नौ ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं। अपनी कुंडली के अनुसार निर्धारित मंत्र का…

बृहस्पति स्तोत्रम्

।। बृहस्पति स्तोत्र पाठ की विधि ।। सर्प्रथम गुरुवार के दिन प्रातः स्नान आदि कर पीले वस्त्र धारण करें। अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर श्री गुर बृहस्पति देव का छायाचित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें। तत्पश्चात केले का वृक्ष अथवा पत्ते से बृहस्पति देव के लिए क्षत्र निर्मित कीजिये। अब…

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम्

॥ श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र पाठ विधि ॥ यदि आप विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम का दिव्य पाठ प्रतिदिन करते हैं, तो आप स्वयं ही इसके प्रभाव की अनुभूति कर सकते हैं। किन्तु यदि आप प्रतिदिन पाठ नहीं कर सकते तो प्रति सोमवार आपको पूर्ण विधि-विधान से यह पाठ करना चाहिये। यदि सम्भव हो तो किसी…

गुरुपादुका स्तोत्रम् अर्थ सहित

।। गुरुपादुका स्तोत्रम् ।। अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्। वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।। जिसका कहीं अंत नहीं है, ऐसे इस संसार सागर से जो तारने वाली नौका के समान हैं, जो गुरु की भक्ति प्रदान करती हैं, जिनके पूजन से वैराग्य रूपी आधिपत्य प्राप्त होता है, [मेरे] उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को…

श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा

।। दोहा ।। अरिहंत सिद्ध आचार्य को निसदिन करुं प्रणाम | उपाध्याय सर्वसाधू जी करें स्वपर कल्याण || प्रभु मुनिसुव्रतनाथ का मंदिर पावन धाम | श्याम वर्ण अद्भूत प्रतिमा को कोटि-कोटि प्रणाम || ।। चोपाई ।। जय मुनिसुव्रत दया के सागर, नाम प्रभु का लोक उजागर || राजा सुमित्रा के तुम नन्दा, मां शामा की…

श्री नमिनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। सतत पूज्यनीय भगवान, नमिनाथ जिन महिमावान । भक्त करें जो मन में ध्याय, पा जाते मुक्ति वरदान । जय श्री नमिनाथ जिन स्वामी, वसु गुण मण्डित प्रभु प्रणमामि । मिथिला नगरी प्रान्त बिहार, श्री विजय राज्य करें हितकर । विप्रा देवी महारानी थीं, रूप गुणों की वे खानि थीं । कृष्णाश्विन द्वितीया…

श्री ज्ञान चालीसा

!! श्री ज्ञान चालीसा !! पानी पीवे छान कर, जीव जन्तु बच जाय ! जीव दया अति पुण्य हैं, रोग निकट नहि आय !! झूठे पुरुषो से कभी, कोई न करता प्रीत! सच्चे आदर पाते है, जग जस लेते जीत !! चोर नित्य चोरी करे, रहे न कुछ भी पास ! वनों पहाड़ो भागते, दुःख…

श्री वासुपूज्य चालीसा

।। दोहा ।। वासु पूज्य महाराज का चालीसा सुखकार । विनय प्रेम से बॉचिये करके ध्यान विचार । ।। चोपाई ।। जय श्री वासु पूज्य सुखकारी, दीन दयाल बाल ब्रह्मचारी । अदभुत चम्पापुर राजधानी, धर्मी न्यायी ज्ञानी दानी । वसू पूज्य यहाँ के राजा, करते राज काज निष्काजा । आपस में सब प्रेम बढाने, बारह…

श्री सम्मेद शिखर चालीसा

।। चालीसा ।। शाश्वत तीर्थराज का, है यह शिखर विशाल। भक्ति भाव से मैं रचूँ, चालीसा नत भाल। जिन परमेष्ठी सिद्ध का, मन मैं करके ध्यान। करुँ शिखर सम्मेद का, श्रद्धा से गुण-गान। कथा शिखर जी की सदा, सुख संतोष प्रदाय। नित्य नियम इस पाठ से, कर्म बंध कट जाये। आये तेरे द्वार पर, लेकर…

श्रीव्यंकटेश स्तोत्रम्

|| श्री व्यंकटेश स्तोत्र || श्रीगणेशाय नमः । श्री व्यंकटेशाय नमः । ॐ नमो जी हेरंबा ।सकळादि तूं प्रारंभा । आठवूनि तुझी स्वरुपशोभा । वंदन भावें करीतसे ॥ १ ॥ अर्थ: सर्व काही शुभ आपल्या स्मरणातून सुरू होते. तुझ्या सुंदर स्वरूपाचा विचार करुन मी तुला नमस्कार करतो. नमन माझे हंसवाहिनी । वाग्वरदे विलासिनी । ग्रंथ…

अथार्गलास्तोत्रम्

॥ अथार्गला स्तोत्रम् ॥ ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥ मार्कण्डेय उवाच ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥ भावार्थ : ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है। मार्कण्डेय जी कहते हैं – जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री,…

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

|| प्रभु श्रीराम की पूजा विधि || प्रात:काल उठकर नित्य कर्म कर, स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा गृह को शुद्ध कर । सभी सामग्री एकत्रित कर आसन पर बैठ जाएं। चौकी अथवा लकड़ी के पटरे पर लाल वस्त्र बिछायें । उस पर श्री राम जी की मूर्ति स्थापित करें। साथ में श्रीराम…

श्री बड़े बाबा कुण्डलपुर चालीसा

।। दोहा ।। दुःख हरन मंगल करन, महावीर भगवान। तिनके चरणाविंद को बार-बार प्रणाम। श्री धर केवली मोक्ष गये, कुण्डल गिरी से आय। तिनके पद को वंदते, पाप क्लेश मिट जाय। ।। चौपाई ।। बड़े बाबा का सुमरे नामा, पूरन होवे बिगड़े कामा। जिसने नाम जपा प्रभु तेरा, उठा वहां से कष्ट का डेरा। बड़े…

श्री शीतलनाथ चालीसा

।। दोहा ।। सिद्ध प्रभु को नमन कर, अरिहंतो का ध्यान। आचारज उवझाय को, करता नित्य प्रणाम। शीतल प्रभु का नाम है, शीतलता को पाये। शीतल चालीसा पढ़े, शत शत शीश झुकाये। ।। चौपाई ।। शीतल प्रभु जिनदेव हमारे, जग संताप से करो किनारे। चंद्र बिम्ब न चन्दन शीतल, गंगा का ना नीर है शीतल।…

श्री सुमतिनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। श्री सुमतिनाथ का करूणा निर्झर, भव्य जनो तक पहूँचे झर–झर । नयनो में प्रभु की छवी भऱ कर, नित चालीसा पढे सब घर–घर ।। जय श्री सुमतिनाथ भगवान, सब को दो सदबुद्धि–दान । अयोध्या नगरी कल्याणी, मेघरथ राजा मंगला रानी ।। दोनो के अति पुण्य प्रजारे, जो तीर्थंकर सुत अवतारे । शुक्ला…

श्री अजितनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। श्री आदिनाथ को शिश नवा कर, शारदे माँ को ध्याय । शुरू करूँ श्री अजितनाथ का, चालीसा स्वपर सुखदाय ।। जय श्री अजितनाथ जिनराज, पावन चिह्न धरे गजराज ।। नगर अयोध्या करते राज, जितराज नामक महाराज ।। विजयसेना उनकी महारानी, देखे सोलह स्वप्न ललामी ।। दिव्य विमान विजय से चयकर, जननी उदर…

श्री विमलनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। सिद्ध अनंतानंत नमन कर, सरस्वती को मन में ध्याय । विमल प्रभु की विमल भक्ति कर, चरण कमल में शीश नवाय ।। जय श्री विमलनाथ विमलेश, आठो कर्म किये निःशेष । कृत वर्मा के राज दुलारे, रानी जयश्यामा के प्यारे ।। मंगलिक शुभ सपने सारे, जगजननी ने देखे न्यारे । शुक्ल चतुर्थी…

श्री चन्द्रप्रभु चालीसा

।। दोहा ।। शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर। चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।। ।। चौपाई ।। जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।। वेष…

श्री नेमिनाथ चालीसा

।। दोहा ।। नेमिनाथ महाराज का, चालीसा सुखकार। मोक्ष प्राप्ति के लिए, कहूँ सुनो चितधार।। चालीसा चालीस दिन, तक कहो चालीस बार। बढ़े जगत सम्पत्ति सुमत, अनुपम शुद्ध विचार।। ।।चौपाई।। जय-जय नेमिनाथ हितकारी, नील वर्ण पूरण ब्रह्मचारी। तुम हो बाईसवें तीर्थंकर, शंख चिह्न सतधर्म दिवाकर।। स्वर्ग समान द्वारिका नगरी, शोभित हर्षित उत्तम सगरी। नही कही…

श्री अरहनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। श्री अरहनाथ जिनेन्द्र गुणाकर, ज्ञान-दरस-सुरव-बल रत्ऩाकर । कल्पवृक्ष सम सुख के सागर, पार हुए निज आत्म ध्याकर । अरहनाथ नाथ वसु अरि के नाशक, हुए हस्तिनापुर के शासक । माँ मित्रसेना पिता सुर्दशन, चक्रवर्ती बन किया दिग्दर्शन । सहस चौरासी आयु प्रभु की, अवगाहना थी तीस धनुष की । वर्ण सुवर्ण समान…

श्री सुपार्श्वनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। लोक शिखर के वासी हैं प्रभु, तीर्थंकर सुपार्श्व जिननाथ । नयन द्वार को खोल खड़े हैं, आओ! विराजो! हे जगनाथ ।। सुन्दर नगरी वाराणसी स्थित, राज्य करें राजा सुप्रतिष्टित । पृथ्वीसेना उनकी रानी, देखे स्वप्न सोलह अभिरामी ।। तीर्थंकर सूत गर्भ में आये, सुरगण आकर मोद मनाये । शुक्ल ज्येष्ठ द्वादशी शुभ…

श्री पुष्पदंत चालीसा

।। चालीसा ।। दुख से तप्त मरूस्थल भव में, सघन वृक्ष सम छायाकार ।। पुष्पदन्त पद – छत्र – छाँव में हम आश्रय पावे सुखकार ।। जम्बूद्विप के भरत क्षेत्र में, काकन्दी नामक नगरी में ।। राज्य करें सुग्रीव बलधारी, जयरामा रानी थी प्यारी ।। नवमी फाल्गुन कृष्ण बल्वानी, षोडश स्वप्न देखती रानी ।। सुत…

श्री अभिनन्दन नाथ चालीसा

।। चालीसा ।। ऋषभ–अजित–सम्भव अभिनन्दन, दया करे सब पर दुखभंजन जनम–मरन के टुटे बन्धन, मन मन्दिर तिष्ठें अभिनन्दन ।। अयोध्या नगरी अती सुंदर, करते राज्य भूपति संवर ।। सिद्धार्था उनकी महारानी, सूंदरता में थी लासानी ।। रानी ने देखे शुभ सपने, बरसे रतन महल के अंगने ।। मुख में देखा हस्ति समाता, कहलाई तीर्थंकर माता…

णमोकार महामंत्र चालीसा

।।  दोहा  ।। वंदूँ श्री अरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार। सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार ।। इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र। अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र ।। णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार। चालीसा पढ़कर लहूँ, स्वात्मधाम साकार ।। ।। चौपाई ।। हो जैवन्त अनादिमंत्रम्, णमोकार अपराजित मंत्रम्…

श्री मल्लिनाथ चालीसा

।। चालीसा ।। मोहमल्ल मद मर्दन करते, मन्मथ दुर्ध्दर का मद हरते । धैर्य खडग से कर्म निवारे, बाल्यती को नमन हमारे ।। बिहार प्रान्त की मिथिला नगरी, राज्य करे कुम्भ काश्यप गोत्री । प्रभावती महारानी उनकी, वर्षा होती थी रत्नो की ।। अपराजित विमान को तज कर, जननी उदार बसे प्रभु आकर । मंगसिर…

श्री शीतलनाथ आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी, स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी । घृत दीपक से करू आरती, घृत दीपक से करू आरती । तुम अंतरयामी, ॐ जय शीतलनाथ स्वामी ॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी… भदिदलपुर में जनम लिया प्रभु, दृढरथ पितु नामी, स्वामी दृढरथ पितु नामी । मात सुनन्दा के नन्दा तुम-२, शिवपथ के स्वामी…

श्री सुविधिनाथ आरती

।। आरती ।। ॐ जय पुष्पदंत स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी। आरती तुमरी उतारू, आरती तुमरी उतारू, हो अन्तर्यामी । ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।। जयरामा है मात आपकी, पितु सुग्रीव कहाय। प्रभु पितु सुग्रीव कहाय, क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में। क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में, काश्यप गौत्र सुहाय। ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।। काकंदी नगरी में जन्में, वैभव…

श्री विमलनाथ आरती

।। आरती ।। आरती करो रे, तेरहवें जिनवर विमलनाथ की आरती करो रे।। कृतवर्मा पितु राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे। कम्पिलपुरि में जन्म लिया है, सुर नर वंदें सारे।। निर्मल त्रय ज्ञान सहित स्वामी की आरती करो रे।। आरती करो रे… शुभ ज्येष्ठ वदी दशमी प्रभु की, गर्भागम तिथि मानी जाती। है जन्म और दीक्षा कल्याणक,…

श्री बाहुबली स्वामी आरती

॥ आरती ॥ चंदा तू ला रे चंदनिया, सूरज तू ला रे किरणां… (2) तारा सू जड़ी रे थारी आरती रे बाबा नैना संवारूं… (2) चंदा तू ला रे चंदनिया… आदिनाथ का लाड़ला जी नंदा मां का जाया… (2) राजपाट ने ठोकर मारी, छोड़ी सारी माया… (2) बन ग्या अहिंसाधारी, बाहुबली अवतारी तारा सू जड़ी…

श्री सुमतिनाथ आरती

।। आरती ।। जय सुमतिनाथ देवा, स्वामी सुमतिनाथ देवा। करुँ तुम्हारी आरती स्वामी मेटो अघ मेरा। मात मंगला पिता मेघरथ, तिनके प्रभु जन्मे। स्वामी तिनके प्रभु जन्मे धन्य हुआ है नगर अयोध्या, देव जहाँ उतरे। जय सुमतिनाथ देवा सुमतिनाथ की प्रतिमा है यह अतिशय दिखलाती। स्वामी अतिशय दिखलाती भक्ति भाव से जो कोई पूजे, आतम…

श्री अजितनाथ आरती

॥ आरती ॥ जय श्री अजित प्रभु, स्वामी जय श्री अजित प्रभु । कष्ट निवारक जिनवर, तारनहार प्रभु ॥ पिता तुम्हारे जितशत्रू और, माँ विजया रानी । स्वामी माँ विजया रानी माघ शुक्ल दशमी को जन्मे, त्रिभुवन के स्वामी स्वामी जय श्री अजित प्रभु । उल्कापात देख कर प्रभु जी, धार वैराग्य लिया । स्वामी…

श्री श्रेयांसनाथ आरती

।। आरती ।। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। स्वर्ण वर्णमय प्रभा निराली, मूर्ति तुम्हारी हैं मनहारी। सिंहपूरी में जब तुम जन्मे, सुरगण जन्म कल्याणक करते। प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। विष्णु मित्र…

श्री सुपार्श्वनाथ आरती

।। आरती ।। आओ सभी मिल आरती करके, श्री सुपार्श्व गुणगान करें। मुक्ति रमापति की आरती, सब भव्यों का कल्याण करें।। धनपति ने आ नगर बनारस, में रत्नों की वर्षा की, गर्भ बसे भादों सुदि षष्ठी, पृथ्वीषेणा मां हरषीं, गर्भकल्याणक की वह तिथि भी, मंगलमय भगवान करें। मुक्ति रमापति की आरती, सब भव्यों का कल्याण…

श्री जिनवाणी माता आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय जिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता, तुमको निशदिन ध्यावे, सुरनर मुनि ज्ञानी ॥ श्री जिनगिरिथी निकसी, गुरु गौतम वाणी, जीवन भ्रम तम नाशन, दिपक दरशाणी ॥ ॐ जय जिनवाणी माता… कुमत कुलाचल चूरन, वज्र सम सरधानी। नव नियोग निक्षेपन, देखत दरपानी ॥ ॐ जय जिनवाणी माता… पातक पंक पखालन, पुन्य…

श्री अभिनन्दन नाथ आरती

।। आरती ।। अभिनंदन प्रभु जी की आज, हम सब आरती करें। बड़ा सांचा प्रभु का दरबार, सब मिल आरती करें ।। राजा स्वयंवर के घर जब थे जन्में, इन्द्रगण आ मेरू पे अभिषेक करते, नगरी अयोध्या में खुशियां अपार, प्रजाजन उत्सव करें।। अभिनंदन प्रभु जी की आज… माघ सुदी बारस की तिथि बनी न्यारी,…

श्री आचार्य विद्यासागर आरती

॥ आरती ॥ विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के। आज उतारूँ आरतिया….. मल्लप्पा श्री, श्रीमती के गर्भ विषैं गुरु आये। ग्राम सदलगा जन्म लिया है, सबजन मंगल गाये॥ न रागी की, द्वेषी की, शुभ मंगल दीप सजाय के। गुरु जी सब जन मंगल गाये, आज उतारूँ आरतिया….. गुरुवर पाँच महाव्रत धारी, आतम…

श्री अनंतनाथ आरती

।। आरती ।। करते हैं प्रभू की आरती, आतमज्योति जलेगी। प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी।। हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तर्यामी ।। करते हैं प्रभू की आरती, आतमज्योति जलेगी… हे सिंहसेन के राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे। साकेतपुरी के नाथ, अनंत गुणाकर तुम न्यारे।। तेरी भक्ती से हर प्राणी में शक्ति जगेगी, हे त्रिभुवन स्वामी,…

श्री मल्लिनाथ आरती

।। आरती ।। मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 मिथिला नगरी जन्मे स्वामी, प्रजावती माँ हैं जगनामी-2 मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 कुम्भराज पितु तुम सम शिशु पा, कहलाये सचमुच रत्नाकर-2 मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे, पंचम गति का निज सुख लीजे-2 मगशिर सुदी…

श्री नेमिनाथ आरती

।। आरती ।। जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी तुम हो भवदधि तारक प्रभु जी, तुम हो भवदधि तारक प्रभु जी। अन्तर के यामि स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी। जय नेमीनाथ स्वामी… समवशरण में आप विराजे, समवशरण में आप विराजे । खिरे मधुर वाणी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी।…

श्री नमिनाथ आरती

॥ आरती ॥ श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की, आरति है सुखकारी। भव दु:ख हरती, सब सुख भरती, सदा सौख्य करतारी॥ श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की.. मिथिला नगरी धन्य हो गई, तुम सम सूर्य को पाके। मात वप्पिला, विजय पिता, जन्मोत्सव खूब मनाते। इन्द्र जन्मकल्याण मनाने, स्वर्ग से आते भारी। श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की.. शुभ…