Misc

हरतालिका तीज व्रत कथा

Hartalika Teej Vrat Katha Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

|| हरतालिका तीज व्रत कथा ||

एक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही काटे और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा ही ग्रहण कर जीवन व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुःखी थे।

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के विवाह का प्रस्ताव लेकर माँ पार्वती के पिता के पास पहुँचे जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब बेटी पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वे बहुत दु:खी हो गईं और जोर-जोर से विलाप करने लगीं।

फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वे यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं, जबकि उनके पिता उनका विवाह श्री विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गईं और वहाँ एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं। माँ पार्वती के इस तपस्वनी रूप को नवरात्रि के दौरान माता शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है।

भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र मे माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वे अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करतीं हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बनाए रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है।

|| हरतालिका तीज पूजा विधि ||

  • हरतालिका तीज पूजा की विधि ऐसी होनी चाहिए कि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त हो।
  • प्रदोषकाल में इस पूजा को करना चाहिए।
  • सुबह उठकर स्नान करने के बाद, भगवान शिव और माता पार्वती का साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • दिनभर निर्जला व्रत का पालन करें।
  • सूर्यास्त के प्रदोषकाल में, भगवान शिव और माता पार्वती की रेती से बनी मूर्ति को स्थापित कर पूजा करें।
  • पूजा के समय सभी सुहाग की वस्तुओं को माता पार्वती को अर्पित करें।
  • हरतालिका तीज की कथा सुनें और आरती करें।

Found a Mistake or Error? Report it Now

हरतालिका तीज व्रत कथा PDF

Download हरतालिका तीज व्रत कथा PDF

हरतालिका तीज व्रत कथा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App