बुधवार व्रत करने की विधि और नियम – जानें क्या खाएं, क्या न खाएं

budhvaar vrat

हिंदू धर्म में, बुधवार का व्रत, जिसे बुधवार व्रत के नाम से जाना जाता है, बुद्धि, धन और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिसे ज्योतिष में बुद्धि, संचार, व्यापार और वाणी का कारक माना जाता है बुधवार व्रत करने से…

अखुरठा संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

|| अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और पार्वती ने चौसर खेलने का निर्णय लिया। हालांकि, खेल की निगरानी करने वाला कोई नहीं था, इसलिए भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से एक छोटे लड़के को उत्पन्न किया और उसे रेफरी बनने के लिए कहा।…

श्री गणेशाष्टक स्तोत्र

॥ श्री गणेशाष्टक स्तोत्र ॥ यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवा यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते। यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नं सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥ यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता। तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याः सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥ यतो वह्निभानूद्भवो भूर्जलं च यतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः। यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घाः सदा तं गणेशं नमामो भजामः॥ यतो दानवाः किंनरा यक्षसङ्घा यतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।…

श्री गजानन स्तोत्र

॥ श्री गजानन स्तोत्र ॥ || देवर्षि उवाचुः ||  विदेहरूपं भवबन्धहारं सदा स्वनिष्ठं स्वसुखप्रद तम्। अमेयसांख्येन च लक्ष्यमीशं गजाननं भक्तियुतं भजामः॥ मुनीन्द्रवन्यं विधिबोधहीनं सुबुद्धिदं बुद्धिधरं प्रशान्तम्। विकारहीनं सकलाङ्गकं वै गजाननं भक्तियुतं भजामः॥ अमेयरूपं हृदि संस्थितं तं ब्रह्माहमेकं भ्रमनाशकारम्। अनादिमध्यान्तमपाररूपं गजाननं भक्तियुतं भजामः॥ जगत्प्रमाणं जगदीशमेवमगम्यमाद्यं जगदादिहीनम्। अनात्मनां मोहप्रदं पुराणं गजाननं भक्तियुतं भजामः॥ न पृथ्विरूपं न जलप्रकाशं…

साल 2025 में संकष्टी चतुर्थी कब-कब है? देखें पूरी लिस्ट

Sankashti Chaturthi

संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है और प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है….

2025 में विनायक चतुर्थी कब-कब मनाई जाएगी? जानिए पूरी लिस्ट

vinayak chaturthi

विनायक चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता माना जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन भक्त सुबह स्नान…

भगवान गणेश गकार सहस्रनामावली

भगवान गणेश गकार सहस्रनामावली में भगवान गणेश के 1000 दिव्य नाम गकार अक्षर से आरंभ होते हैं। यह सहस्रनामावली भगवान गणेश के ज्ञान, बुद्धि, सिद्धि, और विघ्नहर्ता स्वरूप का वर्णन करती है। गकार से आरंभ होने वाले नाम भगवान गणेश के अद्भुत रूप, कार्य और प्रभाव को दर्शाते हैं। गकार सहस्रनामावली का पाठ न केवल…

भगवान गणेश सहस्रनामावली

भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदायक” के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के स्मरण और पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। गणेश सहस्रनामावली भगवान गणेश के एक हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी महिमा, शक्तियों और दिव्य…

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (मार्गशीर्ष संकष्टी गणेश चतुर्थी) व्रत कथा

|| मार्गशीर्ष (गणाधिप) संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार माता पार्वती ने भगवान गणेश से पूछा, “हे गणेश! मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। उस दिन किस प्रकार से आपकी पूजा की जानी चाहिए?” भगवान गणेश ने कहा, “हे मां! मार्गशीर्ष माह की…

कार्तिक संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| कार्तिक संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने पूछा, “हे लम्बोदर! जो सबसे भाग्यशाली हैं, और भाषण करने में श्रेष्ठ हैं! मुझे बताओ कि कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन किस नाम वाले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और किस विधि से?” श्रीकृष्ण जी ने कहा, “गणेश जी ने अपनी माता के…

(विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी) आश्विन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| आश्विन संकष्टी गणेश (विघ्नराज) चतुर्थी व्रत कथा || आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी को श्रीकृष्ण और बाणासुर की कथा इस प्रकार है: एक समय की बात है, बाणासुर की कन्या उषा ने सुषुप्तावस्था में अनिरुद्ध का स्वप्न देखा। अनिरुद्ध के विरह से वह इतनी अभिलाषी हो गई कि उसके चित को किसी भी प्रकार से…

भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पूर्वकाल में राजाओं में श्रेष्ठ राजा नल थे, और उनकी रूपवती रानी का नाम दमयन्ती था। शापवश राजा नल को राज्य खोना पड़ा और रानी के वियोग से कष्ट सहना पड़ा। तब दमयन्ती ने इस व्रत के प्रभाव से अपने पति को पुनः प्राप्त किया। राजा नल…

एकदंत गणेश स्तोत्रम्

|| एकदंत गणेश स्तोत्रम् || श्रीगणेशाय नमः । मदासुरं सुशान्तं वै दृष्ट्वा विष्णुमुखाः सुराः । भृग्वादयश्च मुनय एकदन्तं समाययुः ॥ १॥ प्रणम्य तं प्रपूज्यादौ पुनस्तं नेमुरादरात् । तुष्टुवुर्हर्षसंयुक्ता एकदन्तं गणेश्वरम् ॥ २॥ देवर्षय ऊचुः सदात्मरूपं सकलादि- भूतममायिनं सोऽहमचिन्त्यबोधम् । अनादि-मध्यान्त-विहीनमेकं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥ ३॥ अनन्त-चिद्रूप-मयं गणेशं ह्यभेद-भेदादि-विहीनमाद्यम् । हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थं तमेकदन्तं शरणं…

आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो

|| आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो || शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको । हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥ जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता, जय देव जय देव…

श्री गणेश व्रत कथा

|| श्री गणेश जी पूजन विधि || भगवान श्री गणेश जी की पूजन में वेद मंत्र का उच्चारण किया जाता है। पर जिन्हें वेद मंत्र न आता हो, वो नाम – मंत्रों से भी पूजन कर सकते है। सबसे पहले आप स्नान करले और उसके पश्चात अपने पास पूजा सम्बंधित समस्त सामग्री रख लें फिर…

गणेश कवचम्

|| गणेश कवचम् || एषोति चपलो दैत्यान् बाल्येपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ 1 ॥ दैत्या नानाविधा दुष्टास्साधु देवद्रुमः खलाः । अतोस्य कण्ठे किञ्चित्त्यं रक्षां सम्बद्धुमर्हसि ॥ 2 ॥ ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहु माद्ये युगे त्रेतायां तु मयूर वाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । ई द्वापरेतु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुं तुर्ये तु…

गणेश कवचम्

|| गणेश कवचम् || एषोति चपलो दैत्यान् बाल्येपि नाशयत्यहो । अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ॥ 1 ॥ दैत्या नानाविधा दुष्टास्साधु देवद्रुमः खलाः । अतोस्य कंठे किंचित्त्यं रक्षां संबद्धुमर्हसि ॥ 2 ॥ ध्यायेत् सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहु माद्ये युगे त्रेतायां तु मयूर वाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् । द्वापरेतु गजाननं युगभुजं रक्तांगरागं विभुं तुर्ये तु द्विभुजं…

श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम हिन्दी पाठ अर्थ सहित (विधि – लाभ)

।। गणपति अथर्वशीर्ष पाठ विधि – लाभ ।। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ हमेशा आसन पर बैठ पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। अथर्वशीर्ष स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के जीवन में सर्वांगीण उन्नति होती है। इसके पाठ से सभी प्रकार के विघ्न-बाधाएं दूर होती है। व्यापार या नौकरी…

श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम

|| श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम || ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि त्वमेव केवलं कर्ताऽसि त्वमेव केवलं धर्ताऽसि त्वमेव केवलं हर्ताऽसि त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम् ।। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि ।। अव त्व मां। अव वक्तारं। अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चातात। अव पुरस्तात। अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्। अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।। सर्वतो माँ पाहि-पाहि…

ശ്രീ ഗണപതി അഥർവശീർഷ സ്തോത്രമ

|| ശ്രീ ഗണപതി അഥർവശീർഷ സ്തോത്രമ || ഓം നമസ്തേ ഗണപതയേ. ത്വമേവ പ്രത്യക്ഷം തത്വമസി ത്വമേവ കേവലം കർതാഽസി ത്വമേവ കേവലം ധർതാഽസി ത്വമേവ കേവലം ഹർതാഽസി ത്വമേവ സർവം ഖല്വിദം ബ്രഹ്മാസി ത്വ സാക്ഷാദാത്മാഽസി നിത്യം .. ഋതം വച്മി. സത്യം വച്മി .. അവ ത്വ മാം. അവ വക്താരം. അവ ധാതാരം. അവാനൂചാനമവ ശിഷ്യം. അവ പശ്ചാതാത. അവ പുരസ്താത. അവോത്തരാത്താത. അവ ദക്ഷിണാത്താത്. അവചോർധ്വാത്താത്.. അവാധരാത്താത്.. സർവതോ മാഁ പാഹി-പാഹി…

શ્રી ગણપતિ અથર્વશીર્ષ સ્તોત્રમ

|| શ્રી ગણપતિ અથર્વશીર્ષ સ્તોત્રમ || ૐ નમસ્તે ગણપતયે. ત્વમેવ પ્રત્યક્ષં તત્વમસિ ત્વમેવ કેવલં કર્તાઽસિ ત્વમેવ કેવલં ધર્તાઽસિ ત્વમેવ કેવલં હર્તાઽસિ ત્વમેવ સર્વં ખલ્વિદં બ્રહ્માસિ ત્વ સાક્ષાદાત્માઽસિ નિત્યમ્ .. ઋતં વચ્મિ. સત્યં વચ્મિ .. અવ ત્વ માં. અવ વક્તારં. અવ ધાતારં. અવાનૂચાનમવ શિષ્યં. અવ પશ્ચાતાત. અવ પુરસ્તાત. અવોત્તરાત્તાત. અવ દક્ષિણાત્તાત્. અવચોર્ધ્વાત્તાત્.. અવાધરાત્તાત્.. સર્વતો માઁ પાહિ-પાહિ…

ஶ்ரீ க³ணபதி அத²ர்வஶீர்ஷ ஸ்தோத்ரம

|| ஶ்ரீ க³ணபதி அத²ர்வஶீர்ஷ ஸ்தோத்ரம || ௐ நமஸ்தே க³ணபதயே. த்வமேவ ப்ரத்யக்ஷம்ʼ தத்வமஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ கர்தா(அ)ஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ த⁴ர்தா(அ)ஸி த்வமேவ கேவலம்ʼ ஹர்தா(அ)ஸி த்வமேவ ஸர்வம்ʼ க²ல்வித³ம்ʼ ப்³ரஹ்மாஸி த்வ ஸாக்ஷாதா³த்மா(அ)ஸி நித்யம் .. ருʼதம்ʼ வச்மி. ஸத்யம்ʼ வச்மி .. அவ த்வ மாம்ʼ. அவ வக்தாரம்ʼ. அவ தா⁴தாரம்ʼ. அவானூசானமவ ஶிஷ்யம்ʼ. அவ பஶ்சாதாத. அவ புரஸ்தாத. அவோத்தராத்தாத. அவ த³க்ஷிணாத்தாத். அவசோர்த்⁴வாத்தாத்.. அவாத⁴ராத்தாத்.. ஸர்வதோ மாம்ˮ பாஹி-பாஹி…

ଶ୍ରୀ ଗଣପତି ଅଥର୍ୱଶୀର୍ଷ ସ୍ତୋତ୍ରମ

|| ଶ୍ରୀ ଗଣପତି ଅଥର୍ୱଶୀର୍ଷ ସ୍ତୋତ୍ରମ || ଓଁ ନମସ୍ତେ ଗଣପତୟେ। ତ୍ୱମେବ ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷଂ ତତ୍ୱମସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ କର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ ଧର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ କେବଲଂ ହର୍ତାଽସି ତ୍ୱମେବ ସର୍ୱଂ ଖଲ୍ୱିଦଂ ବ୍ରହ୍ମାସି ତ୍ୱ ସାକ୍ଷାଦାତ୍ମାଽସି ନିତ୍ୟମ୍ ॥ ଋତଂ ବଚ୍ମି। ସତ୍ୟଂ ବଚ୍ମି ॥ ଅବ ତ୍ୱ ମାଂ। ଅବ ବକ୍ତାରଂ। ଅବ ଧାତାରଂ। ଅବାନୂଚାନମବ ଶିଷ୍ୟଂ। ଅବ ପଶ୍ଚାତାତ। ଅବ ପୁରସ୍ତାତ। ଅବୋତ୍ତରାତ୍ତାତ। ଅବ ଦକ୍ଷିଣାତ୍ତାତ୍। ଅବଚୋର୍ଧ୍ୱାତ୍ତାତ୍॥ ଅବାଧରାତ୍ତାତ୍॥ ସର୍ୱତୋ ମାଁ ପାହି-ପାହି…

ਸ਼੍ਰੀ ਗਣਪਤਿ ਅਥਰ੍ਵਸ਼ੀਰ੍ਸ਼਼ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ

|| ਸ਼੍ਰੀ ਗਣਪਤਿ ਅਥਰ੍ਵਸ਼ੀਰ੍ਸ਼਼ ਸ੍ਤੋਤ੍ਰਮ || ੴ ਨਮਸ੍ਤੇ ਗਣਪਤਯੇ। ਤ੍ਵਮੇਵ ਪ੍ਰਤ੍ਯਕ੍ਸ਼਼ੰ ਤਤ੍ਵਮਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਕਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਧਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਕੇਵਲੰ ਹਰ੍ਤਾ(ਅ)ਸਿ ਤ੍ਵਮੇਵ ਸਰ੍ਵੰ ਖਲ੍ਵਿਦੰ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾਸਿ ਤ੍ਵ ਸਾਕ੍ਸ਼਼ਾਦਾਤ੍ਮਾ(ਅ)ਸਿ ਨਿਤ੍ਯਮ੍ ॥ ਰੁਤੰ ਵਚ੍ਮਿ। ਸਤ੍ਯੰ ਵਚ੍ਮਿ ॥ ਅਵ ਤ੍ਵ ਮਾਂ। ਅਵ ਵਕ੍ਤਾਰੰ। ਅਵ ਧਾਤਾਰੰ। ਅਵਾਨੂਚਾਨਮਵ ਸ਼ਿਸ਼਼੍ਯੰ। ਅਵ ਪਸ਼੍ਚਾਤਾਤ। ਅਵ ਪੁਰਸ੍ਤਾਤ। ਅਵੋੱਤਰਾੱਤਾਤ। ਅਵ ਦਕ੍ਸ਼਼ਿਣਾੱਤਾਤ੍। ਅਵਚੋਰ੍ਧ੍ਵਾੱਤਾਤ੍॥ ਅਵਾਧਰਾੱਤਾਤ੍॥ ਸਰ੍ਵਤੋ ਮਾਂ ਪਾਹਿ-ਪਾਹਿ…

শ্ৰী গণপতি অথৰ্ৱশীৰ্ষ স্তোত্ৰম

|| শ্ৰী গণপতি অথৰ্ৱশীৰ্ষ স্তোত্ৰম || ওঁ নমস্তে গণপতয়ে। ত্ৱমেৱ প্ৰত্যক্ষং তত্ৱমসি ত্ৱমেৱ কেৱলং কৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ কেৱলং ধৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ কেৱলং হৰ্তাঽসি ত্ৱমেৱ সৰ্ৱং খল্ৱিদং ব্ৰহ্মাসি ত্ৱ সাক্ষাদাত্মাঽসি নিত্যম্ ॥ ঋতং ৱচ্মি। সত্যং ৱচ্মি ॥ অৱ ত্ৱ মাং। অৱ ৱক্তাৰং। অৱ ধাতাৰং। অৱানূচানমৱ শিষ্যং। অৱ পশ্চাতাত। অৱ পুৰস্তাত। অৱোত্তৰাত্তাত। অৱ দক্ষিণাত্তাৎ। অৱচোৰ্ধ্ৱাত্তাৎ॥ অৱাধৰাত্তাৎ॥ সৰ্ৱতো মাঁ পাহি-পাহি…

শ্রী গণপতি অথর্বশীর্ষ স্তোত্রম

|| শ্রী গণপতি অথর্বশীর্ষ স্তোত্রম || ওঁ নমস্তে গণপতয়ে। ত্বমেব প্রত্যক্ষং তত্বমসি ত্বমেব কেবলং কর্তাঽসি ত্বমেব কেবলং ধর্তাঽসি ত্বমেব কেবলং হর্তাঽসি ত্বমেব সর্বং খল্বিদং ব্রহ্মাসি ত্ব সাক্ষাদাত্মাঽসি নিত্যম্ ॥ ঋতং বচ্মি। সত্যং বচ্মি ॥ অব ত্ব মাং। অব বক্তারং। অব ধাতারং। অবানূচানমব শিষ্যং। অব পশ্চাতাত। অব পুরস্তাত। অবোত্তরাত্তাত। অব দক্ষিণাত্তাৎ। অবচোর্ধ্বাত্তাৎ॥ অবাধরাত্তাৎ॥ সর্বতো মাঁ পাহি-পাহি…

శ్రీ గణపతి అథర్వశీర్ష స్తోత్రమ

|| శ్రీ గణపతి అథర్వశీర్ష స్తోత్రమ || ఓం నమస్తే గణపతయే. త్వమేవ ప్రత్యక్షం తత్వమసి త్వమేవ కేవలం కర్తాఽసి త్వమేవ కేవలం ధర్తాఽసి త్వమేవ కేవలం హర్తాఽసి త్వమేవ సర్వం ఖల్విదం బ్రహ్మాసి త్వ సాక్షాదాత్మాఽసి నిత్యం .. ఋతం వచ్మి. సత్యం వచ్మి .. అవ త్వ మాం. అవ వక్తారం. అవ ధాతారం. అవానూచానమవ శిష్యం. అవ పశ్చాతాత. అవ పురస్తాత. అవోత్తరాత్తాత. అవ దక్షిణాత్తాత్. అవచోర్ధ్వాత్తాత్.. అవాధరాత్తాత్.. సర్వతో మాఀ పాహి-పాహి…

ಶ್ರೀ ಗಣಪತಿ ಅಥರ್ವಶೀರ್ಷ ಸ್ತೋತ್ರಮ

|| ಶ್ರೀ ಗಣಪತಿ ಅಥರ್ವಶೀರ್ಷ ಸ್ತೋತ್ರಮ || ಓಂ ನಮಸ್ತೇ ಗಣಪತಯೇ. ತ್ವಮೇವ ಪ್ರತ್ಯಕ್ಷಂ ತತ್ವಮಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಕರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಧರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಕೇವಲಂ ಹರ್ತಾಽಸಿ ತ್ವಮೇವ ಸರ್ವಂ ಖಲ್ವಿದಂ ಬ್ರಹ್ಮಾಸಿ ತ್ವ ಸಾಕ್ಷಾದಾತ್ಮಾಽಸಿ ನಿತ್ಯಂ .. ಋತಂ ವಚ್ಮಿ. ಸತ್ಯಂ ವಚ್ಮಿ .. ಅವ ತ್ವ ಮಾಂ. ಅವ ವಕ್ತಾರಂ. ಅವ ಧಾತಾರಂ. ಅವಾನೂಚಾನಮವ ಶಿಷ್ಯಂ. ಅವ ಪಶ್ಚಾತಾತ. ಅವ ಪುರಸ್ತಾತ. ಅವೋತ್ತರಾತ್ತಾತ. ಅವ ದಕ್ಷಿಣಾತ್ತಾತ್. ಅವಚೋರ್ಧ್ವಾತ್ತಾತ್.. ಅವಾಧರಾತ್ತಾತ್.. ಸರ್ವತೋ ಮಾಁ ಪಾಹಿ-ಪಾಹಿ…

गणेश पूजा विधि मंत्र सहित – गणेश चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त (Ganpati Sthapana – Visarjan Vidhi)

bhagwan ganesh

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत खास स्थान है। वैसे तो हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो 10 दिनों तक चलता…

गणेश चतुर्थी पूजन 2024- बप्पा को प्रसन्न करने के लिए पूजन सामग्री की सूची

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गणेश पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो हर शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभकार्य का प्रतीक माना जाता है। यहां हम गणेश पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों की सूची, उपयोग, और महत्व का विस्तार से वर्णन…

नानापरिमळ दूर्वा – गणपतीची आरती

॥ नानापरिमळ दूर्वा – गणपतीची आरती ॥ नानापरिमळ दूर्वा शमिपत्रे । लाडू मोदक अन्ने परिपूरित पाते ॥ ऐसे पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रे । अष्टहि सिद्धी नवनिधि देसी क्षणमात्रे ॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती । तुझे गुण वर्णाया मज कैची स्फूर्ती ॥ तुझे ध्यान निरंतर जे कोणी करिती । त्यांची सकलहि पापे विघ्नेही हरती ॥…

श्री गणपति आरती

॥ आरती ॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं। धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। गुड़ के मोदक भोग लगत…

शेंदुर लाल चढायो – गणपतीची आरती

॥ शेंदुर लाल चढायो – गणपतीची आरती ॥ शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ॥ हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको ॥ जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता । धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी । विघ्नविनाशन मंगलमूरत…

तू सुखकर्ता – गणपतीची आरती

॥ तू सुखकर्ता – गणपतीची आरती ॥ तू सुखकर्ता तू दुःखकर्ता विघ्नविनाशक मोरया । संकटी रक्षी शरण तुला मी, गणपतीबाप्पा मोरया ॥ मंगलमूर्ति तू गणनायक । वक्रतुंड तू सिद्धिविनायक ॥ तुझिया द्वारी आज पातलो । नेई स्थितिप्रति राया ॥ संकटी रक्षी शरण तुला मी.. तू सकलांचा भाग्यविधाता । तू विद्येचा स्वामी दाता ॥ ज्ञानदीप उजळून…

जय देव वक्रतुंडा – गणपतीची आरती

॥ जय देव वक्रतुंडा – गणपतीची आरती ॥ जय देव जय देव जय वक्रतुंडा । सिंदुरमंडित विशाल सरळ भुजदंडा ॥ प्रसन्नभाळा विमला करि घेउनि कमळा । उंदिरवाहन दोंदिल नाचसि बहुलीळा ॥ रुणझुण रुणझुण करिती घागरिया घोळा । सताल सुस्वर गायन शोभित अवलीळा ॥ जय देव जय देव जय वक्रतुंडा… सारीगमपधनी सप्तस्वरभेदा । धिमिकिट धिमिकिट मृदंग…

श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| श्रावण श्री गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || धर्मराज युधिष्ठिर ने इस व्रत को किया था। जब पूर्वकाल में राजच्युत होकर अपने भाइयों के साथ वे वनवास में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इस व्रत के बारे में बताया। युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से अपने कष्टों के शमन के लिए उपाय पूछा था।…

సంకట హర చతుర్థి వ్రత కథ

|| సంకట హర చతుర్థి వ్రత కథ || ఒకానొక రోజున, ఇంద్రుడు తన విమానంలో బృఘండి అనే వినాయకుని భక్తుడైన ఋషి దగ్గర నుంచి ఇంద్రలోకానికి తిరుగు ప్రయాణంలో ఉన్నాడు. ఆ సమయంలో, ఘర్‌సేన్ అనే రాజు యొక్క రాజ్యం మీదుగా వెళ్ళేటప్పుడు, పాపం చేసిన ఒక వ్యక్తి ఆ విమానాన్ని చూసి కన్నేసాడు. ఆ వ్యక్తి దృష్టి సోకగానే, ఆ విమానం అకస్మాత్తుగా భూమిపై ఆగిపోయింది. ఈ అద్భుత దృశ్యాన్ని చూసి ఆ రాజు…

सिद्धि विनायक स्तोत्र

|| सिद्धि विनायक स्तोत्र || विघ्नेश विघ्नचयखण्डननामधेय श्रीशङ्करात्मज सुराधिपवन्द्यपाद। दुर्गामहाव्रतफलाखिलमङ्गलात्मन् विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। सत्पद्मरागमणिवर्णशरीरकान्तिः श्रीसिद्धिबुद्धिपरिचर्चितकुङ्कुमश्रीः। दक्षस्तने वलियितातिमनोज्ञशुण्डो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। पाशाङ्कुशाब्जपरशूंश्च दधच्चतुर्भि- र्दोर्भिश्च शोणकुसुमस्रगुमाङ्गजातः। सिन्दूरशोभितललाटविधुप्रकाशो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। कार्येषु विघ्नचयभीतविरिञ्चिमुख्यैः संपूजितः सुरवरैरपि मोहकाद्यैः। सर्वेषु च प्रथममेव सुरेषु पूज्यो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। शीघ्राञ्चनस्खलनतुङ्गरवोर्ध्वकण्ठ- स्थूलेन्दुरुद्रगणहासितदेवसङ्घः। शूर्पश्रुतिश्च पृथुवर्त्तुलतुङ्गतुन्दो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। यज्ञोपवीतपदलम्भितनागराजो मासादिपुण्यददृशीकृत-ऋक्षराजः।…

आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने पूछा, “हे पुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को गणेश जी की पूजा कैसे करनी चाहिए? आषाढ़ मास के गणपति देवता का क्या नाम है? उनके पूजन का क्या विधान है? कृपया आप मुझे बताइए।” गणेश जी ने कहा, “आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन कृष्णपिङ्गल नामक…

ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || सतयुग में एक पृथु नामक राजा हुए जिन्होंने सौ यज्ञ किए। उनके राज्य में दयादेव नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, जिनके चार पुत्र थे। पिता ने वैदिक विधि से अपने पुत्रों का विवाह कर दिया। उन चार बहुओं में सबसे बड़ी बहू अपनी सास से कहने…

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकटा चतुर्थी का पूजन किस गणेश का और किस विधि से करना चाहिए, और उस दिन क्या भोजन करना चाहिए? गणेश जी ने उत्तर दिया – हे माता! वैशाख कृष्ण चतुर्थी के…

ഋണ മോചന ഗണേശ സ്തുതി

|| ഋണ മോചന ഗണേശ സ്തുതി || രക്താംഗം രക്തവസ്ത്രം സിതകുസുമഗണൈഃ പൂജിതം രക്തഗന്ധൈഃ ക്ഷീരാബ്ധൗ രത്നപീഠേ സുരതരുവിമലേ രത്നസിംഹാസനസ്ഥം. ദോർഭിഃ പാശാങ്കുശേഷ്ടാ- ഭയധരമതുലം ചന്ദ്രമൗലിം ത്രിണേത്രം ധ്യായേ്ഛാന്ത്യർഥമീശം ഗണപതിമമലം ശ്രീസമേതം പ്രസന്നം. സ്മരാമി ദേവദേവേശം വക്രതുണ്ഡം മഹാബലം. ഷഡക്ഷരം കൃപാസിന്ധും നമാമി ഋണമുക്തയേ. ഏകാക്ഷരം ഹ്യേകദന്തമേകം ബ്രഹ്മ സനാതനം. ഏകമേവാദ്വിതീയം ച നമാമി ഋണമുക്തയേ. മഹാഗണപതിം ദേവം മഹാസത്ത്വം മഹാബലം. മഹാവിഘ്നഹരം ശംഭോർനമാമി ഋണമുക്തയേ. കൃഷ്ണാംബരം കൃഷ്ണവർണം കൃഷ്ണഗന്ധാനുലേപനം. കൃഷ്ണസർപോപവീതം ച നമാമി ഋണമുക്തയേ. രക്താംബരം…

ఋణ మోచన గణేశ స్తుతి

|| ఋణ మోచన గణేశ స్తుతి || రక్తాంగం రక్తవస్త్రం సితకుసుమగణైః పూజితం రక్తగంధైః క్షీరాబ్ధౌ రత్నపీఠే సురతరువిమలే రత్నసింహాసనస్థం. దోర్భిః పాశాంకుశేష్టా- భయధరమతులం చంద్రమౌలిం త్రిణేత్రం ధ్యాయే్ఛాంత్యర్థమీశం గణపతిమమలం శ్రీసమేతం ప్రసన్నం. స్మరామి దేవదేవేశం వక్రతుండం మహాబలం. షడక్షరం కృపాసింధుం నమామి ఋణముక్తయే. ఏకాక్షరం హ్యేకదంతమేకం బ్రహ్మ సనాతనం. ఏకమేవాద్వితీయం చ నమామి ఋణముక్తయే. మహాగణపతిం దేవం మహాసత్త్వం మహాబలం. మహావిఘ్నహరం శంభోర్నమామి ఋణముక్తయే. కృష్ణాంబరం కృష్ణవర్ణం కృష్ణగంధానులేపనం. కృష్ణసర్పోపవీతం చ నమామి ఋణముక్తయే. రక్తాంబరం…

ருண மோசன கனேச ஸ்துதி

|| ருண மோசன கனேச ஸ்துதி || ரக்தாங்கம் ரக்தவஸ்த்ரம் ஸிதகுஸுமகணை꞉ பூஜிதம் ரக்தகந்தை꞉ க்ஷீராப்தௌ ரத்னபீடே ஸுரதருவிமலே ரத்னஸிம்ஹாஸனஸ்தம். தோர்பி꞉ பாஶாங்குஶேஷ்டா- பயதரமதுலம் சந்த்ரமௌலிம் த்ரிணேத்ரம் த்யாயே்சாந்த்யர்தமீஶம் கணபதிமமலம் ஶ்ரீஸமேதம் ப்ரஸன்னம். ஸ்மராமி தேவதேவேஶம் வக்ரதுண்டம் மஹாபலம். ஷடக்ஷரம் க்ருபாஸிந்தும் நமாமி ருணமுக்தயே. ஏகாக்ஷரம் ஹ்யேகதந்தமேகம் ப்ரஹ்ம ஸனாதனம். ஏகமேவாத்விதீயம் ச நமாமி ருணமுக்தயே. மஹாகணபதிம் தேவம் மஹாஸத்த்வம் மஹாபலம். மஹாவிக்னஹரம் ஶம்போர்நமாமி ருணமுக்தயே. க்ருஷ்ணாம்பரம் க்ருஷ்ணவர்ணம் க்ருஷ்ணகந்தானுலேபனம். க்ருஷ்ணஸர்போபவீதம் ச நமாமி ருணமுக்தயே. ரக்தாம்பரம்…

ಋಣ ಮೋಚನ ಗಣೇಶ ಸ್ತುತಿ

|| ಋಣ ಮೋಚನ ಗಣೇಶ ಸ್ತುತಿ || ರಕ್ತಾಂಗಂ ರಕ್ತವಸ್ತ್ರಂ ಸಿತಕುಸುಮಗಣೈಃ ಪೂಜಿತಂ ರಕ್ತಗಂಧೈಃ ಕ್ಷೀರಾಬ್ಧೌ ರತ್ನಪೀಠೇ ಸುರತರುವಿಮಲೇ ರತ್ನಸಿಂಹಾಸನಸ್ಥಂ. ದೋರ್ಭಿಃ ಪಾಶಾಂಕುಶೇಷ್ಟಾ- ಭಯಧರಮತುಲಂ ಚಂದ್ರಮೌಲಿಂ ತ್ರಿಣೇತ್ರಂ ಧ್ಯಾಯೇ್ಛಾಂತ್ಯರ್ಥಮೀಶಂ ಗಣಪತಿಮಮಲಂ ಶ್ರೀಸಮೇತಂ ಪ್ರಸನ್ನಂ. ಸ್ಮರಾಮಿ ದೇವದೇವೇಶಂ ವಕ್ರತುಂಡಂ ಮಹಾಬಲಂ. ಷಡಕ್ಷರಂ ಕೃಪಾಸಿಂಧುಂ ನಮಾಮಿ ಋಣಮುಕ್ತಯೇ. ಏಕಾಕ್ಷರಂ ಹ್ಯೇಕದಂತಮೇಕಂ ಬ್ರಹ್ಮ ಸನಾತನಂ. ಏಕಮೇವಾದ್ವಿತೀಯಂ ಚ ನಮಾಮಿ ಋಣಮುಕ್ತಯೇ. ಮಹಾಗಣಪತಿಂ ದೇವಂ ಮಹಾಸತ್ತ್ವಂ ಮಹಾಬಲಂ. ಮಹಾವಿಘ್ನಹರಂ ಶಂಭೋರ್ನಮಾಮಿ ಋಣಮುಕ್ತಯೇ. ಕೃಷ್ಣಾಂಬರಂ ಕೃಷ್ಣವರ್ಣಂ ಕೃಷ್ಣಗಂಧಾನುಲೇಪನಂ. ಕೃಷ್ಣಸರ್ಪೋಪವೀತಂ ಚ ನಮಾಮಿ ಋಣಮುಕ್ತಯೇ. ರಕ್ತಾಂಬರಂ…

ऋण मोचन गणेश स्तुति

|| ऋण मोचन गणेश स्तुति || रक्ताङ्गं रक्तवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं रक्तगन्धैः क्षीराब्धौ रत्नपीठे सुरतरुविमले रत्नसिंहासनस्थम्। दोर्भिः पाशाङ्कुशेष्टा- भयधरमतुलं चन्द्रमौलिं त्रिणेत्रं ध्याये्छान्त्यर्थमीशं गणपतिममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्। स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्। षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये। एकाक्षरं ह्येकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च नमामि ऋणमुक्तये। महागणपतिं देवं महासत्त्वं महाबलम्। महाविघ्नहरं शम्भोर्नमामि ऋणमुक्तये। कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्। कृष्णसर्पोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये। रक्ताम्बरं…

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्राचीन काल में सतयुग में मकरध्वज नामक एक राजा थे। वे प्रजा के पालन में बहुत प्रेमी थे। उनके राज्य में कोई निर्धन नहीं था। चारों वर्ण अपने-अपने धर्मों का पालन करते थे। प्रजा को चोर-डाकू आदि का भय नहीं था। सभी लोग स्वस्थ रहते थे। लोग…

ഗണപതി അപരാധ ക്ഷമാപണ സ്തോത്രം

|| ഗണപതി അപരാധ ക്ഷമാപണ സ്തോത്രം || കൃതാ നൈവ പൂജാ മയാ ഭക്ത്യഭാവാത് പ്രഭോ മന്ദിരം നൈവ ദൃഷ്ടം തവൈകം| ക്ഷമാശീല കാരുണ്യപൂർണ പ്രസീദ സമസ്താപരാധം ക്ഷമസ്വൈകദന്ത| ന പാദ്യം പ്രദത്തം ന ചാർഘ്യം പ്രദത്തം ന വാ പുഷ്പമേകം ഫലം നൈവ ദത്തം| ഗജേശാന ശംഭോസ്തനൂജ പ്രസീദ സമസ്താപരാധം ക്ഷമസ്വൈകദന്ത| ന വാ മോദകം ലഡ്ഡുകം പായസം വാ ന ശുദ്ധോദകം തേഽർപിതം ജാതു ഭക്ത്യാ| സുര ത്വം പരാശക്തിപുത്ര പ്രസീദ സമസ്താപരാധം ക്ഷമസ്വൈകദന്ത|…