ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || सतयुग में एक पृथु नामक राजा हुए जिन्होंने सौ यज्ञ किए। उनके राज्य में दयादेव नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, जिनके चार पुत्र थे। पिता ने वैदिक विधि से अपने पुत्रों का विवाह कर दिया। उन चार बहुओं में सबसे बड़ी बहू अपनी सास से कहने…

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकटा चतुर्थी का पूजन किस गणेश का और किस विधि से करना चाहिए, और उस दिन क्या भोजन करना चाहिए? गणेश जी ने उत्तर दिया – हे माता! वैशाख कृष्ण चतुर्थी के…

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

|| श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा || दारूका एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर अहंकार में डूबी रहती थी। उसका पति दरुका महान बलशाली राक्षस था। उसने अनेक राक्षसों को अपने साथ मिलाकर समाज में आतंक फैला रखा था। वह यज्ञ और शुभ कर्मों को नष्ट करता और संत-महात्माओं…

गोपेश्वर महादेव की लीला कथा

|| गोपेश्वर महादेव की कथा || एक बार शरद पूर्णिमा की उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर मन्मथनाथ की वंशी बज उठी। श्रीकृष्ण ने छ: मास की एक रात बनाकर मन्मथ का मानमर्दन करने के लिए महारास किया था। जब महारास की गूंज सारी त्रिलोकी में फैल गई, तो हमारे भोले बाबा…

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्राचीन काल में सतयुग में मकरध्वज नामक एक राजा थे। वे प्रजा के पालन में बहुत प्रेमी थे। उनके राज्य में कोई निर्धन नहीं था। चारों वर्ण अपने-अपने धर्मों का पालन करते थे। प्रजा को चोर-डाकू आदि का भय नहीं था। सभी लोग स्वस्थ रहते थे। लोग…

राजा नल दमयंती कथा

|| राजा नल दमयंती कथा || महाभारत महाकाव्य में एक प्रसंग के अनुसार, नल और दमयन्ती की कथा महाराज युधिष्ठिर को सुनाई गई थी। युधिष्ठिर को जुए में सब कुछ हारने के बाद अपने भाइयों के साथ 12 वर्षों का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास सहना पड़ा। वनवास के दौरान, धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह…

अगस्त 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची

August 2024 Festivals

अगस्त का महीना हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण त्योहारों और व्रतों से भरा हुआ है। इस महीने में भगवान कृष्ण का जन्मदिन, बहनों और भाइयों का प्यार का त्योहार रक्षाबंधन और नागों की पूजा का पर्व नाग पंचमी जैसे कई पर्व मनाए जाते हैं। अगस्त 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की…

शिवलीलामृत – अकरावा अध्याय 11

|| शिवलीलामृत अकरावा अध्याय 11 || श्रीगणेशाय नमः ॥ धन्य धन्य तेचि जन ॥ जे शिवभजनी परायण ॥ सदा शिवलीलामृत श्रवण ॥ अर्चन सदा शिवाचे ॥१॥ सूत म्हणे शौनकादिकांप्रति ॥ जे रुद्राक्षधारण भस्म चर्चिती ॥ त्यांच्या पुण्यास नाही मिती ॥ त्रिजगती तेचि धन्य ॥२॥ जो सहस्त्र रुद्राक्ष करी धारण ॥ त्यासी वंदिती शक्रादि सुरगण ॥…

महामृत्युंजय मंत्र क्यों है इतना खास? जानिए इसकी शक्ति, लाभ और वास्तविक अर्थ

Lord Shiva Mantra

महा मृत्युंजय मंत्र, ऋग्वेद का एक प्राचीन श्लोक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र न केवल मृत्यु पर विजय का प्रतीक है बल्कि जीवन, मृत्यु और मोक्ष के गहन दर्शन को भी प्रतिबिंबित करता है। हिंदू धर्म में, इस मंत्र को अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है और इसे विभिन्न अनुष्ठानों में उपयोग…

कौन थे पहले कांवरिया? जानें कांवड़ यात्रा का इतिहास, महत्व और रहस्य

kawad yatra

कांवड़ यात्रा भारत की सबसे प्रमुख और जीवंत हिंदू तीर्थयात्राओं में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिन्हें कांवरिया कहा जाता है। इस वार्षिक तीर्थयात्रा में गंगा नदी से पवित्र जल लेकर विभिन्न शिव मंदिरों तक पहुंचाया जाता है। लेकिन पहले कांवरिया कौन थे और इस प्राचीन परंपरा का इतिहास, महत्व और…

क्या है रुद्राभिषेक? जानें इसकी विधि, महत्व और लाभ

rudraabhisek

अभिषेक शब्द का अर्थ है “स्नान कराना”। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र, यानी भगवान शिव का अभिषेक करना। यह पवित्र स्नान शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है। रुद्राभिषेक…

दत्तात्रेय के 24 गुरु कौन थे? जानिए इनसे मिली शिक्षाएं|

bhagwan dattatreya

भगवान दत्तात्रेयजी हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर) का अवतार माना जाता है। वे एक सिद्ध पुरुष, योगी और संत के रूप में भी पूजित हैं। वे प्रकृति से सीखने के प्रबल समर्थक थे। उनके जीवन में 24 गुरु थे, जिनमें से अधिकांश प्राकृतिक तत्व थे। इनमें से…

शिव जी स्तुति

॥ शिव स्तुति ॥ आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥ निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,…

शिव चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल…

शिव जी आरती

॥आरती॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला…

श्री शिव सहस्रनामावली

॥श्री शिव सहस्रनामावली॥ ॐ स्थिराय नमः। ॐ स्थाणवे नमः। ॐ प्रभवे नमः। ॐ भीमाय नमः। ॐ प्रवराय नमः । ॐ वरदाय नमः । ॐ वराय नमः । ॐ सर्वात्मने नमः । ॐ सर्वविख्याताय नमः । ॐ सर्वस्मै नमः ॥ १० ॥ ॐ सर्वकराय नमः । ॐ भवाय नमः । ॐ जटिने नमः । ॐ चर्मिणे…

भोलेनाथ को कैसे करें प्रसन्न? सावन सोमवार पर लगाएं ये पसंदीदा भोग, होगी मनोकामना पूरी

shiv manta

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। कहा जाता है कि सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन विभिन्न प्रकार…

सावन माह 2024 – क्या करें और क्या न करें? भगवान शिव की पूजा विधि, व्रत नियम

shiv pooja in sawan

सावन मास, भगवान शिव का प्रिय महीना, 2024 में 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा। इस पवित्र महीने में, भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं, और कावड़ यात्रा निकालते हैं। सावन माह हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की…

शिव अमृतवाणी

|| शिव अमृतवाणी || कल्पतरु पुन्यातामा प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम पतिक पावन जैसे मधुर शिव रसन के घोलक भक्ति के हंसा ही चुगे मोती ये अनमोल जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए शिव सुमिरन से आत्मा अध्भुत निखरी जाये जैसे चन्दन वृक्ष को डसते नहीं है नाग शिव भक्तो के…

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् अर्थ सहित

।। शिव पंचाक्षर स्तोत्र की विधि ।। प्रात: काल सबसे पहले स्नान आदि करके शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और अंत में शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पठन की शुरुआत करना चाहिए। ।। शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ का लाभ ।। भगवान शिव के इस पंचाक्षर…

चिरंजीव और आयुषमती की कथा

|| चिरंजीव और आयुषमती की कथा || चिरंजीव एक समय की बात है, एक ब्राह्मण के संतान नहीं थी। उसने महामाया की तपस्या की, और माता जी उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान देने को तैयार हो गईं। ब्राह्मण ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा जताई। माता जी ने कहा, “मेरे पास दो प्रकार के…

भगवान दत्तात्रेय जन्म कथा

|| भगवान दत्तात्रेय जन्म कथा || भगवान को जब अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है, तो वे नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत का बड़ा अभिमान था। तीनों देवियों के अभिमान को नष्ट करने तथा अपनी परम भक्तिनी पतिव्रता धर्मचारिणी अनसूया के…

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा

|| पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा || पुराणों में अधिकमास, जिसे मलमास भी कहा जाता है, के पुरुषोत्तम मास बनने की एक बेहद रोचक कथा है। इस कथा के अनुसार बारह महीनों के अलग-अलग स्वामी हैं, लेकिन स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को मलमास कहा जाने लगा, जिससे उसकी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी…

राजा मुचुकुन्द की कथा

|| राजा मुचुकुन्द की कथा || त्रेता युग में महाराजा मान्धाता के तीन पुत्र हुए: अमरीष, पुरू और मुचुकुन्द। युद्ध नीति में निपुण होने के कारण देवासुर संग्राम में इंद्र ने महाराज मुचुकुन्द को अपना सेनापति बनाया। युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद महाराज मुचुकुन्द ने विश्राम की इच्छा प्रकट की। देवताओं ने उन्हें…

पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा

|| पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा || भगवान को अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है और वे इसके लिए नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। एक बार, श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत पर बहुत अभिमान हो गया। यह अभिमान भंग करने और अपनी परम भक्त, पतिव्रता…

सावन मे सोमवार व्रत कैसे करें, क्या खाएं और क्या ना खाएं

shiv bhagwan

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को सावन सोमवार कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मनोकामना पूर्ण करने के लिए रखा जाता है। सावन मास, भगवान शिव का प्रिय महीना, 2024 में 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त…

मार्गशीर्ष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| मार्गशीर्ष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने गणेश जी से पूछा, “हे लम्बोदर! अगहन कृष्ण चतुर्थी को संकटा कहलाती है। उस दिन किस गणेश की पूजा किस रीति से करनी चाहिए?” गणेश जी ने उत्तर दिया, “हे हिमालयनंदनी! अगहन में पूर्वोक्त रीति से गजानन नामक गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजन…

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्रत्येक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के…

पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पौष मास में चतुर्थी का व्रत कर रहे व्रतधारियों को दोनों हाथों में पुष्प लेकर श्री गणेश जी का ध्यान तथा पूजन करने के पश्चात पौष गणेश चतुर्थी की यह कथा अवश्य ही पढ़ना अथवा सुनना चाहिए। संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन श्री गणेश के दर्शन और…

बुध प्रदोष व्रत कथा

|| बुध प्रदोष व्रत कथा || बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत करने से सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। शंकर शिव जी की आराधना धूप, बेल पत्र आदि से करनी चाहिए। बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के 2 दिनों…

सोम प्रदोष व्रत कथा

|| सोम प्रदोष व्रत कथा || जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है वह प्रदोष सोम प्रदोष व्रत कहलाता है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है अतः इस दिन प्रदोष व्रत होने से उसकी महत्ता और भी अधिक बढ जाती है। एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का…

ಅಟಲಾ ತಡ್ಡೀ ವ್ರತ ಕಥಾ

|| ಅಟಲಾ ತಡ್ಡೀ ವ್ರತ ಕಥಾ || ಏಕ ರಾಜ್ಯ ಮೇಂ ಏಕ ರಾಜಕುಮಾರೀ ಥೀ ಜೋ ಅಟಲಾ ತಡ್ಡೀ ನೋಮು ವ್ರತ ಕಾ ಪಾಲನ ಕರ ರಹೀ ಥೀ. ಇಸ ವ್ರತ ಮೇಂ, ಉಸೇ ಪೂರೇ ದಿನ ಉಪವಾಸ ರಖನಾ ಹೋತಾ ಥಾ ಔರ ಕೇವಲ ಚಾಁದ ದಿಖನೇ ಕೇ ಬಾದ ಹೀ ಭೋಜನ ಕರನಾ ಹೋತಾ ಥಾ. ಕುಛ ಘಂಟೋಂ ಕೇ ಉಪವಾಸ ಕೇ ಬಾದ, ರಾಜಕುಮಾರೀ ಬೇಹೋಶ ಹೋ ಗಈ ಕ್ಯೋಂಕಿ ಉಸೇ…

महेश नवमी व्रत कथा

|| महेश नवमी व्रत कथा || एक समय की बात है जब राजा खडगलसेन शासन कर रहे थे। उनके पास कोई संतान नहीं थी। वे पुत्रकामेष्टी यज्ञ करने के बाद पुत्र की प्राप्ति के लिए उत्सुक थे, जिससे उन्हें एक पुत्र सुजान बच्चा हुआ। ऋषियों ने उन्हें चेतावनी दी कि उनके पुत्र को 20 वर्ष…

అటలా తడ్డీ వ్రత కథా

|| అటలా తడ్డీ వ్రత కథా || ఏక రాజ్య మేం ఏక రాజకుమారీ థీ జో అటలా తడ్డీ నోము వ్రత కా పాలన కర రహీ థీ. ఇస వ్రత మేం, ఉసే పూరే దిన ఉపవాస రఖనా హోతా థా ఔర కేవల చాఀద దిఖనే కే బాద హీ భోజన కరనా హోతా థా. కుఛ ఘంటోం కే ఉపవాస కే బాద, రాజకుమారీ బేహోశ హో గఈ క్యోంకి ఉసే…

सत्यनारायणाची कथा मराठी

|| सत्यनारायणाची कथा मराठी || प्रारंभ अध्याय पहिला अथ कथा: । श्रीगणेशाय नम: ॥ एकदा नैमिषारण्ये ऋषय: शौनकादय: ॥ पप्रच्छुर्मुनय: सर्वे सूतं पौराणिकं खलु ॥१॥ ऋषय ऊचु: ॥ व्रतेन तपसा किं वा प्राप्यते वांछितं फलम्। तत्सर्वं श्रोतुमिच्छाम: कथयस्व महामुने ॥२॥ सूत उवाच ॥ नरादेनैव संपृष्टो भगवान्कमलापति: ॥ सुरर्षये यथैवाह तच्छृणुध्वं समाहिता: ॥३॥ एकदा नारदो योगी परानुग्रहकांक्षया…

देवशयनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ देवशयनी एकादशी पूजा विधि ॥ सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग…

कूर्म स्तोत्रम्

|| कूर्म स्तोत्रम् || श्री गणेशाय नमः ॥ नमाम ते देव पदारविन्दं प्रपन्नतापोपशमातपत्रम् । यन्मूलकेता यतयोऽञ्जसोरुसंसारदुःखं बहिरुत्क्षिपन्ति ॥ धातर्यदस्मिन्भव ईश जीवास्तापत्रयेणोपहता न शर्म । आत्मँलभन्ते भगवंस्तवाङ्घ्रिच्छायां सविद्यामत आश्रयेम ॥ मार्गन्ति यत्ते मुखपद्मनीडैश्छन्दःसुपर्णैरृषयो विविक्ते । यस्याघमर्षोदसरिद्वरायाः पदं पदं तीर्थपदः प्रपन्नाः ॥ यच्छ्रद्धया श्रुतवत्यां च भक्त्या संमृज्यमाने हृदयेऽवधाय । ज्ञानेन वैराग्यबलेन धीरा व्रजेम तत्तेऽङ्घ्रिसरोजपीठम् ॥ विश्वस्य जन्मस्थितिसंयमार्थे…

કૂર્મ સ્તોત્રમ્

|| કૂર્મ સ્તોત્રમ્ || શ્રી ગણેશાય નમઃ .. નમામ તે દેવ પદારવિન્દં પ્રપન્નતાપોપશમાતપત્રમ્ . યન્મૂલકેતા યતયોઽઞ્જસોરુસંસારદુઃખં બહિરુત્ક્ષિપન્તિ .. ધાતર્યદસ્મિન્ભવ ઈશ જીવાસ્તાપત્રયેણોપહતા ન શર્મ . આત્મઁલભન્તે ભગવંસ્તવાઙ્ઘ્રિચ્છાયાં સવિદ્યામત આશ્રયેમ .. માર્ગન્તિ યત્તે મુખપદ્મનીડૈશ્છન્દઃસુપર્ણૈરૃષયો વિવિક્તે . યસ્યાઘમર્ષોદસરિદ્વરાયાઃ પદં પદં તીર્થપદઃ પ્રપન્નાઃ .. યચ્છ્રદ્ધયા શ્રુતવત્યાં ચ ભક્ત્યા સંમૃજ્યમાને હૃદયેઽવધાય . જ્ઞાનેન વૈરાગ્યબલેન ધીરા વ્રજેમ તત્તેઽઙ્ઘ્રિસરોજપીઠમ્ .. વિશ્વસ્ય જન્મસ્થિતિસંયમાર્થે…

କୂର୍ମ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍

|| କୂର୍ମ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍ || ଶ୍ରୀ ଗଣେଶାୟ ନମଃ ॥ ନମାମ ତେ ଦେବ ପଦାରବିନ୍ଦଂ ପ୍ରପନ୍ନତାପୋପଶମାତପତ୍ରମ୍ । ଯନ୍ମୂଲକେତା ଯତୟୋଽଞ୍ଜସୋରୁସଂସାରଦୁଃଖଂ ବହିରୁତ୍କ୍ଷିପନ୍ତି ॥ ଧାତର୍ୟଦସ୍ମିନ୍ଭବ ଈଶ ଜୀବାସ୍ତାପତ୍ରୟେଣୋପହତା ନ ଶର୍ମ । ଆତ୍ମଁଲଭନ୍ତେ ଭଗବଂସ୍ତବାଙ୍ଘ୍ରିଚ୍ଛାୟାଂ ସବିଦ୍ୟାମତ ଆଶ୍ରୟେମ ॥ ମାର୍ଗନ୍ତି ଯତ୍ତେ ମୁଖପଦ୍ମନୀଡୈଶ୍ଛନ୍ଦଃସୁପର୍ଣୈରୃଷୟୋ ବିବିକ୍ତେ । ଯସ୍ୟାଘମର୍ଷୋଦସରିଦ୍ୱରାୟାଃ ପଦଂ ପଦଂ ତୀର୍ଥପଦଃ ପ୍ରପନ୍ନାଃ ॥ ଯଚ୍ଛ୍ରଦ୍ଧୟା ଶ୍ରୁତବତ୍ୟାଂ ଚ ଭକ୍ତ୍ୟା ସଂମୃଜ୍ୟମାନେ ହୃଦୟେଽବଧାୟ । ଜ୍ଞାନେନ ବୈରାଗ୍ୟବଲେନ ଧୀରା ବ୍ରଜେମ ତତ୍ତେଽଙ୍ଘ୍ରିସରୋଜପୀଠମ୍ ॥ ବିଶ୍ୱସ୍ୟ ଜନ୍ମସ୍ଥିତିସଂୟମାର୍ଥେ…

கூர்ம ஸ்தோத்ரம்

|| கூர்ம ஸ்தோத்ரம் || ஶ்ரீ க³ணேஶாய நம꞉ .. நமாம தே தே³வ பதா³ரவிந்த³ம்ʼ ப்ரபன்னதாபோபஶமாதபத்ரம் . யன்மூலகேதா யதயோ(அ)ஞ்ஜஸோருஸம்ʼஸாரது³꞉க²ம்ʼ ப³ஹிருத்க்ஷிபந்தி .. தா⁴தர்யத³ஸ்மின்ப⁴வ ஈஶ ஜீவாஸ்தாபத்ரயேணோபஹதா ந ஶர்ம . ஆத்மம்ˮலப⁴ந்தே ப⁴க³வம்ʼஸ்தவாங்க்⁴ரிச்சா²யாம்ʼ ஸவித்³யாமத ஆஶ்ரயேம .. மார்க³ந்தி யத்தே முக²பத்³மனீடை³ஶ்ச²ந்த³꞉ஸுபர்ணைர்ருʼஷயோ விவிக்தே . யஸ்யாக⁴மர்ஷோத³ஸரித்³வராயா꞉ பத³ம்ʼ பத³ம்ʼ தீர்த²பத³꞉ ப்ரபன்னா꞉ .. யச்ச்²ரத்³த⁴யா ஶ்ருதவத்யாம்ʼ ச ப⁴க்த்யா ஸம்ʼம்ருʼஜ்யமானே ஹ்ருʼத³யே(அ)வதா⁴ய . ஜ்ஞானேன வைராக்³யப³லேன தீ⁴ரா வ்ரஜேம தத்தே(அ)ங்க்⁴ரிஸரோஜபீட²ம் .. விஶ்வஸ்ய ஜன்மஸ்தி²திஸம்ʼயமார்தே²…

কূৰ্ম স্তোত্ৰম্

|| কূৰ্ম স্তোত্ৰম্ || শ্ৰী গণেশায় নমঃ ॥ নমাম তে দেৱ পদাৰৱিন্দং প্ৰপন্নতাপোপশমাতপত্ৰম্ । যন্মূলকেতা যতয়োঽঞ্জসোৰুসংসাৰদুঃখং বহিৰুৎক্ষিপন্তি ॥ ধাতৰ্যদস্মিন্ভৱ ঈশ জীৱাস্তাপত্ৰয়েণোপহতা ন শৰ্ম । আত্মঁলভন্তে ভগৱংস্তৱাঙ্ঘ্ৰিচ্ছায়াং সৱিদ্যামত আশ্ৰয়েম ॥ মাৰ্গন্তি যত্তে মুখপদ্মনীডৈশ্ছন্দঃসুপৰ্ণৈৰৃষয়ো ৱিৱিক্তে । যস্যাঘমৰ্ষোদসৰিদ্ৱৰায়াঃ পদং পদং তীৰ্থপদঃ প্ৰপন্নাঃ ॥ যচ্ছ্ৰদ্ধয়া শ্ৰুতৱত্যাং চ ভক্ত্যা সংমৃজ্যমানে হৃদয়েঽৱধায় । জ্ঞানেন ৱৈৰাগ্যবলেন ধীৰা ৱ্ৰজেম তত্তেঽঙ্ঘ্ৰিসৰোজপীঠম্ ॥ ৱিশ্ৱস্য জন্মস্থিতিসংয়মাৰ্থে…

కూర్మ స్తోత్రం

|| కూర్మ స్తోత్రం || శ్రీ గణేశాయ నమః .. నమామ తే దేవ పదారవిందం ప్రపన్నతాపోపశమాతపత్రం . యన్మూలకేతా యతయోఽఞ్జసోరుసంసారదుఃఖం బహిరుత్క్షిపంతి .. ధాతర్యదస్మిన్భవ ఈశ జీవాస్తాపత్రయేణోపహతా న శర్మ . ఆత్మఀలభంతే భగవంస్తవాంఘ్రిచ్ఛాయాం సవిద్యామత ఆశ్రయేమ .. మార్గంతి యత్తే ముఖపద్మనీడైశ్ఛందఃసుపర్ణైరృషయో వివిక్తే . యస్యాఘమర్షోదసరిద్వరాయాః పదం పదం తీర్థపదః ప్రపన్నాః .. యచ్ఛ్రద్ధయా శ్రుతవత్యాం చ భక్త్యా సంమృజ్యమానే హృదయేఽవధాయ . జ్ఞానేన వైరాగ్యబలేన ధీరా వ్రజేమ తత్తేఽఙ్ఘ్రిసరోజపీఠం .. విశ్వస్య జన్మస్థితిసంయమార్థే…

কূর্ম স্তোত্রম্

|| কূর্ম স্তোত্রম্ || শ্রী গণেশায় নমঃ ॥ নমাম তে দেব পদারবিন্দং প্রপন্নতাপোপশমাতপত্রম্ । যন্মূলকেতা যতয়োঽঞ্জসোরুসংসারদুঃখং বহিরুৎক্ষিপন্তি ॥ ধাতর্যদস্মিন্ভব ঈশ জীবাস্তাপত্রয়েণোপহতা ন শর্ম । আত্মঁলভন্তে ভগবংস্তবাঙ্ঘ্রিচ্ছায়াং সবিদ্যামত আশ্রয়েম ॥ মার্গন্তি যত্তে মুখপদ্মনীডৈশ্ছন্দঃসুপর্ণৈরৃষয়ো বিবিক্তে । যস্যাঘমর্ষোদসরিদ্বরায়াঃ পদং পদং তীর্থপদঃ প্রপন্নাঃ ॥ যচ্ছ্রদ্ধয়া শ্রুতবত্যাং চ ভক্ত্যা সংমৃজ্যমানে হৃদয়েঽবধায় । জ্ঞানেন বৈরাগ্যবলেন ধীরা ব্রজেম তত্তেঽঙ্ঘ্রিসরোজপীঠম্ ॥ বিশ্বস্য জন্মস্থিতিসংয়মার্থে…

जानिए माता लक्ष्मी की अद्भुत कहानी, रहस्य, कथाएं और अनदेखे पहलू

lakshmi mata

देवी लक्ष्मी, धन, समृद्धि, वैभव और सौभाग्य की देवी हैं। हिंदू धर्म में उनका विशेष स्थान है और उनकी पूजा व्यापक रूप से की जाती है। देवी लक्ष्मी की पूजा अनेक अवसरों पर की जाती है, विशेष रूप से दीपावली, धनतेरस और विजयादशमी के दिन। उनकी पूजा के लिए श्री लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा और…

ಕೂರ್ಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ

|| ಕೂರ್ಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ || ಶ್ರೀ ಗಣೇಶಾಯ ನಮಃ .. ನಮಾಮ ತೇ ದೇವ ಪದಾರವಿಂದಂ ಪ್ರಪನ್ನತಾಪೋಪಶಮಾತಪತ್ರಂ . ಯನ್ಮೂಲಕೇತಾ ಯತಯೋಽಞ್ಜಸೋರುಸಂಸಾರದುಃಖಂ ಬಹಿರುತ್ಕ್ಷಿಪಂತಿ .. ಧಾತರ್ಯದಸ್ಮಿನ್ಭವ ಈಶ ಜೀವಾಸ್ತಾಪತ್ರಯೇಣೋಪಹತಾ ನ ಶರ್ಮ . ಆತ್ಮಁಲಭಂತೇ ಭಗವಂಸ್ತವಾಂಘ್ರಿಚ್ಛಾಯಾಂ ಸವಿದ್ಯಾಮತ ಆಶ್ರಯೇಮ .. ಮಾರ್ಗಂತಿ ಯತ್ತೇ ಮುಖಪದ್ಮನೀಡೈಶ್ಛಂದಃಸುಪರ್ಣೈರೃಷಯೋ ವಿವಿಕ್ತೇ . ಯಸ್ಯಾಘಮರ್ಷೋದಸರಿದ್ವರಾಯಾಃ ಪದಂ ಪದಂ ತೀರ್ಥಪದಃ ಪ್ರಪನ್ನಾಃ .. ಯಚ್ಛ್ರದ್ಧಯಾ ಶ್ರುತವತ್ಯಾಂ ಚ ಭಕ್ತ್ಯಾ ಸಂಮೃಜ್ಯಮಾನೇ ಹೃದಯೇಽವಧಾಯ . ಜ್ಞಾನೇನ ವೈರಾಗ್ಯಬಲೇನ ಧೀರಾ ವ್ರಜೇಮ ತತ್ತೇಽಙ್ಘ್ರಿಸರೋಜಪೀಠಂ .. ವಿಶ್ವಸ್ಯ ಜನ್ಮಸ್ಥಿತಿಸಂಯಮಾರ್ಥೇ…

ਕੂਰ੍ਮ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ੍

|| ਕੂਰ੍ਮ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ੍ || ਸ਼੍ਰੀ ਗਣੇਸ਼ਾਯ ਨਮਃ ॥ ਨਮਾਮ ਤੇ ਦੇਵ ਪਦਾਰਵਿਨ੍ਦੰ ਪ੍ਰਪੰਨਤਾਪੋਪਸ਼ਮਾਤਪਤ੍ਰਮ੍ । ਯਨ੍ਮੂਲਕੇਤਾ ਯਤਯੋ(ਅ)ਞ੍ਜਸੋਰੁਸੰਸਾਰਦੁਃਖੰ ਬਹਿਰੁਤ੍ਕ੍ਸ਼਼ਿਪਨ੍ਤਿ ॥ ਧਾਤਰ੍ਯਦਸ੍ਮਿਨ੍ਭਵ ਈਸ਼ ਜੀਵਾਸ੍ਤਾਪਤ੍ਰਯੇਣੋਪਹਤਾ ਨ ਸ਼ਰ੍ਮ । ਆਤ੍ਮੰਲਭਨ੍ਤੇ ਭਗਵੰਸ੍ਤਵਾਙ੍ਘ੍ਰਿੱਛਾਯਾਂ ਸਵਿਦ੍ਯਾਮਤ ਆਸ਼੍ਰਯੇਮ ॥ ਮਾਰ੍ਗਨ੍ਤਿ ਯੱਤੇ ਮੁਖਪਦ੍ਮਨੀਡੈਸ਼੍ਛਨ੍ਦਃਸੁਪਰ੍ਣੈੱਰੁਸ਼਼ਯੋ ਵਿਵਿਕ੍ਤੇ । ਯਸ੍ਯਾਘਮਰ੍ਸ਼਼ੋਦਸਰਿਦ੍ਵਰਾਯਾਃ ਪਦੰ ਪਦੰ ਤੀਰ੍ਥਪਦਃ ਪ੍ਰਪੰਨਾਃ ॥ ਯੱਛ੍ਰੱਧਯਾ ਸ਼੍ਰੁਤਵਤ੍ਯਾਂ ਚ ਭਕ੍ਤ੍ਯਾ ਸੰਮ੍ਰੁਜ੍ਯਮਾਨੇ ਹ੍ਰੁਦਯੇ(ਅ)ਵਧਾਯ । ਜ੍ਞਾਨੇਨ ਵੈਰਾਗ੍ਯਬਲੇਨ ਧੀਰਾ ਵ੍ਰਜੇਮ ਤੱਤੇ(ਅ)ਙ੍ਘ੍ਰਿਸਰੋਜਪੀਠਮ੍ ॥ ਵਿਸ਼੍ਵਸ੍ਯ ਜਨ੍ਮਸ੍ਥਿਤਿਸੰਯਮਾਰ੍ਥੇ…

കൂർമ സ്തോത്രം

|| കൂർമ സ്തോത്രം || ശ്രീ ഗണേശായ നമഃ .. നമാമ തേ ദേവ പദാരവിന്ദം പ്രപന്നതാപോപശമാതപത്രം . യന്മൂലകേതാ യതയോഽഞ്ജസോരുസംസാരദുഃഖം ബഹിരുത്ക്ഷിപന്തി .. ധാതര്യദസ്മിൻഭവ ഈശ ജീവാസ്താപത്രയേണോപഹതാ ന ശർമ . ആത്മഁലഭന്തേ ഭഗവംസ്തവാംഘ്രിച്ഛായാം സവിദ്യാമത ആശ്രയേമ .. മാർഗന്തി യത്തേ മുഖപദ്മനീഡൈശ്ഛന്ദഃസുപർണൈരൃഷയോ വിവിക്തേ . യസ്യാഘമർഷോദസരിദ്വരായാഃ പദം പദം തീർഥപദഃ പ്രപന്നാഃ .. യച്ഛ്രദ്ധയാ ശ്രുതവത്യാം ച ഭക്ത്യാ സംമൃജ്യമാനേ ഹൃദയേഽവധായ . ജ്ഞാനേന വൈരാഗ്യബലേന ധീരാ വ്രജേമ തത്തേഽങ്ഘ്രിസരോജപീഠം .. വിശ്വസ്യ ജന്മസ്ഥിതിസംയമാർഥേ…

सावन मास 2024 – जानिए भगवान शिव के अनजाने नाम और उनका महत्व

lord shiva

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने में भक्त भगवान शिव की पूजा, व्रत और ध्यान करते हैं। भगवान शिव को “शिव”, “महादेव”, “त्रिनेत्र”, “नीलकंठ” आदि अनेक नामों से जाना जाता है। सावन मास हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। यह समय भगवान शिव…

ଦତ୍ତାତ୍ରେୟ ଅଜପାଜପ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍

|| ଦତ୍ତାତ୍ରେୟ ଅଜପାଜପ ସ୍ତୋତ୍ରମ୍ || ଓଁ ତତ୍ସତ୍ ବ୍ରହ୍ମଣେ ନମଃ । ଓଁ ମୂଲାଧାରେ ବାରିଜପତ୍ରେ ଚତରସ୍ରେ ବଂଶଂଷଂସଂ ବର୍ଣ ବିଶାଲଂ ସୁବିଶାଲମ୍ । ରକ୍ତଂବର୍ଣେ ଶ୍ରୀଗଣନାଥଂ ଭଗବନ୍ତଂ ଦତ୍ତାତ୍ରେୟଂ ଶ୍ରୀଗୁରୁମୂର୍ତିଂ ପ୍ରଣତୋଽସ୍ମି ॥ ସ୍ୱାଧିଷ୍ଠାନେ ଷଟ୍ଦଲ ପଦ୍ମେ ତନୁଲିଙ୍ଗଂ ବଂଲାନ୍ତଂ ତତ୍ ବର୍ଣମୟାଭଂ ସୁବିଶାଲମ୍ । ପୀତଂବର୍ଣଂ ବାକ୍ପତି ରୂପଂ ଦ୍ରୁହିଣନ୍ତଂ ଦତ୍ତାତ୍ରେୟଂ ଶ୍ରୀଗୁରୁମୂର୍ତିଂ ପ୍ରଣତୋଽସ୍ମି ॥ ନାଭୌ ପଦ୍ମଂୟତ୍ରଦଶାଢାଂ ଡମ୍ଫଂ ବର୍ଣଂ ଲକ୍ଷ୍ମୀକାନ୍ତଂ ଗରୁଡାରୁଢଂ ନରବୀରମ୍ । ନୀଲଂବର୍ଣଂ ନିର୍ଗୁଣରୂପଂ ନିଗମାନ୍ତଂ ଦତ୍ତାତ୍ରେୟଂ…

दत्तात्रेय अजपाजप स्तोत्रम्

|| दत्तात्रेय अजपाजप स्तोत्रम् || ॐ तत्सत् ब्रह्मणे नमः । ॐ मूलाधारे वारिजपत्रे चतरस्रे वंशंषंसं वर्ण विशालं सुविशालम् । रक्तंवर्णे श्रीगणनाथं भगवन्तं दत्तात्रेयं श्रीगुरुमूर्तिं प्रणतोऽस्मि ॥ स्वाधिष्ठाने षट्दल पद्मे तनुलिङ्गं बंलांतं तत् वर्णमयाभं सुविशालम् । पीतंवर्णं वाक्पति रूपं द्रुहिणन्तं दत्तात्रेयं श्रीगुरुमूर्तिं प्रणतोऽस्मि ॥ नाभौ पद्मंयत्रदशाढां डंफं वर्णं लक्ष्मीकान्तं गरुडारुढं नरवीरम् । नीलंवर्णं निर्गुणरूपं निगमान्तं दत्तात्रेयं…