भारत माता आरती

॥ आरती ॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की । सिर पर हिम गिरिवर सोहै, चरण को रत्नाकर धोए, देवता गोदी में सोए, रहे आनंद, हुए न द्वन्द, समर्पित छंद, बोलो जय बुद्धिप्रदाता की, जगत के भाग्य विधाता की आरती भारत माता की, जगत के भाग्यविधाता की । जगत में लगती है…

गौमाता आरती

॥ आरती ॥ आरती श्री गैय्या मैंय्या की, आरती हरनि विश्‍व धैय्या की ॥ अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनि, अविचल अमल मुक्तिपददायिनि । सुर मानव सौभाग्य विधायिनि, प्यारी पूज्य नंद छैय्या की ॥ आरती श्री गैय्या मैंय्या की, आरती हरनि विश्‍व धैय्या की ॥ अख़िल विश्‍व प्रतिपालिनी माता, मधुर अमिय दुग्धान्न प्रदाता । रोग शोक संकट परित्राता,…

दत्ताची आरती

॥ आरती ॥ त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा । त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्य राणा । नेती नेती शब्द न ये अनुमाना ॥ सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना ॥ जय देव जय देव जय श्री गुरुद्त्ता । आरती ओवाळिता हरली भवचिंता ॥ सबाह्य अभ्यंतरी तू एक द्त्त । अभाग्यासी कैची कळेल हि मात ॥ पराही…

नरसिंह चालीसा

॥ दोहा ॥ मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार। शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार॥ धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम॥ ॥ चौपाई ॥ नरसिंह देव में सुमरों तोहि धन बल विद्या दान दे मोहि॥ जय-जय नरसिंह कृपाला करो सदा भक्तन प्रतिपाला॥ विष्णु…

शाकम्भरी माता चालीसा

॥ दोहा ॥ बन्दउ माँ शाकम्भरी चरणगुरु का धरकर ध्यान। शाकम्भरी माँ चालीसा का करे प्रख्यान॥ आनन्दमयी जगदम्बिका– अनन्त रूप भण्डार। माँ शाकम्भरी की कृपा बनी रहे हर बार॥ ॥ चौपाई ॥ शाकम्भरी माँ अति सुखकारी, पूर्ण ब्रह्म सदा दुःख हारी। कारण करण जगत की दाता, आनन्द चेतन विश्व विधाता। अमर जोत है मात तुम्हारी,…

वीरभद्र चालीसा

॥ दोहा॥ वन्दो वीरभद्र शरणों शीश नवाओ भ्रात । ऊठकर ब्रह्ममुहुर्त शुभ कर लो प्रभात॥ ज्ञानहीन तनु जान के भजहौंह शिव कुमार । ज्ञान ध्यानन देही मोही देहु भक्ति सुकुमार॥ ॥ चौपाई॥ जय जय शिव नन्दन जय जगवंदन। जय जय शिव पार्वती नन्दन॥ जय पार्वती प्राण दुलारे। जय जय भक्तन के दुखा टारे॥ कमल सदृश्य…

श्री परशुराम चालीसा

॥दोहा॥ श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि। सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥ बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार। बरणौं परशुराम सुयश, निज मति के अनुसार॥ ॥ चौपाई॥ जय प्रभु परशुराम सुख सागर, जय मुनीश गुण ज्ञान दिवाकर। भृगुकुल मुकुट बिकट रणधीरा, क्षत्रिय तेज मुख संत शरीरा। जमदग्नी सुत रेणुका जाया, तेज…

करणी माता चालीसा

॥दोहा॥ जय गणेश जय गज बदन, करण सुमंगल मूल। करहू कृपा निज दास पर, रहहू सदा अनूकूल॥ जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार। जगदम्बा करणी सुयश, वरणउ मति अनुसार ॥ ॥ चौपाई ॥ सूमिरौ जय जगदम्ब भवानी। महिमा अकथन जाय बखानी॥ नमो नमो मेहाई करणी। नमो नमो अम्बे दुःख हरणी॥ आदि शक्ति जगदम्बे माता। दुःख…

मेहर माता चालीसा

॥दोहा॥ मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज । माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥ ॥चौपाई ॥ जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी। रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता॥ दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारदा जग जाना। मैहर नगर विश्व विख्याता, जहाँ बैठी शारदा जग माता॥…

अंजनी माता चालीसा

॥ दोहा ॥ चैत्र सुदी वैसाख सुदी, जेष्ठ सुदी को जान। आसाढ़ श्रावण सुदी, चौदस को पहचान॥ भादुड़ा आसौज की, और कार्तिक की सुदी। सुदी मार्गशीर्ष और पौष की देती सबको बुद्धि ॥ फाल्गुन सुदी चतुर्दशी पूजे सब नरनार। अंजनी माता आपका कारज देसी सार॥ ॥ चौपाई ॥ रिमझिम रिमझिम मेहा बर्षे। मानो चन्दन फुहार…

श्री रामायण जी आरती

॥ आरती ॥ आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की ॥ गावत ब्रहमादिक मुनि नारद । बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥ शुक सनकादिक शेष अरु शारद । बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥ ॥ आरती श्री रामायण जी की..॥ गावत बेद पुरान अष्टदस । छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥ मुनि…

रावण आरती

॥ आरती ॥ आरती कीजे दशानन जी की। लंकापति श्री रावण जी की॥ जाके बल से त्रिलोक डरता । सुमिरो जो भूखा न मरता॥ कैकसी पुत्र महाबल दायी। बना दे जो पर्वत को रायी॥ संतो को सदा तुमने मारा। पृथ्वी का कुछ बोच उतारा॥ बहन की नाक का बदला लीन्हा। सीता को अगवा कर दीन्हा॥…

श्री शांतिनाथ जी की आरती

|| आरती || जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । मन वच तन से, तुमको वन्दु (२) जय अन्तरयामी प्रभु जय अन्तरयामी जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । गर्भ जनम जब हुआ आपका (२) तीन लोक हर्षे स्वामी तीन लोक हर्षे इन्द्र कियो अभिषेक…

श्री शान्तिनाथ चालीसा

|| दोहा || शान्तिनाथ महाराज का, चालीसा सुखकार। मोक्ष प्राप्ति के ही लिए, कहूँ सुनो चितधार। चालीसा चालीस दिन तक, कह चालीस बार। बढ़े जगत सम्पन, ‘सुमत’ अनुपम शुद्ध विचार। || चौपाई || शान्तिनाथ तुम शांतिनायक, पञ्चम चक्री जग सुखदायक। तुम्हीं सोलहवें हो तीर्थंकर, पूजें देव भूप सुर गणधर। पञ्चाचार गुणों के धारी, कर्म रहित…

श्री नारद मुनि देव आरती

Narad Muni Drawing

|| आरती || जय नारद मुनि देवा, जय नारद मुनि जी देवा, स्वामी जय नारद मुनि देवा, जय नारद मुनि जी देवा। ज्ञान की वीणा बजाएं, सुर नारद मुनि, भक्ति भाव से भरे, प्रेम की धूनी। विना वदना धारा चरण कमला, ध्यान लगाए भक्ति में प्यारा। जय नारद मुनि देवा, जय नारद मुनि जी देवा,…

श्री नारद मुनि चालीसा

Narad Muni Drawing

|| चौपाई || जय नारद मुनि, दिव्य ऋषि, तेरे नाम का जप हमारी भाषा। बुद्धि को बनाएं प्रकाशमय, प्रकाश के मार्ग पर हमको लाएं। ब्रह्मा के पुत्र, अद्वितीय सूचक, दिव्य दूत, एक स्वर्गीय सूचक। वीणा हाथ में, सुरमय मेलोदी, भक्ति में, हमारे हृदय की धूपी। नारायण भक्त, आकाश में विहार, बुद्धिमान सलाहकार, विचार। भक्ति का…

श्री जगन्नाथ आरती

|| आरती || चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः ॥ पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचनः जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः कम्बु पानि, चक्र पानि, पद्मनाभो, नरोतमः जग्दम्पा रथो व्यापी, सर्वव्यापी सुरेश्वराहा लोका राजो, देव राजः, चक्र भूपह स्कभूपतिहि निलाद्रिह बद्रीनाथशः, अनन्ता पुरुषोत्तमः ताकारसोधायोह, कल्पतरु, बिमला प्रीति बरदन्हा बलभद्रोह, बासुदेव, माधवो,…

श्री जगन्नाथ चालीसा

॥ दोहा॥ जय जगन्नाथ स्वामी जय बलभद्र संभाव। जय सुबद्रा ताई अग्या करैं सब काज॥ ॥ चालीसा॥ जय जगन्नाथ दयालु दया निधान। करुणा रस सिन्धु नयन अन्धकार।। कटकट धनुस विराजत शंखाधार। मुख में कमल नैनन में चकार।। कनकमय शीश नव चारु चंद्र भाला। नख सिखर छवि गंजित सोहे बाला।। अरुणांचल मुकुट श्रिया सोहत नूप। मुख…

श्री धन्वंतरि जी की आरती

|| आरती || जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। ||स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए। देवासुर के संकट आकर दूर किए।। ||स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया। सदा स्वस्थ रहने…

श्री धन्वंतरी चालीसा

II दोहा II करूं वंदना गुरू चरण रज, ह्रदय राखी श्री राम। मातृ पितृ चरण नमन करूँ, प्रभु कीर्ति करूँ बखान II तव कीर्ति आदि अनंत है , विष्णुअवतार भिषक महान। हृदय में आकर विराजिए, जय धन्वंतरि भगवान II II चौपाई II जय धनवंतरि जय रोगारी। सुनलो प्रभु तुम अरज हमारी II तुम्हारी महिमा सब…

ज्वाला देवी आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई । कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ॥ ॐ जय ज्वाला माई ………………… मैया जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई । कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ॥ ॐ जय ज्वाला माई ………………… अटल अखंड तेरी ज्योति, युग युग से ही…

ज्वाला देवी चालीसा

॥दोहा॥ शक्ति पीठ माँ ज्वालपा, धरूं तुम्हारा ध्यान। हृदय से सिमरन करूं, दो भक्ति वरदान॥ सुख वैभव सब दीजिए, बनूं तिहारा दास। दया दृष्टि करो भगवती, आपमें है विश्वास॥ ॥चौपाई॥ नमस्कार हे ज्वाला माता, दीन दुखी की भाग्य विधाता। ज्योति आपकी जगमग जागे, दर्शन कर अंधियारा भागे॥ नव दुर्गा है रूप तिहारा, चौदह भुवन में…

श्री ललिता माता आरती

॥ आरती ॥ श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः ॥ करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥ जय शरणं वरणं नमो नमः । श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ॥ अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी । खल-दल नाशिनी नमो नमः ॥ भण्डासुर वधकारिणी जय माँ । करुणा कलिते नमो नम: ॥…

श्री ललिता चालीसा

।। चौपाई ।। जयति जयति जय ललिते माता, तब गुण महिमा है विख्याता। तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी। तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी। मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी। आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा। हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट…

पितर जी आरती

।। आरती ।। जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़्यो हूं थारी । शरण पड़्यो हूम थारी बाबा, शरण पड़्यो हूं थारी ।। जय जय पितरजी महाराज…. आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे । मैं मूरख हूं कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे ।। जय जय पितरजी महाराज…. आप खड़े हैं…

पितर चालीसा

॥ दोहा ॥ हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ। सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी, हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी।॥ ॥ चौपाई॥ पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर। परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा। मातृ-पितृ…

कामाख्या देवी आरती

॥आरती॥ आरती कामाक्षा देवी की । जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती कामाक्षा देवी की………. गावत वेद पुरान कहानी । योनिरुप तुम हो महारानी ॥ सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी । लहे दरस सब सुख लेवी की ॥ आरती कामाक्षा देवी की……… दक्ष सुता जगदम्ब भवानी । सदा शंभु अर्धंग विराजिनी । सकल जगत् को…

कामाख्या देवी चालीसा

॥ दोहा॥ सुमिरन कामाख्या करुँ, सकल सिद्धि की खानि। होइ प्रसन्न सत करहु माँ, जो मैं कहौं बखानि॥ ॥चौपाई॥ जै जै कामाख्या महारानी। दात्री सब सुख सिद्धि भवानी॥ कामरुप है वास तुम्हारो। जहँ ते मन नहिं टरत है टारो॥ ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा। पुरवहु सदा भगत मन आसा॥ ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई। जो…

श्री गोपाल आरती

|| आरती || आरती बाल कृष्ण की कीजै । अपना जन्म सफल कर लीजै ॥ आरती बाल कृष्ण की कीजै… श्री यशोदा का परम दुलारा । बाबा के अँखियन का तारा ॥ आरती बाल कृष्ण की कीजै… गोपियन के प्राणन से प्यारा । इन पर प्राण न्योछावर कीजै ॥ आरती बाल कृष्ण की कीजै… बलदाऊ…

श्री रविदास जी की आरती

|| आरती || नामु तेरो आरती भजनु मुरारे । हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे ॥ नाम तेरा आसानी नाम तेरा उरसा । नाम तेरा केसरो ले छिटकारे ॥ नाम तेरा अंभुला नाम तेरा चंदनोघसि । जपे नाम ले तुझहि कउ चारे ॥ नाम तेरा दीवा नाम तेरो बाती । नाम तेरो तेल ले…

श्री यमुना जी की आरती

|| आरती || ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता । जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता ।। ॐ जय यमुना माता… पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा । जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा ।। ॐ जय यमुना माता… जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे । यम…

श्री महावीर जी की आरती

|| आरती || ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी । बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तप धारी ॥ ॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी । माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥…

श्री गिरिराज आरती

|| आरती || ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज । संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज ॥ ॐ जय जय जय गिरिराज… ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज । संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज ॥ ॐ जय जय जय गिरिराज… इन्द्रादिक सब…

श्री प्रेतराज सरकार आरती

|| आरती || जय प्रेतराज कृपालु मेरी, अरज अब सुन लीजिये | मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, नाथ दर्शन दीजिये | मैं करूं विनती आपसे अब, तुम दयामय चित धरो | चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो | सिर पर मोरमुकुट करमें धनुष, गलबीच मोतियन माल है | जो…

श्री वामन आरती

|| आरती || ॐ जय वामन देवा, हरि जय वामन देवा बलि राजा के द्वारे, बलि राजा के द्वारे सन्त करे सेवा, || ॐ जय वामन देवा…||  वामन रूप अनुपम छत्र दंड शोभा, हरि छत्र दंड शोभा तिलक भाल की मनोहर भक्तन मन मोहा || ॐ जय वामन देवा…||  आगम निगम पुराण बतावे, मुख मंडल…

श्री कल्कि आरती

|| आरती || ॐ जय जय सुर रक्षक असुर विनाशक, पद्मावत के प्यारे॥ जय जय श्री कल्कि भक्त हितकारी, दुष्टन मारन हारे॥ जय जय खड्गधारी जय असुरारी, गऊ विप्रन के रखवारे॥ क्षीर सागरवासी जय अविनाशी, भूमि भार उतारन हारे॥ अलख निरंजन भव भय भंजन, जय संभल सरकारे॥ भक्त जानो के पालनकर्ता, जय गउन रखवारे॥ जय…

श्री कल्कि चालीसा

॥दोहा॥ कल्कि कल्कि नाम बिनु, मिलता नहीं कल्याण। पूजो जपो भजो नित, श्री कल्कि का नाम॥ युगाचार्य कहते सुनो, इस धरती के लोग। कल्कि भगवत कृपा बिनु, नहीं छूटत भवरोग॥ ॥चोपाई॥ कल्कि नाम है जग उजियारा । भक्तजनों को अतिशय प्यारा॥ जो कल्कि का नाम पुकारे। उसको मिलते सभी सहारे॥ संकट हरे मिटे सब पीरा।…

श्री वामन चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री वामन शरण जो आयके, धरे विवेक का ध्यान । श्री वामन प्रभु ध्यान धर, देयो अभय वरदान ॥ संकट मुक्त निक राखियो, हे लक्ष्मीपति करतार । चरण शरण दे लीजिये, विष्णु बटुक अवतार ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय अमन बलबीरा। तीनो लोक तुम्ही रणधीरा॥ ब्राह्मण गुण रूप धरो जब।…

श्री प्रेतराज चालीसा

॥ दोहा ॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाय। प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।। जय जय भूताधिप प्रबल, हरण सकल दुःख भार। वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार।। ॥ चौपाई ॥ जय जय प्रेतराज जग पावन, महा प्रबल त्रय ताप नसावन। विकट वीर करुणा के सागर, भक्त कष्ट हर सब गुण आगर। रत्न…

श्री गिरिराज चालीसा

।। दोहा ।। बन्दहुँ वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्यान। महाशक्ति राधा, सहित कृष्ण करौ कल्याण। सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार। बरनौ श्रीगिरिराज यश, निज मति के अनुसार। ।। चौपाई ।। जय हो जय बंदित गिरिराजा, ब्रज मण्डल के श्री महाराजा। विष्णु रूप तुम हो अवतारी, सुन्दरता पै जग बलिहारी। स्वर्ण शिखर अति…

श्री महावीर चालीसा

।। दोहा ।। सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त। निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥ मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर। तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥ ।। चौपाई ।। जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर। शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम…

श्री गोपाल चालीसा

।। दोहा ।। श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल। वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।। ।। चौपाई ।। जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी। जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै। श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता। मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन…

श्री रविदास चालीसा

|| दोहा || बन्दौ वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान। मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास। ताते आयों शरण में, पुरवहुं जन की आस। || चौपाई || जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी। राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता।…

श्री यमुना चालीसा

॥ दोहा ॥ प्रियसंग क्रीड़ा करत नित, सुखनिधि वेद को सार। दरस परस ते पाप मिटे, श्रीकृष्ण प्राण आधार॥ यमुना पावन विमल सुजस, भक्तिसकल रस खानि। शेष महेश वदंन करत, महिमा न जाय बखानि॥ पूजित सुरासुर मुकुन्द प्रिया, सेवहि सकल नर-नार। प्रकटी मुक्ति हेतु जग, सेवहि उतरहि पार॥ बंदि चरण कर जोरी कहोँ, सुनियों मातु…

कूष्माण्डा माता व्रत कथा पूजा विधि

।। कूष्माण्डा व्रत कथा ।। कूष्माण्डा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है।…

श्री नवग्रह आरती

|| आरती || आरती श्री नवग्रहों की कीजै । बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै ॥ सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर । जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै ॥ रुप चंद्र शीतलता लायें । शांति स्नेह सरस रसु भीजै ॥ मंगल हरे अमंगल सारा । सौम्य सुधा रस अमृत पीजै ॥ बुद्ध सदा वैभव यश लीये ।…

श्री नवग्रह चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥ जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥ ॥ चौपाई ॥ ॥ श्री सूर्य स्तुति ॥ प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि…

श्री यमराज जी की आरती

|| आरती || धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी । पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी ॥ ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥ धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो । जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो ॥ अंत समय में सब ही…