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Parshuram Jayanti 2025 – जाने भगवान परशुराम की जन्मकथा, पूजन विधि और महत्व

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भगवान परशुराम हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवतार माने जाते हैं। उन्हें विष्णु जी का छठा अवतार कहा जाता है, जो अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े हुए। परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2025) हर वर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 29 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

परशुराम जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जो धर्म, न्याय और शौर्य का प्रतीक है। भगवान परशुराम का जीवन हमें सिखाता है कि अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए और धर्म की रक्षा करनी चाहिए। इस दिन व्रत, पूजन और दान-पुण्य करने से भक्तों को पुण्य प्राप्त होता है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस लेख में हम परशुराम जयंती 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, भगवान परशुराम की जन्मकथा, पूजन विधि, व्रत नियम और इस पर्व के धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से जानेंगे।

परशुराम जयंती 2025 की तिथि व शुभ मुहूर्त

परशुराम जयंती 2025 – (29 अप्रैल, मंगलवार)
शुभ मुहूर्त- सुबह 06:12 से दोपहर 12:38 तक
तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अप्रैल 2025 को प्रातः 06:12 बजे
तृतीया तिथि समाप्त – 30 अप्रैल 2025 को प्रातः 05:56 बजे

भगवान परशुराम की जन्मकथा

भगवान परशुराम का जन्म भृगु वंशी ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम राम रखा गया था। उन्हें भगवान शिव से वरदानस्वरूप परशु (फरसा) प्राप्त हुआ, जिससे वे परशुराम कहलाए।

भगवान परशुराम के जीवन से जुड़े प्रमुख प्रसंग

  • कार्तवीर्य अर्जुन का वध – कार्तवीर्य अर्जुन नामक राजा ने छल से परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि का वध कर दिया। इससे क्रोधित होकर परशुराम जी ने समस्त क्षत्रियों का संहार कर अपनी माता के अपमान और पिता की हत्या का बदला लिया।
  • महर्षि कश्यप को दान – उन्होंने पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त कर महर्षि कश्यप को दान में दे दी और स्वयं महेंद्र पर्वत पर तपस्या में लीन हो गए।
  • शिवजी से परशु (फरसा) प्राप्ति – भगवान शिव ने प्रसन्न होकर परशुराम को दिव्य फरसा प्रदान किया और उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया।
  • भगवान राम से भेंट – जब भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ा, तब परशुराम जी अत्यंत क्रोधित हुए लेकिन जब उन्होंने श्रीराम का वास्तविक स्वरूप पहचाना, तो उन्हें अपना धनुष सौंप दिया।
  • महाभारत काल में योगदान – परशुराम ने महाभारत काल में भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र विद्या प्रदान की।

परशुराम जयंती की पूजन विधि

परशुराम जयंती के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और परशुराम जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत, उपवास और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।

  • सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजन स्थल पर भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • दीपक जलाकर भगवान परशुराम को पुष्प, चंदन, रोली, अक्षत अर्पित करें।
  • भगवान परशुराम के मंत्रों का जाप करें – “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, अतः पूजन में तुलसी दल अर्पित करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं, गरीबों को वस्त्र, अन्न और धन का दान करें।
  • परशुराम जन्म कथा और महिमा का पाठ करना शुभ माना जाता है।

परशुराम जयंती का महत्व

परशुराम जयंती केवल भगवान परशुराम के जन्मोत्सव का पर्व ही नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना और अन्याय के विनाश का प्रतीक भी है। इस दिन के महत्व को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदु ध्यान देने योग्य हैं:

  • अधर्म के विनाश का संदेश: परशुराम जी का जीवन सिखाता है कि अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए।
  • शस्त्र और शास्त्र दोनों की शक्ति: वे केवल योद्धा नहीं, बल्कि वेदों के ज्ञाता भी थे।
  • सनातन धर्म की रक्षा: उन्होंने सनातन संस्कृति और वेदों की रक्षा की।
  • दान-पुण्य का महत्व: इस दिन दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

FAQs – परशुराम जयंती 2025 से जुड़े प्रश्न

1. परशुराम जयंती 2025 कब मनाई जाएगी?
29 अप्रैल 2025, मंगलवार को।

2. परशुराम जयंती क्यों मनाई जाती है?
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी के जन्मोत्सव के रूप में।

3. परशुराम जयंती पर क्या करना चाहिए?
इस दिन व्रत रखें, परशुराम जी की पूजा करें, दान-पुण्य करें और उनकी कथा का पाठ करें।

4. परशुराम जी का मुख्य शस्त्र क्या था?
फरसा (परशु), जिसे भगवान शिव ने उन्हें प्रदान किया था।

5. क्या परशुराम जी आज भी जीवित हैं?
मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी चिरंजीवी (अमर) हैं और आज भी महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं।

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