Misc

रामानुज जयंती 2025 कब है? जानें पूजा विधि, इतिहास और व्रत कथा

MiscBhajan (भजन संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

सनातन संस्कृति में भक्ति और ज्ञान का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, और इस संगम के प्रतीक हैं महान संत और दार्शनिक श्री रामानुजाचार्य। उनकी जयंती, रामानुज जयंती, न केवल उनके अनुयायियों बल्कि समस्त वैष्णव समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें उनकी शिक्षाओं, उनके जीवन दर्शन और भक्ति मार्ग की गहराई में उतरने का अवसर देता है। तो आइए, इस लेख के माध्यम से जानें कि वर्ष 2025 में यह पावन तिथि कब आ रही है, इसकी पूजा विधि क्या है, और इस महान संत के जीवन की दिव्य गाथा क्या है।

वर्ष 2025 में कब मनेगी रामानुज जयंती?

रामानुज जयंती 2025 में 18 अप्रैल, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह तिथि तमिल पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है, जिसे श्री रामानुजाचार्य की जन्मतिथि के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस दिन, देशभर के वैष्णव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।

रामानुज: भक्ति और ज्ञान के अद्वितीय संगम

11वीं शताब्दी के महान दार्शनिक और समाज सुधारक श्री रामानुजाचार्य ने विशिष्टाद्वैत वेदांत के सिद्धांत को प्रतिपादित किया, जिसने भक्ति और ज्ञान के समन्वय पर जोर दिया। उनका मानना था कि भगवान विष्णु ही परम सत्य हैं और जीवात्मा उनका अंश है। उन्होंने जाति और वर्ग के बंधनों को तोड़कर सभी को भक्ति के मार्ग पर चलने का अधिकार दिया। उनके उपदेश आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।

रामानुज जयंती: पूजा विधि

रामानुज जयंती के दिन भक्तगण विशेष रूप से भगवान विष्णु और रामानुजाचार्य की पूजा करते हैं। इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और भगवान विष्णु और रामानुजाचार्य की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। व्रत रखने वाले भक्त इस दिन व्रत का संकल्प लेते हैं।
  • भगवान विष्णु और रामानुजाचार्य का आवाहन करें और उन्हें पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप और दीप अर्पित करें।
  • इस दिन विष्णु सहस्रनाम, रामानुजाष्टकम और अन्य भक्तिमय स्तोत्रों का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। रामानुजाचार्य के उपदेशों और शिक्षाओं पर आधारित भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
  • भगवान को फल, मिठाई और तुलसी दल सहित भोग अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु और रामानुजाचार्य की आरती करें।
  • पूजा के अंत में सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  • कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और अगले दिन द्वादशी तिथि को भोजन ग्रहण करते हैं।

रामानुज जयंती – एक दिव्य गाथा

रामानुजाचार्य का जीवन त्याग, तपस्या और भक्ति से परिपूर्ण था। उनका जन्म तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में हुआ था। बचपन से ही उनकी बुद्धि अत्यंत प्रखर थी और उन्होंने वेदों और उपनिषदों का गहन अध्ययन किया था। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, उनके गुरु यादव प्रकाश ने उन्हें एक बार उपनिषद के एक श्लोक की गलत व्याख्या की। रामानुजाचार्य ने विनम्रतापूर्वक गुरु की त्रुटि को सुधारा, जिससे गुरु उनकी विद्वता से चकित रह गए।

रामानुजाचार्य ने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण कर अपने विशिष्टाद्वैत दर्शन का प्रचार किया। उन्होंने कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया और भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी। उन्होंने सभी जातियों के लोगों को समान रूप से भगवान की भक्ति करने का अधिकार दिलाया, जो उस समय के सामाजिक परिवेश में एक क्रांतिकारी कदम था।

उनकी सबसे महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से एक यह है कि भगवान तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग प्रेम और भक्ति है। उन्होंने ‘ओम नमो नारायणाय’ मंत्र के महत्व को जन-जन तक पहुंचाया। रामानुजाचार्य ने श्रीभाष्य, वेदांतसार, वेदांतदीप और गद्यत्रय जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जो आज भी उनके दर्शन को समझने में सहायक हैं। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी हमें सत्य, प्रेम और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

रामानुज जयंती हमें एक ऐसे महान संत के जीवन और शिक्षाओं का स्मरण कराती है जिन्होंने भक्ति के माध्यम से सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। इस पावन अवसर पर, आइए हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें और भक्ति और ज्ञान के इस दिव्य संगम को नमन करें।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Join WhatsApp Channel Download App