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जानिए क्या अंतर होता हैं ऋषि, मुनि, साधु और संतों में

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सनातन धर्म में ऋषि, मुनि साधु और संतों को का नाम बहुत आदर से लिया जाता हैं। प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों का अस्तित्‍व तो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग आदि सभी में रहा है। राजा महाराजा के समय में राजा अपने राज्य को चलाने के लिए ऋषि मुनि से ज्ञान प्राप्त करते थे।

शस्त्रों के अनुसार साधु-संतों, ऋषि-मुनियों ने हमेशा से समाज को सही राह दिखाई है। इस सब ने महान ग्रंथों की रचनाएं भी की हैं, जो युगों-युगों तक लोगों का मार्गदर्शन करते रहे हैं। साधु-संतों, ऋषि-मुनियों में गहरी आस्‍था रखने वाले, उन्‍हें अपना गुरु मानने वाले अधिकांश लोग भी इनमें अंतर नहीं कर पाते हैं।

ऋषि मुनि साधु संतों में अंतर

साधु, संत, ऋषि और मुनि में काफी भिन्‍नताएं होती हैं, उनके कर्म और भगवान की भक्ति का तरीका काफी अलग होता है। चलो जानते है इनके बीच में अंतर

ऋषि

  • ये वो व्यक्ति होते हैं जिन्होंने वैदिक रचनाओं का निर्माण किया था। उन्हें कठोर तपस्या के बाद यह उपाधि प्राप्त होती है।
  • ऋषि वह कहलाते हैं जो क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, इर्ष्या इत्यादि से कोसों दूर रहते हैं।
  • ऋषि शब्द की व्युत्पत्ति ‘ऋष’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘देखना’ या ‘दर्शन शक्ति’।
  • इन ऋषयों का  तपस्वी और योगी की तुलना में उच्चतम स्थान होता हैं।
  • ऋषि, जनमानस की भलाई के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं।
  • ऋषि, ब्रह्माजी के मस्तिष्क से उत्पन्न हुए थे।
  • ऋषि, संसार की मोहमाया त्यागकर लोगों को ज्ञान बांटते हैं।
  • ऋषि, वेदमंत्रों के प्रकाश करने वाले होते हैं।

मुनि

  • मुनि ऐसे लोगों को कहा जाता है जो वेदों और धार्मिक ग्रंथों के ज्ञानी होते हैं
  • मुनि बनने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान होना चाहिए। ये व्यक्ति ज़्यादातर समय मौन रहते हैं।
  • जो ऋषि घोर तपस्या के बाद मौन धारण करने की शपथ लेते हैं, वह मुनि कहलाते हैं।
  • मुनि, परम बुद्धिमान, दूरदर्शी, सच्चरित्र, और त्यागी होते हैं।
  • मुनि, राग, भय, और क्रोध से रहित होते हैं।
  • मुनि, ईश्वर, धर्म, और सत्यासत्य के बारे में सूक्ष्मता से विचार करते हैं।

साधु

  • साधु उन लोगों को कहा जाता है जो साधना में लीन रहते हैं।
  • ये साधु काम, क्रोध, मोह, लोभ से दूर रहते हैं और सन्‍यासी का जीवन जीते हैं।
  • ये लोग धर्म ग्रंथ पढ़ने की बजाय अपनी साधना के जरिए ज्ञान अर्जित करते हैं।
  • साधु बनने के लिए अखड़ों में पहलवानी कर पड़ती हैं। जिसे वो नाग साधु बन सके।
  • वर्तमान समय में साधु उनको कहते हैं जो सन्यास दीक्षा लेकर गेरुए वस्त्र धारण करते है उन्हें भी साधु कहा जाने लगा है।
  • साधु को वेद का ज्ञान नहीं होता लेकिन अपनी साधना से जो सत्य को जान लेते हैं।
  • एक साधु की पहचान उसके पहनावे से नहीं बल्कि उसके आचार-व्यवहार तथा इसकी जीवन प्रणाली पर आधारित होती है।

संतों

  • संत उस व्यक्ति को कहते हैं जो सत्य आचरण करता है तथा आत्मज्ञानी है।
  •  ‘सन्त’ शब्द ‘सत्’ शब्द के कर्ताकारक का बहुवचन है। इसका अर्थ है – साधु, संन्यासी, विरक्त या त्यागी पुरुष या महात्मा।
  • ये लोग आत्‍मज्ञानी और सत्यवादी होते हैं- संत रविदास, संत तुलसीदास, संत कबीर दास वे संत थे जिन्होंने संसार और अध्यात्म में सामंजस्य बना कर रखा था

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