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छिन्नमस्ता जयंती 2024, छिन्नमस्ता मंत्र, पूजा विधि और महत्व

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chhinnmatsa mata

देवी छिन्नमस्ता, जिन्हें प्रचंड चंडिका या छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है, दस महाविद्याओं में से एक महत्वपूर्ण देवी हैं। इन दस महाविद्याओं को बुद्धि की देवी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता ने अपने सहयोगियों की भूख मिटाने के लिए अपने सिर को काट दिया था।

छिन्नमस्ता जयंती आमतौर पर चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष छिन्मस्ता जयंती 22 मई 2024 को है इस दिन देशभर के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। देवी छिन्नमस्ता की पूजा करते समय लाल रंग का वस्त्र धारण करना, नीले फूल और माला अर्पित करना, सरसों के तेल का दीपक जलाना और उड़द की दाल का भोग लगाना विशेष महत्व रखता है।

देवी छिन्नमस्ता को शक्ति, पराक्रम और बलिदान की प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष, ज्ञान, समृद्धि और अंधकार पर प्रकाश की विजय प्राप्त होती है। देवी छिन्नमस्ता की पूजा देशभर के कई मंदिरों में की जाती है, जिनमें झारखंड में स्थित रजरप्पा मंदिर और राजस्थान में स्थित राजगढ़ मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

देवी छिन्नमस्ता के कुछ महत्वपूर्ण रूप इस प्रकार हैं:

  • जगन्नाथी: देवी पार्वती का रूप
  • कमला: देवी लक्ष्मी का रूप
  • वाराही: देवी दुर्गा का रूप
  • धूम्रवती: देवी काली का रूप
  • बगलामुखी: ज्ञान और विद्या की देवी
  • उग्रतारा: मोक्ष की देवी
  • त्रिपुरा सुंदरी: सौंदर्य और कला की देवी
  • महातारा: तंत्र शक्ति की देवी
  • भवानी: जीवन और मृत्यु की देवी

छिन्नमस्ता जयंती पर पूजा विधि

प्रातःकाल:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें: सूर्योदय से पहले का समय, जो आध्यात्मिकता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • माँ का ध्यान: शांत मन से बैठकर देवी छिन्नमस्ता सहस्रनामावली का ध्यान करें।
  • घर की साफ-सफाई: पूजा स्थल और पूरे घर को स्वच्छ करें।
  • स्नान: गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर शुद्धिकरण करें।
  • नवीन वस्त्र: लाल रंग का नवीन वस्त्र धारण करें, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
  • आचमन: हाथ में जल लेकर आचमन कर खुद को शुद्ध करें।
  • व्रत संकल्प: दाहिने हाथ में लाल पुष्प रखकर छिन्नमस्ता जयंती का व्रत संकल्प लें।
  • देवी प्रतिमा स्थापन: एक चौकी पर माँ छिन्नमस्ता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • श्रृंगार: देवी को श्रृंगार का सामान जैसे सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, लाल फूल आदि अर्पित करें।
  • भोग: फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत और मिष्ठान भेंट करें।

दिनचर्या:

  • उपवास: पूरे दिन निर्जला या सात्विक व्रत रखें।
  • ध्यान: दिनभर ध्यान और मंत्र जाप करते रहें।
  • सकारात्मकता: नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मकता बनाए रखें।

शाम:

  • आरती: शाम को देवी की आरती करें।
  • फलाहार: आरती के बाद फलाहार ग्रहण करें।

पूजन सामग्री:

  • नीले फूल और माला
  • धूप, अगरबत्ती, कपूर
  • सरसों का तेल
  • नारियल
  • मिठाई
  • उड़द की दाल
  • लाल कपड़ा
  • फल
  • सुपारी
  • पान
  • दक्षिणा

छिन्नमस्ता मंत्र:

ॐ ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा ॥

अन्य मंत्र:

  • ॐ जयंति छिन्नमस्तायै नमः
  • ॐ देवी छिन्नमस्तायै स्वाहा

छिन्नमस्ता जयंती का क्या महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छिन्नमस्ता माता देवी काली का एक विशेष रूप हैं। उन्हें जीवन हरने वाली के साथ ही जीवन दाता भी माना जाता है। छिन्नमस्ता की पूजा करने से भक्तों को उनकी सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

इससे भक्तों की आध्यात्मिक और सामाजिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। देवी की पूजा से, भक्त अपने संतान, कर्ज, और यौन समस्याओं से संबंधित मुश्किलात से राहत प्राप्त कर सकते हैं। लोग धन, समृद्धि, और विजय प्राप्ति के लिए भी देवी की आराधना करते हैं।

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