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मंगल ग्रह की शांति के लिए कब है भौम प्रदोष व्रत? नोट करें सही तिथि, व्रत नियम और हनुमान जी का विशेष मंत्र

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क्या आपके जीवन में बार-बार बाधाएं आ रही हैं? क्या आप कर्ज (debt) और रोग से परेशान हैं? ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में माना जाता है कि इन समस्याओं के पीछे मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव हो सकता है। ऐसे में भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह व्रत भगवान शिव, माता पार्वती और हनुमान जी (Lord Hanuman) का आशीर्वाद दिलाकर मंगल ग्रह (Mars Planet) के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने का सबसे प्रभावी तरीका है। आइए, जानते हैं इस साल (2025) यह शुभ व्रत कब है, इसके नियम क्या हैं और कौन सा है वह चमत्कारी मंत्र (special mantra) जिससे आपको शीघ्र लाभ मिल सकता है।

सही तिथि – कब है भौम प्रदोष व्रत 2025? (Bhaum Pradosh Vrat Date 2025)

हर महीने की त्रयोदशी तिथि (Thirteenth day of the lunar fortnight) को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब यह तिथि मंगलवार (Tuesday) को पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। ‘भौम’ मंगल ग्रह का ही एक नाम है। वर्ष 2025 में, भौम प्रदोष व्रत एक से अधिक बार पड़ रहा है। मंगल ग्रह की विशेष शांति और कर्ज मुक्ति के लिए जो तिथियां अति शुभ हैं, उन्हें नोट करें।

क्यों रखा जाता है भौम प्रदोष व्रत? (Significance of Bhaum Pradosh Vrat)

भौम प्रदोष व्रत के दोहरे लाभ हैं। यह व्रत दो शक्तिशाली देवताओं को समर्पित है:

  • प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • चूंकि यह व्रत मंगलवार को पड़ता है, इसलिए यह मंगल ग्रह (Planet Mars) के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली है। मंगल ग्रह को बल, साहस, और ऊर्जा का कारक माना जाता है। वहीं, हनुमान जी को मंगल का देवता (Ruling Deity) माना जाता है।

मुख्य लाभ (Key Benefits)

  • यह व्रत कर्ज से छुटकारा पाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  • कुंडली में मंगल दोष या कमजोर मंगल की स्थिति में यह व्रत शुभ फल देता है।
  • यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाकर शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
  • हनुमान जी की कृपा से भय दूर होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

भौम प्रदोष व्रत के नियम (Vrat Niyam)

  • व्रती को पूरे दिन निराहार (without food) रहना चाहिए या केवल फलाहार (fruits and milk) ग्रहण करना चाहिए।
  • व्रत के एक दिन पहले और व्रत के दिन, तामसिक भोजन (non-vegetarian food, onion-garlic) का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।
  • इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और पूजा से पहले दो बार (सुबह और प्रदोष काल में) स्नान अवश्य करें।
  • मंगलवार के दिन लाल वस्त्र, गुड़ (jaggery), मसूर दाल या लाल फल का दान करना शुभ माना जाता है।

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Puja Method)

  • प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है। यह सूर्यास्त (Sunset) से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है।
  • पूजा स्थल को साफ करें और शिवलिंग (Shivling) स्थापित करें।
  • शिवलिंग पर गाय का दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक (Abhishek) करें।
  • इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद चंदन और सफेद पुष्प (white flowers) अर्पित करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • शिव पूजा के बाद हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  • उन्हें लाल फूल, सिंदूर, चमेली का तेल और बूंदी का भोग (prasad) लगाएं।
  • हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) या सुंदरकांड का पाठ करें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद शिव जी और हनुमान जी को भोग लगाएं और आरती करें। इसके बाद गरीबों को प्रसाद वितरित करें और फिर स्वयं पारण (breaking the fast) करें।

हनुमान जी का विशेष मंत्र (Special Mantra for Lord Hanuman)

भौम प्रदोष व्रत पर हनुमान जी का यह मंत्र जपने से मंगल ग्रह के सभी दोष शांत होते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। पूजा के दौरान इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें: “ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय, सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।”

(भावार्थ: हनुमान जी को नमस्कार, जो भगवान रुद्र के अवतार हैं, सभी शत्रुओं, सभी रोगों को नष्ट करने वाले हैं, सभी को वश में करने वाले हैं और श्री राम के दूत हैं।)

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