Download HinduNidhi App
Misc

पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा

Pativrata Sati Mata Ansuiya Ki Katha

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

|| पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा ||

भगवान को अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है और वे इसके लिए नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। एक बार, श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत पर बहुत अभिमान हो गया।

यह अभिमान भंग करने और अपनी परम भक्त, पतिव्रता धर्मचारिणी अनसूया जी का मान बढ़ाने के लिए, भगवान ने नारद जी के मन में प्रेरणा डाली। नारद जी श्री लक्ष्मी जी के पास गए और उनसे सती अनसूया जी के बारे में बातें कीं। लक्ष्मी जी को आश्चर्य हुआ और उन्होंने पूछा कि क्या अनसूया उनसे भी बड़ी पतिव्रता हैं? नारद जी ने हाँ में उत्तर दिया।

इसी प्रकार नारद जी ने माता पार्वती और माता सरस्वती को भी सती अनसूया जी के बारे में बताया। तीनों देवियों ने त्रिदेवों से हठ करके उन्हें सती अनसूया जी के सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए मना लिया।

त्रिदेवों की परीक्षा

ब्रह्मा, विष्णु और महेश मुनि वेष में महर्षि अत्रि के आश्रम पर पहुंचे। उस समय महर्षि अत्रि आश्रम में नहीं थे। सती अनसूया ने उनका स्वागत-सत्कार किया, लेकिन त्रिदेवों ने भिक्षा तभी ग्रहण करने की शर्त रखी जब वे बिना वस्त्र के उनका आतिथ्य करें।

अनसूया जी ने ध्यान लगाकर सारा रहस्य समझ लिया और कहा कि यदि वे सच्ची पतिव्रता हैं और उन्होंने कभी पर-पुरुष का चिन्तन नहीं किया है, तो त्रिदेव छः-छः महीने के बच्चे बन जाएँ।

यह कहते ही त्रिदेव छः-छः महीने के बच्चे बन गए। अनसूया जी ने विवस्त्र होकर उन्हें अपना स्तनपान कराया और उन्हें पालने में खेलने के लिए डाल दिया।

त्रिदेवियों का आगमन और दत्तात्रेय जन्म

जब तीनों देवियाँ अपने पतियों को ढूंढते हुए चित्रकूट पहुंचीं, तो उन्हें नारद जी मिले जिन्होंने उन्हें बताया कि उनके पति आश्रम में बालक बनकर खेल रहे हैं।

त्रिदेवियों ने अनसूया जी से प्रवेश की अनुमति मांगी और अपना परिचय देकर क्षमा मांगी। अनसूया जी ने बच्चों पर जल छिड़ककर उन्हें उनका पूर्व रूप प्रदान किया और त्रिदेवों की पूजा की।

त्रिदेवों ने प्रसन्न होकर अपने-अपने अंशों से अनसूया जी के यहाँ पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। इस प्रकार त्रिदेवों के अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा PDF

Download पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा PDF

पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा PDF

Leave a Comment