एकदंत गणेश स्तोत्रम्

|| एकदंत गणेश स्तोत्रम् || श्रीगणेशाय नमः । मदासुरं सुशान्तं वै दृष्ट्वा विष्णुमुखाः सुराः । भृग्वादयश्च मुनय एकदन्तं समाययुः ॥ १॥ प्रणम्य तं प्रपूज्यादौ पुनस्तं नेमुरादरात् । तुष्टुवुर्हर्षसंयुक्ता एकदन्तं गणेश्वरम् ॥ २॥ देवर्षय ऊचुः सदात्मरूपं सकलादि- भूतममायिनं सोऽहमचिन्त्यबोधम् । अनादि-मध्यान्त-विहीनमेकं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥ ३॥ अनन्त-चिद्रूप-मयं गणेशं ह्यभेद-भेदादि-विहीनमाद्यम् । हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थं तमेकदन्तं शरणं…

आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो

|| आरती: श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो || शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको । हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥ जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता, जय देव जय देव…

श्री गणेश व्रत कथा

|| श्री गणेश जी पूजन विधि || भगवान श्री गणेश जी की पूजन में वेद मंत्र का उच्चारण किया जाता है। पर जिन्हें वेद मंत्र न आता हो, वो नाम – मंत्रों से भी पूजन कर सकते है। सबसे पहले आप स्नान करले और उसके पश्चात अपने पास पूजा सम्बंधित समस्त सामग्री रख लें फिर…

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

|| गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र || गणेश्वरो गणक्रीडो महागणपतिस्तथा । विश्वकर्ता विश्वमुखो दुर्जयो धूर्जयो जयः ॥ स्वरूपः सर्वनेत्राधिवासो वीरासनाश्रयः । योगाधिपस्तारकस्थः पुरुषो गजकर्णकः ॥ चित्राङ्गः श्यामदशनो भालचन्द्रश्चतुर्भुजः । शम्भुतेजा यज्ञकायः सर्वात्मा सामबृंहितः ॥ कुलाचलांसो व्योमनाभिः कल्पद्रुमवनालयः । निम्ननाभिः स्थूलकुक्षिः पीनवक्षा बृहद्भुजः ॥ पीनस्कन्धः कम्बुकण्ठो लम्बोष्ठो लम्बनासिकः । सर्वावयवसम्पूर्णः सर्वलक्षणलक्षितः॥ इक्षुचापधरः शूली कान्तिकन्दलिताश्रयः । अक्षमालाधरो ज्ञानमुद्रावान्…

गणेश पुराण (Ganesh Puran)

गणेश पुराण (Ganesh Puran)

गणेश पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है, जिसमें भगवान गणेश की महिमा, उनके जीवन की कथाएँ, और उनकी उपासना से संबंधित गूढ़ ज्ञान का वर्णन किया गया है। यह पुराण दो खंडों में विभाजित है: उपासना खंड और क्रीड़ा खंड। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभकर्ता और ज्ञान का प्रतीक माना…

Vishwakarma Puja 2024 – जानें विश्वकर्मा जयंती पूजा मुहूर्त, पूजन विधि, व्रत कथा और महत्व

vishwakarma puja

विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिसे लोग प्रायः विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं। जैसे मकर संक्रांति जनवरी में आती है, वैसे ही विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो 16-17 सितंबर के आसपास पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया…

अनंत चतुर्दशी व्रत उद्यापन कैसे करें? जानिए व्रत की कहानी, पूजा विधि और महत्व

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अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। इस बार अनन्त चतुर्दशी मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को  है। यह भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन अनंत रूपी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुख,…

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। अनंत चतुर्दशी पूजा विधि ।। इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं। एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, इसमें 14 गांठें लगी होनी चाहिए। इस सूत्रो भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें।…

भगवान श्री विश्वकर्मा की कथा

|| भगवान श्री विश्वकर्मा की कथा || पहला अध्याय कई ऋषि एक दिन धर्मक्षेत्र में इकट्ठे हुए और उन्होंने सूत जी से पूछा, “हे महात्मा, आप हमें यह बताइए कि विष्णु के कई रूपों में से कौन सा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है?” सूत जी बोले, “हे ऋषियो, आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है, जो…

भगवान श्री विश्वकर्मा जी के 108 नाम

|| भगवान श्री विश्वकर्मा जी के 108 नाम || ॐ विश्वकर्मणे नमः ॐ विश्वात्मने नमः ॐ विश्वस्माय नमः ॐ विश्वधाराय नमः ॐ विश्वधर्माय नमः ॐ विरजे नमः ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः ॐ विष्णवे नमः ॐ विश्वधराय नमः ॐ विश्वकराय नमः । ॐ वास्तोष्पतये नमः ॐ विश्वभंराय नमः ॐ वर्मिणे नमः ॐ वरदाय नमः ॐ विश्वेशाधिपतये नमः…

श्री विश्वकर्मा चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान । श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय श्री विश्वकर्म भगवाना । जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥ शिल्पाचार्य परम उपकारी । भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥ अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर । शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥ अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।…

श्री विश्वकर्मा आरती

॥आरती॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया । जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । ऋषि अंगीरा तप से,…

Parivartini Ekadashi 2024 – परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

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परिवर्तिनी एकादशी, जिसे ‘परिवर्तिनी’ या ‘आश्वयुज एकादशी’ भी कहते हैं, हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्वयुज मास की एकादशी को मनाई जाती है। इस वर्ष, परिवर्तिनी एकादशी 2024 में शनिवार, 14 सितंबर को पड़ रही है। यह एकादशी विशेष रूप से व्रत और पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसके विशेष महत्व को लेकर…

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान की आरती करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान को भोग लगाएं। इस…

जन्म-जीवन-मृत्यु (Janam Jivan Mrityu)

जन्म-जीवन-मृत्यु (Janam Jivan Mrityu)

“जन्म-जीवन-मृत्यु” पुस्तक जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों को उजागर करती है और व्यक्ति को एक व्यापक दृष्टिकोण से जीवन को देखने की प्रेरणा देती है। यह पुस्तक जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने, कर्मों की महत्ता को पहचानने और मृत्यु के भय से मुक्त होकर जीवन को जीने का संदेश देती है। इसका अध्ययन…

भर्तृहरि शतक (Bhartrihari Shatak)

भर्तृहरि शतक (Bhartrihari Shatak)

भर्तृहरि शतक एक प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथ है, जिसे महाकवि भर्तृहरि ने रचा है। यह ग्रंथ तीन प्रमुख शतकों (सौ श्लोकों के संग्रह) में विभाजित है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। भर्तृहरि ने अपने अनुभवों, ज्ञान और दृष्टिकोण को अत्यंत सटीक और काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। इस ग्रंथ के श्लोक…

मन्यु सूक्तं

|| मन्यु सूक्तं || यस्ते म॒न्योऽवि॑धद् वज्र सायक॒ सह॒ ओजः॑ पुष्यति॒ विश्व॑मानु॒षक् । सा॒ह्याम॒ दास॒मार्यं॒ त्वया यु॒जा सह॑स्कृतेन॒ सह॑सा॒ सह॑स्वता ॥ १ ॥ म॒न्युरिंद्रो म॒न्युरे॒वास॑ दे॒वो म॒न्युर् होता॒ वरु॑णो जा॒तवे दाः । म॒न्युं-विँश॑ ईळते॒ मानु॑षी॒र्याः पा॒हि नो मन्यो॒ तप॑सा स॒जोषाः ॥ २ ॥ अ॒भी हि मन्यो त॒वस॒स्तवी या॒न् तप॑सा यु॒जा वि ज॑हि शत्रू न् ।…

श्री राधा आरती

|| आरती || आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की। त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि। पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥ आरती श्री वृषभानुसुता की। मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि। अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती श्री वृषभानुसुता की।…

Radha Ashtami 2024 – जानिए राधा जी से जुड़े गुप्त रहस्य और विशेष रोचक कथाएं

Radhe Krishna

राधा जी को भगवान कृष्ण की प्रियतमा और गोपियों की रानी माना जाता है। उनका जीवन रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है। राधा जी के गुप्त रहस्य और रोचक कथाओं की विशेषता उनके अनंत भक्तों के दिलों में आज भी अजेय है। उनके साथ जुड़ी गाथाएं और अन्य कथाएं हमें ध्यान और आध्यात्मिकता की…

श्री राधा चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥ जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥ जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥ रास विहारिणी…

श्री राधा अष्टमी व्रत कथा

|| राधा अष्टमी महत्व || राधा अष्टमी का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन राधा रानी की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से साधक कभी भी धन की कोई कमी नहीं होती है। जो भी राधा अष्टमी का व्रत निष्ठा…

श्री राधा स्तुति

|| स्तुति || नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी। रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।। नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे। ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।। नम: सरस्वतीरूपे नम: सावित्रि शंकरि। गंगापद्मावनीरूपे षष्ठि मंगलचण्डिके।। नमस्ते तुलसीरूपे नमो लक्ष्मीस्वरुपिणी। नमो दुर्गे भगवति नमस्ते सर्वरूपिणी।। मूलप्रकृतिरूपां त्वां भजाम: करुणार्णवाम्। संसारसागरादस्मदुद्धराम्ब दयां कुरु।। || इति सम्पूर्ण श्री राधा स्तुति ||

स्वर विज्ञान (Swar Vigyan)

स्वर विज्ञान (Swar Vigyan)

स्वर विज्ञान एक प्राचीन तांत्रिक और योगिक शास्त्र है, जिसमें श्वास (सांस) और नासिका के माध्यम से व्यक्ति के जीवन और उसके भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति का गहरा संबंध बताया गया है। “स्वर विज्ञान” पुस्तक में श्वास-प्रश्वास की प्रक्रियाओं, नासिकाओं की गतिविधियों और उनके प्रभावों का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह विज्ञान नाड़ी शास्त्र…

मंत्र विज्ञान (Mantra Vigyan)

मंत्र विज्ञान (Mantra Vigyan)

मंत्र विज्ञान एक प्राचीन और रहस्यमय शास्त्र है, जो मंत्रों की शक्ति और उनके प्रयोग पर आधारित है। “मंत्र विज्ञान” पुस्तक में मंत्रों के गूढ़ रहस्यों, उनके सही उच्चारण, विधियों और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी होती है, जो मंत्रों के माध्यम से आत्मिक और भौतिक…

श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्रम हिन्दी पाठ अर्थ सहित (विधि – लाभ)

।। गणपति अथर्वशीर्ष पाठ विधि – लाभ ।। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ हमेशा आसन पर बैठ पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। अथर्वशीर्ष स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के जीवन में सर्वांगीण उन्नति होती है। इसके पाठ से सभी प्रकार के विघ्न-बाधाएं दूर होती है। व्यापार या नौकरी…

गणेश पूजा विधि मंत्र सहित – गणेश चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त (Ganpati Sthapana – Visarjan Vidhi)

bhagwan ganesh

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत खास स्थान है। वैसे तो हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है जो 10 दिनों तक चलता…

गणेश चतुर्थी पूजन 2024- बप्पा को प्रसन्न करने के लिए पूजन सामग्री की सूची

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गणेश पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो हर शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभकार्य का प्रतीक माना जाता है। यहां हम गणेश पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों की सूची, उपयोग, और महत्व का विस्तार से वर्णन…

श्री गणपति आरती

॥ आरती ॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं। धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…। गुड़ के मोदक भोग लगत…

हरतालिका तीज व्रत कथा

|| हरतालिका तीज व्रत कथा || एक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही…

श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

|| बृहस्पतिवार व्रत का महत्व || गुरुवार (बृहस्पतिवार) का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन श्री हरि विष्णुजी की पूजा का विधान है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। केले के पेड़ को हिन्दू धर्मानुसार बेहद पवित्र…

वराह अवतार की कथा

।। वराह अवतार की कथा ।। हिरण्याक्ष नामक एक दश्यू के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु ने वराह रूप में अवतार लिया था। आज हम आपको इसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। जब कश्यप ऋषि की पत्नी दिती की गर्भ से हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप नाम के दो जुड़वां…

Varah Puran (वराह पुराण)

Varah Puran (वराह पुराण)

वराह पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण का नाम भगवान विष्णु के वराह अवतार के नाम पर रखा गया है। वराह पुराण में भगवान विष्णु के इस अवतार की महिमा, उनकी लीलाओं, धर्म, भक्ति, तीर्थ यात्रा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। वराह पुराण की…

श्री वराह कवचम्

॥ श्रीवराहकवचम् ॥ आद्यं रङ्गमिति प्रोक्तं विमानं रङ्गसंज्ञितम् । श्रीमुष्णं वेङ्कटाद्रिं च साळग्रामं च नैमिशम् ॥ तोयाद्रिं पुष्करं चैव नरनारायणाश्रमम् । अष्टौ मे मूर्तयः सन्ति स्वयं व्यक्ता महीतले ॥ श्रीसूतः – श्रीरुद्रमुखनिर्णीतमुरारिगुणसत्कथा । सन्तुष्टा पार्वती प्राह शङ्करं लोकशङ्करम् ॥ श्रीपार्वत्युवाच – श्रीमुष्णेशस्य माहात्म्यं वराहस्य महात्मनः । श्रुत्वा तृप्तिर्न मे जाता मनः कौतूहलायते । श्रोतुं तद्देवमाहात्म्यं…

Saundarya Lahari (सौंदर्य लहरी)

Saundarya Lahari (सौंदर्य लहरी)

सौंदर्य लहरी एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ माँ पार्वती (शक्ति) की स्तुति में लिखा गया है और इसमें देवी के सौंदर्य, शक्ति, और कृपा का वर्णन किया गया है। “सौंदर्य लहरी” का शाब्दिक अर्थ है “सौंदर्य की लहरें,” और यह ग्रंथ वास्तव में देवी के…

Manglacharana (मंगलाचरण)

Manglacharana (मंगलाचरण)

मंगलाचरण का शाब्दिक अर्थ है “मंगल के लिए की गई प्रार्थना”। यह हिंदू धार्मिक और साहित्यिक ग्रंथों की एक प्रारंभिक प्रार्थना होती है, जो किसी शुभ कार्य या ग्रंथ के आरंभ में की जाती है। मंगलाचरण का उद्देश्य भगवान की कृपा प्राप्त करना और आरंभ किए गए कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना होता है। मंगलाचरण…

वेद और पुराणों में क्या अंतर है? – सम्पूर्ण जानकारी

vedas puranas difference

वेद और पुराण भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो भारतीय धर्म और दर्शन को गहराई से परिभाषित करते हैं। हालांकि, इनमें कुछ मौलिक अंतर भी हैं जिन्हें जानना आवश्यक है। वेद क्या हैं? वेद प्राचीन भारत के धार्मिक ग्रंथ हैं जो संस्कृत भाषा में रचित हैं। वेदों को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शास्त्र…

श्री गंगा चालीसा

॥दोहा॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥ ॥चौपाई॥ जय जय जननी हराना अघखानी । आनंद करनी गंगा महारानी ॥ जय भगीरथी सुरसरि माता । कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी । भीष्म की माता जगा जननी ॥ धवल कमल…

कैला देवी चालीसा

॥ दोहा ॥ जय जय कैला मात हे, तुम्हे नमाउ माथ ॥ शरण पडूं में चरण में, जोडूं दोनों हाथ ॥ आप जानी जान हो, मैं माता अंजान ॥ क्षमा भूल मेरी करो, करूँ तेरा गुणगान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय कैला महारानी । नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥ सब जग की हो…

श्री बगलामुखी चालीसा

॥ दोहा ॥ सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूं चालीसा आज ॥ कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय श्री बगला माता । आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥ बगला सम तब आनन माता । एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥ शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी । असतुति करहिं…

विन्ध्येश्वरी चालीसा

॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब । सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता । जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥ कष्ट निवारण जै जगदेवी । जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥ महिमा अमित अपार…

श्री लक्ष्मी चालीसा

॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास । मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस ॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं । सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ तुम समान नहिं कोई…

श्री गायत्री चालीसा

॥ दोहा ॥ हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड । शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥ जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम । प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥ ॥ चालीसा ॥ भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥ अक्षर चौबिस परम पुनीता । इनमें बसें…

श्री सरस्वती चालीसा

॥ दोहा ॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि । बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि ॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु ॥ ॥ चालीसा ॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी । जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥ जय जय जय वीणाकर…

कुबेर चालीसा

॥ दोहा ॥ जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप…

हलषष्ठी सम्पूर्ण व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| हलषष्ठी व्रत पूजा विधि || भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से ही व्रत का नियम शुरू करें अर्थात् एक समय का भोजन कर हलषष्ठी व्रत करने का संकल्प करें। षष्ठी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। एक बार का धोया अर्थात् नवीन स्वच्छ वस्त्र धारण करें। माताएँ सौभाग्य का सारा…

अजा एकादशी व्रत रखने की विधि, पूजा सामग्री, मंत्र और आरती

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अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कहते हैं। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में…

अजा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ अजा एकादशी पूजा विधि ॥ अजा एकादशी का व्रत करने वाले जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निपटने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा से पहले घट स्थापना की जाती है, जिसमें घड़े पर लाल रंग का वस्त्र सजाया जाता है और उसकी पूजा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है? इस बार कब बजेगा ‘मटकी फोड़’ का शंख? जानिए शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रति वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024, सोमवार को मनाई जाएगी। कृष्ण जन्माष्टमी 2024 में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से…