आसमान में होने वाली खगोलीय घटनाएं (celestial events) हमेशा से ही मनुष्य को आकर्षित करती रही हैं। इनमें से एक सबसे अद्भुत और रहस्यमयी घटना है ‘चंद्र ग्रहण’ (Lunar Eclipse)। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है, तो यह अनोखी घटना घटित होती है। साल 2025 में आने वाला चंद्र ग्रहण न केवल ज्योतिष और धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि विज्ञान के लिए भी यह एक खास मौका है। इस ब्लॉग में, हम चंद्र ग्रहण 2025 के शुभ-अशुभ प्रभावों, इसके पीछे की प्राचीन मान्यताओं और इस खगोलीय घटना के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विस्तार से जानेंगे।
चंद्र ग्रहण 2025 कब है? (When is the Lunar Eclipse 2025?)
साल 2025 का चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। चन्द्र ग्रहण सितम्बर 7, 2025, रविवार। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस ग्रहण का प्रभाव कई राशियों पर अलग-अलग तरह से पड़ेगा।
चंद्र ग्रहण को क्यों माना जाता है एक अद्भुत घटना? (Why is a Lunar Eclipse considered an amazing event?)
वैज्ञानिक दृष्टि से, चंद्र ग्रहण एक पूरी तरह से प्राकृतिक घटना है। यह पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की एक सीधी रेखा में आने की वजह से होता है। लेकिन इसे अद्भुत बनाने वाले कुछ खास पहलू हैं:
- रंगों का खेल – पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से काला नहीं होता, बल्कि उसका रंग लाल, नारंगी या भूरा हो जाता है। इसे ‘ब्लड मून’ (Blood Moon) भी कहते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर जाने वाली सूर्य की लाल रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है।
- दृश्यता – यह घटना दुनिया के कई हिस्सों में एक साथ देखी जा सकती है, जिससे लोग इसे एक साथ अनुभव करते हैं।
- ग्रहण की अवधि – ग्रहण की अवधि अलग-अलग होती है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाती है।
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताएं – शुभ-अशुभ फल
भारतीय ज्योतिष और हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इसे शुभ और अशुभ दोनों तरह के फलों से जोड़ा जाता है।
धार्मिक मान्यताएं:
- राहु और केतु की कहानी – पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहण का कारण राहु और केतु नामक दो छाया ग्रह हैं। समुद्र मंथन के दौरान, राहु ने छल से अमृत का पान किया था, जिसके बाद भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु (सिर) और केतु (धड़) आज भी सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानकर उन्हें ग्रसित करने की कोशिश करते हैं, जिससे ग्रहण होता है।
- सूतक काल – ग्रहण शुरू होने से पहले ‘सूतक काल’ (Sutak Kaal) शुरू हो जाता है, जिसे एक अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना होता है:
- मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
- भोजन पकाने और खाने से परहेज किया जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
ज्योतिषीय फल
ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी 12 राशियों पर अलग-अलग पड़ता है। यह ग्रहण जिस राशि में होता है, उस राशि पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।
- शुभ प्रभाव (Positive effects) – कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण धन लाभ, करियर में उन्नति, और रुके हुए कामों में सफलता लेकर आ सकता है। विशेषकर, यह ग्रहण उन लोगों के लिए शुभ हो सकता है जिनकी कुंडली में चंद्रमा मजबूत स्थिति में है।
- अशुभ प्रभाव (Negative effects) – कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, और आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। ऐसे में, ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना, दान-पुण्य करना और नकारात्मकता से बचना लाभकारी होता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें? (What to do and what not to do during an eclipse?)
क्या करें
- ग्रहण के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
- ग्रहण काल में ध्यान (meditation) करना और अपने इष्ट देव की आराधना करना मानसिक शांति देता है।
- ग्रहण के बाद गरीबों को अनाज, कपड़े, या धन का दान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है।
- ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कना शुद्धिकरण (purification) के लिए अच्छा होता है।
क्या न करें
- ग्रहण के समय खाना-पीना वर्जित माना गया है।
- खासकर गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।
- इस समय शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।
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