Mansha Vrat Katha (मंशा व्रत कथा)

Mansha Vrat Katha (मंशा व्रत कथा)

मंशा महादेव व्रत की कथा में बताया जाता है कि यह व्रत देवी-देवताओं द्वारा किया गया था और इसे मनुष्यों द्वारा भी किया जाना चाहिए। मान्यता है कि भगवान इंद्र ने चन्द्रमा के श्राप के कारण हुए कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत को किया था। इसी प्रकार माता पार्वती ने भगवान…

सितम्बर 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची

सितंबर 2024, हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए कई महत्वपूर्ण त्योहारों और व्रतों से भरा हुआ है। इस महीने में धार्मिक उत्सवों का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया जाता है। सितम्बर 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची में कई महत्वपूर्ण आयोजन शामिल हैं। इस महीने 8 सितम्बर को ऋषि…

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा विधि ॥ प्रातः काल पति – पत्नी संयुक्त रूप से विष्णु की उपासना करें। उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें। अगर इस दिन उपवास रखकर…

वरलक्ष्मी व्रत कथा व पूजा विधि

।। वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि ।। वरलक्ष्मी व्रत रखने वाली महिलाओं और पुरुषों को इस दिन प्रातः काल स्नान कर लेना चाहिए। सबसे पहले पूजा वाले स्थान पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करने के बाद व्रत रखने का संकल्प करें। मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को लाल कपड़े के ऊपर स्थापित कर लें। इसके…

मंशा महादेव व्रत कथा एवं पूजन विधि

|| पूजन विधि || भगवान शिव का यह व्रत चार वर्ष का रहता है। हर वर्ष यह व्रत सिर्फ चार महीने ही करना रहता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव बड़ी से बड़ी मन की इच्छा की पूर्ति करते है। श्रावण से कार्तिक माह तक के हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा करें।…

जानिए मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें

mangla gauri mata

मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत में माँ गौरी की पूजा का विशेष महत्व है। यहाँ कुछ खास बातें हैं जो मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान ध्यान…

मंगला गौरी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| पूजा विधि || श्रावण मास के मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करें। मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें। ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं…

विष्णु भगवान के 108 नाम

|| विष्णु भगवान अष्टोत्तर शतनामावली || ॐ विष्णवे नमः | ॐ जिष्णवे नमः | ॐ वषट्काराय नमः | ॐ देवदेवाय नमः | ॐ वृषाकपये नमः | ॐ दामोदराय नमः | ॐ दीनबंधवे नमः | ॐ आदिदेवाय नमः | ॐ अदितेस्तुताय नमः | ९ ॐ पुंडरीकाय नमः | ॐ परानंदाय नमः | ॐ परमात्मने नमः |…

विश्वंभरी स्तुति

|| विश्वंभरी स्तुति || विश्वंभरी अखिल विश्वतणी जनेता, विद्या धरी वदनमां वसजो विधाता। दुर्बुद्धिने दुर करी सद्बुद्धि आपो, माम् पाहि ओम भगवति भवदुःख कापो ॥ भुलो पडी भवरणे भटकु भवानी, सुझे नही लगिर कोई दिशा जवानी । भासे भयंकर वळी मनना उतापो, माम् पाही ओम भगवति भवदुःख कापो ॥ आ रंकने उगरवा नथी कोई आरो,…

देवी लक्ष्मी के 108 नाम

|| देवी लक्ष्मी की अष्टोत्तर शतनामावली || ॐ प्रकृत्यै नमः। ॐ विकृत्यै नमः। ॐ विद्यायै नमः। ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः। ॐ श्रद्धायै नमः। ॐ विभूत्यै नमः। ॐ सुरभ्यै नमः। ॐ परमात्मिकायै नमः। ॐ वाचे नमः। ॐ पद्मालयायै नमः। ॐ पद्मायै नमः। ॐ शुचये नमः। ॐ स्वाहायै नमः। ॐ स्वधायै नमः। ॐ सुधायै नमः। ॐ धन्यायै नमः।…

वरलक्ष्मी व्रत का महात्म्य, पूजा विधि, तिथि और महत्व

varlakshmi vratam

वरलक्ष्मी व्रत 2024 एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण व्रत है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को रखा जाता है। यह व्रत मां लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है, जो धन, समृद्धि और वैभव की देवी हैं। वरलक्ष्मी व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को रखने से धन-दौलत, सुख-समृद्धि,…

हरियाली तीज व्रत कथा

|| हरियाली तीज व्रत कथा || भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का एक अद्भुत पर्व है हरियाली तीज। इस पर्व से जुड़ी कथा में जानेंगे कि किस प्रकार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। हरियाली तीज व्रत कथा के अनुसार, इस कथा का वाचन स्वयं भगवान…

श्री सूक्तम्

|| श्री सूक्तम् || हिर॑ण्यवर्णां॒ हरि॑णीं सु॒वर्ण॑रज॒तस्र॑जाम् । च॒न्द्रां हि॒रण्म॑यीं ल॒क्ष्मीं जात॑वेदो म॒ आव॑ह ॥ १ ॥ तां म॒ आव॑ह॒ जात॑वेदो ल॒क्ष्मीमन॑पगा॒मिनी᳚म् । यस्यां॒ हिर॑ण्यं वि॒न्देयं॒ गामश्वं॒ पुरु॑षान॒हम् ॥ २ ॥ अ॒श्व॒पू॒र्वां र॑थम॒ध्यां ह॒स्तिना॑दप्र॒बोधि॑नीम् । श्रियं॑ दे॒वीमुप॑ह्वये॒ श्रीर्मा॑दे॒वीर्जु॑षताम् ॥ ३ ॥ कां॒ सो᳚स्मि॒तां हिर॑ण्यप्रा॒कारा॑मा॒र्द्रां ज्वल॑न्तीं तृ॒प्तां त॒र्पय॑न्तीम् । प॒द्मे॒ स्थि॒तां प॒द्मव॑र्णां॒ तामि॒होप॑ह्वये॒ श्रियम् ॥ ४…

Rawan Samhita Part 1 (रावण संहिता – भाग 1)

Rawan Sahinta Part 1 (रावण संहिता - भाग 1)

रावण संहिता एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो राजा रावण द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, आयुर्वेद, और विभिन्न प्रकार की विद्या का अद्वितीय संग्रह है। रावण संहिता का पहला भाग इन विषयों के आधारभूत सिद्धांतों और उपयोगी जानकारी का विस्तृत वर्णन करता है। रावण, जो लंका का राजा और एक महान…

नाग पंचमी पौराणिक कथा

।। नाग पंचमी पौराणिक कथा ।। प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ…

Kalki Puran (कल्की पुराण)

Kalki Puran (कल्की पुराण)

कल्की पुराण हिंदू धर्म के महा पुराणों में से एक है और यह एक विशेष पुराण है जो भगवान विष्णु के दस अवतारों में अंतिम अवतार, काल्की अवतार, के बारे में विवरण प्रदान करता है। यह पुराण भविष्य की घटनाओं, धार्मिक विचारधाराओं, और ब्रह्मा, विष्णु और शिव के बारे में विशेष जानकारी प्रदान करता है।…

Shiv Puran (शिव पुराण)

Shiv Puran (शिव पुराण)

शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पुराण है। यह पुराण भगवान शिव को समर्पित है और उनके विभिन्न रूपों, लीलाओं, और उपासना विधियों का विस्तार से वर्णन करता है। शिव पुराण में शिव भक्ति, शिवलिंग पूजा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। शिव पुराण की…

हरियाली और श्रावणी अमावस्या 2024 – जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

hariyali amavsya

हरियाली अमावस्या, जिसे श्रावण अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार आमतौर पर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह त्योहार 4 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।…

सिद्धि विनायक स्तोत्र

|| सिद्धि विनायक स्तोत्र || विघ्नेश विघ्नचयखण्डननामधेय श्रीशङ्करात्मज सुराधिपवन्द्यपाद। दुर्गामहाव्रतफलाखिलमङ्गलात्मन् विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। सत्पद्मरागमणिवर्णशरीरकान्तिः श्रीसिद्धिबुद्धिपरिचर्चितकुङ्कुमश्रीः। दक्षस्तने वलियितातिमनोज्ञशुण्डो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। पाशाङ्कुशाब्जपरशूंश्च दधच्चतुर्भि- र्दोर्भिश्च शोणकुसुमस्रगुमाङ्गजातः। सिन्दूरशोभितललाटविधुप्रकाशो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। कार्येषु विघ्नचयभीतविरिञ्चिमुख्यैः संपूजितः सुरवरैरपि मोहकाद्यैः। सर्वेषु च प्रथममेव सुरेषु पूज्यो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। शीघ्राञ्चनस्खलनतुङ्गरवोर्ध्वकण्ठ- स्थूलेन्दुरुद्रगणहासितदेवसङ्घः। शूर्पश्रुतिश्च पृथुवर्त्तुलतुङ्गतुन्दो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। यज्ञोपवीतपदलम्भितनागराजो मासादिपुण्यददृशीकृत-ऋक्षराजः।…

Narad Puran (नारद पुराण)

Narad Puran (नारद पुराण)

नारद पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और प्राचीन पुराण है। यह पुराण देवर्षि नारद के नाम पर है, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और ब्रह्मांड के यात्रा करने वाले ऋषि माने जाते हैं। नारद पुराण में धर्म, भक्ति, संगीत, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई…

Markandya Puran (मार्कण्डेय पुराण)

Markandya Puran (मार्कण्डेय पुराण)

मार्कण्डेय पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख और अत्यंत महत्वपूर्ण पुराण है। इसका नाम ऋषि मार्कण्डेय के नाम पर रखा गया है, जो इस पुराण के प्रमुख ऋषि हैं। मार्कण्डेय पुराण में विभिन्न धार्मिक, नैतिक, और आध्यात्मिक विषयों का विस्तृत वर्णन है। इसमें देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) का भी उल्लेख है,…

Ling Puran (लिंग पुराण)

Ling Puran (लिंग पुराण)

लिंग पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। यह पुराण भगवान शिव और शिवलिंग की महिमा को समर्पित है। लिंग पुराण में शिवलिंग की उत्पत्ति, महत्व, पूजा विधियाँ, विभिन्न तीर्थ स्थलों का विवरण, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता…

Bhagwat Puran (भागवत पुराण)

Bhagwat Puran (भागवत पुराण)

भागवत पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पुराण है। इसे श्रीमद्भागवत या सिर्फ भागवत के नाम से भी जाना जाता है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके अवतारों, विशेषकर श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं का विस्तृत वर्णन करता है। भागवत पुराण में भक्तिभावना, धर्म, और ज्ञान का समृद्ध संगम…

Garuda Puran (गरुड़ पुराण)

Garuda Puran (गरुड़ पुराण)

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है। गरुड़ पुराण में मृत्यु, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्म, और मोक्ष के विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसे विशेष रूप से मृत्युकाल में सुनने और पढ़ने का महत्व बताया गया है, जिससे…

गणेश पंचाक्षर स्तोत्र

|| गणेश पंचाक्षर स्तोत्र || वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। अगजाननपद्मार्कं गजाननमहर्निशम्। अनेकदं तं भक्तानामेकदन्तमुपास्महे। गौरीसुपुत्राय गजाननाय गीर्वाणमुख्याय गिरीशजाय। ग्रहर्क्षपूज्याय गुणेश्वराय नमो गकाराय गणेश्वराय। नादस्वरूपाय निरङ्कुशाय नन्द्यप्रशस्ताय नृतिप्रियाय। नमत्सुरेशाय निरग्रजाय नमो णकाराय गणेश्वराय। वाणीविलासाय विनायकाय वेदान्तवेद्याय परात्पराय। समस्तविद्याऽऽशुवरप्रदाय नमो वकाराय गणेश्वराय। रवीन्दुभौमादिभिरर्चिताय रक्ताम्बरायेष्टवरप्रदाय। ऋद्धिप्रियायेन्द्रजयप्रदाय नमोऽस्तु रेफाय गणेश्वराय। यक्षाधिनाथाय यमान्तकाय यशस्विने चामितकीर्तिताय।…

वक्रतुंड स्तुति

|| वक्रतुंड स्तुति || सदा ब्रह्मभूतं विकारादिहीनं विकारादिभूतं महेशादिवन्द्यम् । अपारस्वरूपं स्वसंवेद्यमेकं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ अजं निर्विकल्पं कलाकालहीनं हृदिस्थं सदा साक्षिरूपं परेशम् । जनज्ञानकारं प्रकाशैर्विहीनं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ अनन्तस्वरूपं सदानन्दकन्दं प्रकाशस्वरूपं सदा सर्वगं तम् । अनादिं गुणादिं गुणाधारभूतं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ धरावायुतेजोमयं तोयभावं सदाकाशरूपं महाभूतसंस्थम् । अहङ्कारधारं तमोमात्रसंस्थं नमामः…

गजानन स्तोत्र

|| गजानन स्तोत्र || गणेश हेरम्ब गजाननेति महोदर स्वानुभवप्रकाशिन्। वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथ वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्ड स्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति। कवीश देवान्तकनाशकारिन् वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। महेशसूनो गजदैत्यशत्रो वरेण्यसूनो विकट त्रिनेत्र। परेश पृथ्वीधर एकदन्त वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। प्रमोद मेदेति नरान्तकारे षडूर्मिहन्तर्गजकर्ण ढुण्ढे। द्वन्द्वाग्निसिन्धो स्थिरभावकारिन् वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। विनायक ज्ञानविघातशत्रो पराशरस्यात्मज विष्णुपुत्र। अनादिपूज्याखुग सर्वपूज्य वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। वैरिञ्च्य…

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || एक समय राक्षसराज रावण कैलास पर्वत पर भक्तिभावपूर्वक भगवान शिव की आराधना कर रहा था। बहुत दिनों तक आराधना करने के बाद भी जब भगवान शिव उस पर प्रसन्न नहीं हुए, तब वह दूसरी विधि से तप-साधना करने लगा। उसने हिमालय पर्वत से दक्षिण की ओर सघन वृक्षों…

विघ्नराज स्तोत्र

|| विघ्नराज स्तोत्र || कपिल उवाच – नमस्ते विघ्नराजाय भक्तानां विघ्नहारिणे। अभक्तानां विशेषेण विघ्नकर्त्रे नमो नमः।। आकाशाय च भूतानां मनसे चामरेषु ते। बुद्ध्यैरिन्द्रियवर्गेषु विविधाय नमो नमः।। देहानां बिन्दुरूपाय मोहरूपाय देहिनाम्। तयोरभेदभावेषु बोधाय ते नमो नमः।। साङ्ख्याय वै विदेहानां संयोगानां निजात्मने। चतुर्णां पञ्चमायैव सर्वत्र ते नमो नमः।। नामरूपात्मकानां वै शक्तिरूपाय ते नमः। आत्मनां रवये तुभ्यं हेरम्बाय…

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || शिव पुराण के अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना से सम्बंधित कथा इस प्रकार है: प्रजापति दक्ष ने अपनी सभी सत्ताइस पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया, जिससे वे बहुत प्रसन्न हुए। चन्द्रमा को पत्नी के रूप में दक्ष…

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त अनेक हिरण्यगर्भ शिवलिंग हैं, जिनका बड़ा अद्भुत महातम्य है। इनमें से कई शिवलिंग चमत्कारी हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं तथा सिद्धपीठों में स्थापित हैं। इन्हीं सिद्धपीठों में से एक है श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर, जहां स्वयंभू हिरण्यगर्भ दूधेश्वर…

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में भीम नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र था, परंतु उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृत्यु के बाद हुआ था। उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम…

ऋणहर गणेश स्तोत्र

|| ऋणहर गणेश स्तोत्र || ॐ सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्। ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्।। सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। हिरण्यकश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु मे।। महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः। सदैव पार्वतीपुत्रो ऋणनाशं करोतु…

आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने पूछा, “हे पुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को गणेश जी की पूजा कैसे करनी चाहिए? आषाढ़ मास के गणपति देवता का क्या नाम है? उनके पूजन का क्या विधान है? कृपया आप मुझे बताइए।” गणेश जी ने कहा, “आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन कृष्णपिङ्गल नामक…

ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || सतयुग में एक पृथु नामक राजा हुए जिन्होंने सौ यज्ञ किए। उनके राज्य में दयादेव नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, जिनके चार पुत्र थे। पिता ने वैदिक विधि से अपने पुत्रों का विवाह कर दिया। उन चार बहुओं में सबसे बड़ी बहू अपनी सास से कहने…

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकटा चतुर्थी का पूजन किस गणेश का और किस विधि से करना चाहिए, और उस दिन क्या भोजन करना चाहिए? गणेश जी ने उत्तर दिया – हे माता! वैशाख कृष्ण चतुर्थी के…

विघ्नेश अष्टक स्तोत्र

|| विघ्नेश अष्टक स्तोत्र || विघ्नेश्वरं चतुर्बाहुं देवपूज्यं परात्परम्| गणेशं त्वां प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| लम्बोदरं गजेशानं विशालाक्षं सनातनम्| एकदन्तं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| आखुवाहनमव्यक्तं सर्वशास्त्रविशारदम्| वरप्रदं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| अभयं वरदं दोर्भ्यां दधानं मोदकप्रियम्| शैलजाजं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः| भक्तितुष्टं जगन्नाथं ध्यातृमोक्षप्रदं द्विपम्| शिवसूनुं प्रपन्नोऽहं विघ्नान् मे नाशयाऽऽशु भोः|…

गजमुख स्तुति

|| गजमुख स्तुति || विचक्षणमपि द्विषां भयकरं विभुं शङ्करं विनीतमजमव्ययं विधिमधीतशास्त्राशयम्। विभावसुमकिङ्करं जगदधीशमाशाम्बरं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। अनुत्तममनामयं प्रथितसर्वदेवाश्रयं विविक्तमजमक्षरं कलिनिबर्हणं कीर्तिदम्। विराट्पुरुषमक्षयं गुणनिधिं मृडानीसुतं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। अलौकिकवरप्रदं परकृपं जनैः सेवितं हिमाद्रितनयापतिप्रियसुरोत्तमं पावनम्। सदैव सुखवर्धकं सकलदुःखसन्तारकं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। कलानिधिमनत्ययं मुनिगतायनं सत्तमं शिवं श्रुतिरसं सदा श्रवणकीर्तनात्सौख्यदम्। सनातनमजल्पनं सितसुधांशुभालं भृशं गणप्रमुखमर्चये गजमुखं जगन्नायकम्। गणाधिपतिसंस्तुतिं निरपरां पठेद्यः…

गणाधिप पंचरत्न स्तोत्र

|| गणाधिप पंचरत्न स्तोत्र || अशेषकर्मसाक्षिणं महागणेशमीश्वरं सुरूपमादिसेवितं त्रिलोकसृष्टिकारणम्। गजासुरस्य वैरिणं परापवर्गसाधनं गुणेश्वरं गणञ्जयं नमाम्यहं गणाधिपम्। यशोवितानमक्षरं पतङ्गकान्तिमक्षयं सुसिद्धिदं सुरेश्वरं मनोहरं हृदिस्थितम्। मनोमयं महेश्वरं निधिप्रियं वरप्रदं गणप्रियं गणेश्वरं नमाम्यहं गणाधिपम्। नतेश्वरं नरेश्वरं नृतीश्वरं नृपेश्वरं तपस्विनं घटोदरं दयान्वितं सुधीश्वरम्। बृहद्भुजं बलप्रदं समस्तपापनाशनं गजाननं गुणप्रभुं नमाम्यहं गणाधिपम्। उमासुतं दिगम्बरं निरामयं जगन्मयं निरङ्कुशं वशीकरं पवित्ररूपमादिमम्। प्रमोददं महोत्कटं विनायकं…

Agni Puran (अग्नि पुराण)

Agni Puran (अग्नि पुराण)

अग्नि पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। इसे वैदिक साहित्य के हिस्से के रूप में माना जाता है और यह अग्निदेव के नाम पर आधारित है। यह पुराण कई धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। अग्नि पुराण का पाठ हर हिंदू के लिए अत्यंत…

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

|| श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा || दारूका एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर अहंकार में डूबी रहती थी। उसका पति दरुका महान बलशाली राक्षस था। उसने अनेक राक्षसों को अपने साथ मिलाकर समाज में आतंक फैला रखा था। वह यज्ञ और शुभ कर्मों को नष्ट करता और संत-महात्माओं…

गणपति पंचक स्तोत्र

|| गणपति पंचक स्तोत्र || गणेशमजरामरं प्रखरतीक्ष्णदंष्ट्रं सुरं बृहत्तनुमनामयं विविधलोकराजं परम्। शिवस्य सुतसत्तमं विकटवक्रतुण्डं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। कुमारगुरुमन्नदं ननु कृपासुवर्षाम्बुदं विनायकमकल्मषं सुरजनाऽऽनताङ्घ्रिद्वयम्। सुरप्रमदकारणं बुधवरं च भीमं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। गणाधिपतिमव्ययं स्मितमुखं जयन्तं वरं विचित्रसुममालिनं जलधराभनादं प्रियम्। महोत्कटमभीप्रदं सुमुखमेकदन्तं भृशं भजेऽन्वहमहं प्रभुं गणनुतं जगन्नायकम्। जगत्त्रितयसम्मतं भुवनभूतपं सर्वदं सरोजकुसुमासनं विनतभक्तमुक्तिप्रदम्। विभावसुसमप्रभं विमलवक्रतुण्डं भृशं…

ऋण मोचन गणेश स्तुति

|| ऋण मोचन गणेश स्तुति || रक्ताङ्गं रक्तवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं रक्तगन्धैः क्षीराब्धौ रत्नपीठे सुरतरुविमले रत्नसिंहासनस्थम्। दोर्भिः पाशाङ्कुशेष्टा- भयधरमतुलं चन्द्रमौलिं त्रिणेत्रं ध्याये्छान्त्यर्थमीशं गणपतिममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्। स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्। षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये। एकाक्षरं ह्येकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च नमामि ऋणमुक्तये। महागणपतिं देवं महासत्त्वं महाबलम्। महाविघ्नहरं शम्भोर्नमामि ऋणमुक्तये। कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्। कृष्णसर्पोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये। रक्ताम्बरं…

पंचश्लोकी गणेश पुराण

|| पंचश्लोकी गणेश पुराण || श्रीविघ्नेशपुराणसारमुदितं व्यासाय धात्रा पुरा तत्खण्डं प्रथमं महागणपतेश्चोपासनाख्यं यथा। संहर्तुं त्रिपुरं शिवेन गणपस्यादौ कृतं पूजनं कर्तुं सृष्टिमिमां स्तुतः स विधिना व्यासेन बुद्ध्याप्तये। सङ्कष्ट्याश्च विनायकस्य च मनोः स्थानस्य तीर्थस्य वै दूर्वाणां महिमेति भक्तिचरितं तत्पार्थिवस्यार्चनम्। तेभ्यो यैर्यदभीप्सितं गणपतिस्तत्तत्प्रतुष्टो ददौ ताः सर्वा न समर्थ एव कथितुं ब्रह्मा कुतो मानवः। क्रीडाकाण्डमथो वदे कृतयुगे श्वेतच्छविः काश्यपः…

गोपेश्वर महादेव की लीला कथा

|| गोपेश्वर महादेव की कथा || एक बार शरद पूर्णिमा की उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर मन्मथनाथ की वंशी बज उठी। श्रीकृष्ण ने छ: मास की एक रात बनाकर मन्मथ का मानमर्दन करने के लिए महारास किया था। जब महारास की गूंज सारी त्रिलोकी में फैल गई, तो हमारे भोले बाबा…

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्राचीन काल में सतयुग में मकरध्वज नामक एक राजा थे। वे प्रजा के पालन में बहुत प्रेमी थे। उनके राज्य में कोई निर्धन नहीं था। चारों वर्ण अपने-अपने धर्मों का पालन करते थे। प्रजा को चोर-डाकू आदि का भय नहीं था। सभी लोग स्वस्थ रहते थे। लोग…

राजा नल दमयंती कथा

|| राजा नल दमयंती कथा || महाभारत महाकाव्य में एक प्रसंग के अनुसार, नल और दमयन्ती की कथा महाराज युधिष्ठिर को सुनाई गई थी। युधिष्ठिर को जुए में सब कुछ हारने के बाद अपने भाइयों के साथ 12 वर्षों का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास सहना पड़ा। वनवास के दौरान, धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह…

गणनाथ स्तोत्र

|| गणनाथ स्तोत्र || प्रातः स्मरामि गणनाथमुखारविन्दं नेत्रत्रयं मदसुगन्धितगण्डयुग्मम्। शुण्डञ्च रत्नघटमण्डितमेकदन्तं ध्यानेन चिन्तितफलं वितरन्नमीक्ष्णम्। प्रातः स्मरामि गणनाथभुजानशेषा- नब्जादिभिर्विलसितान् लसिताङ्गदैश्च। उद्दण्डविघ्नपरिखण्डन- चण्डदण्डान् वाञ्छाधिकं प्रतिदिनं वरदानदक्षान्। प्रातः स्मरामि गणनाथविशालदेहं सिन्दूरपुञ्जपरिरञ्जित- कान्तिकान्तम्। मुक्ताफलैर्मणि- गणैर्लसितं समन्तात् श्लिष्टं मुदा दयितया किल सिद्धलक्ष्म्या। प्रातः स्तुवे गणपतिं गणराजराजं मोदप्रमोदसुमुखादि- गणैश्च जुष्टम्। शक्त्यष्टभिर्विलसितं नतलोकपालं भक्तार्तिभञ्जनपरं वरदं वरेण्यम्। प्रातः स्मरामि गणनायकनामरूपं लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तम्। सिद्धिप्रदं…