हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, और जब यह मंगलवार (Tuesday) के दिन पड़ता है, तो इसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। यह दिन न केवल देवों के देव महादेव (Lord Shiva) को समर्पित है, बल्कि मंगल देव और पवनपुत्र हनुमान जी की कृपा पाने का भी अत्यंत शुभ अवसर होता है। भौम का अर्थ है मंगल, जो साहस, ऊर्जा और शौर्य का ग्रह है। यह व्रत विशेष रूप से कर्ज (Loan) या ऋण से मुक्ति और मंगल दोष के शमन के लिए किया जाता है।
इस पावन अवसर पर, प्रदोष काल में रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है। आइए, जानते हैं कि प्रदोष काल में रुद्राभिषेक की सही विधि क्या है और कौन से प्रभावशाली मंत्र आपकी हर मनोकामना को पूरा कर सकते हैं।
प्रदोष काल – शिव-कृपा का स्वर्णिम समय
प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त होने वाला होता है और रात्रि शुरू होने वाली होती है। यह गोधूलि वेला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि इस समय महादेव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं, इसलिए प्रदोष काल में उनकी पूजा करने से भक्तों को शीघ्र अति शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
रुद्राभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त – (अपने शहर के सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक)
प्रदोष काल में रुद्राभिषेक की सरल और प्रभावशाली विधि
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम मार्ग है। यह प्रक्रिया शिवलिंग को विभिन्न शुभ पदार्थों से स्नान कराने पर केंद्रित है।
- प्रदोष काल में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। शिवलिंग को स्थापित करें। हाथ में जल लेकर अपना नाम, गोत्र और व्रत का उद्देश्य (मनोकामना) बोलकर रुद्राभिषेक का संकल्प (Resolution) लें।
- शिवलिंग को सर्वप्रथम शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद, क्रम से निम्नलिखित पदार्थों से अभिषेक करें और प्रत्येक अभिषेक के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें:
- गाय का दूध: आरोग्य, लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए।
- दही: जीवन में स्थायित्व और संपत्ति के लिए।
- शहद: मिठास, मधुर वाणी और सम्मान के लिए।
- घी: मोक्ष और शक्ति के लिए।
- गन्ने का रस या शक्कर का घोल: धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए।
- पंचामृत से अभिषेक के बाद, पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शिवलिंग पर चंदन या भस्म का लेप लगाएं। बेलपत्र, धतूरा, भांग और अन्य फूल अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाएं। ऋतु फल और मिष्ठान्न (भोग) चढ़ाएं।
मनोकामना पूर्ति के लिए जपें ये प्रभावशाली मंत्र
भौम प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक के दौरान और पूजा समाप्ति के बाद इन शक्तिशाली मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप (Chanting) अवश्य करें। रुद्राक्ष की माला से जाप करना अत्यधिक शुभ होता है।
महामृत्युंजय मंत्र: (सर्वश्रेष्ठ मनोकामना पूर्ति) – यह मंत्र न केवल रोगों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि हर प्रकार की इच्छा पूर्ति के लिए भी अचूक माना गया है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव पंचाक्षर मंत्र: (सरल और प्रभावी) – यह मंत्र सबसे सरल है और सभी प्रकार के पापों और दुखों का नाश करता है।
ॐ नमः शिवाय
ऋणमुक्ति के लिए विशेष मंत्र – भौम प्रदोष व्रत विशेष रूप से ऋण मोचन के लिए होता है। मंगल देव को प्रसन्न करने और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
ॐ ह्रीं श्रीं भौमाय नमः।
भगवान शिव का गायत्री मंत्र – (ज्ञान और शांति के लिए)
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
भौम प्रदोष व्रत का महत्व और लाभ (Benefits)
- कर्ज मुक्ति – जो व्यक्ति सच्चे मन से भौम प्रदोष व्रत रखता है और शिव-हनुमान जी की पूजा करता है, उसे शीघ्र ही सभी प्रकार के ऋणों (Debts) से मुक्ति मिलती है।
- मंगल दोष शांति – जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष है, उनके लिए यह व्रत बहुत लाभकारी है। यह विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है।
- आरोग्य और दीर्घायु – रुद्राभिषेक से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।
- शत्रु पर विजय – यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है और आत्मविश्वास (Self-Confidence) बढ़ाता है।
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