शनि त्रयोदशी (Shani Trayodashi) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायी तिथि है। जब त्रयोदशी तिथि शनिवार के दिन पड़ती है, तो इसे ‘शनि त्रयोदशी’ या ‘शनि प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव (Lord Shiva), माता पार्वती और न्याय के देवता शनि देव (Lord Shani) की संयुक्त कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। 2025 में, यह शुभ संयोग कई बार बन रहा है, जिससे भक्तों के लिए शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ फल प्राप्त करने का यह एक अद्भुत मौका है।
शनि त्रयोदशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Shani Trayodashi 2025 Date and Auspicious Time)
वर्ष 2025 में शनि त्रयोदशी का संयोग निम्न तिथियों पर बन रहा है, जिनमें से अक्टूबर की तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं:
- 04 अक्टूबर 2025 शनिवार आश्विन, शुक्ल पक्ष आश्विन
- 18 अक्टूबर 2025 शनिवार कार्तिक, कृष्ण पक्ष कार्तिक
शनि त्रयोदशी की पूजा संध्याकाल (Sunset time) में, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, करना सबसे शुभ माना जाता है। इस काल में भगवान शिव और शनि देव दोनों प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और भक्तों की प्रार्थना स्वीकार करते हैं।
शनि त्रयोदशी का विशेष महत्व (Special Significance of Shani Trayodashi)
शनि त्रयोदशी का महत्व दो शक्तिशाली तत्वों के संयोजन के कारण बढ़ जाता है: त्रयोदशी (प्रदोष) जो भगवान शिव को समर्पित है, और शनिवार जो शनि देव का दिन है।
- शनि दोष से मुक्ति – जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती (Sade Sati), ढैया (Dhaiya), या महादशा (Mahadasha) चल रही है, उनके लिए यह दिन वरदान से कम नहीं है। इस दिन सच्चे मन से शनि देव की पूजा करने से उनके कष्टों में कमी आती है और नकारात्मक प्रभाव शांत होते हैं। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, और वे आपके कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसलिए इस दिन किए गए अच्छे कर्म तुरंत शुभ फल देते हैं।
- कर्ज और दरिद्रता का नाश – इस दिन भगवान शिव और शनि देव का अभिषेक करने से व्यक्ति को गंभीर आर्थिक संकट (Financial crisis) और कर्ज से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि यह व्रत दरिद्रता को दूर कर जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
- दीर्घायु और संतान सुख – चूंकि यह प्रदोष व्रत भी है, इसलिए यह व्रत लंबी उम्र (Longevity) और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। साथ ही, संतान सुख (Child happiness) की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए भी यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
- कर्मों का शुद्धिकरण (Karmic Purification) – शनि देव कर्मफल दाता हैं। यह दिन अपने पिछले बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने और भविष्य में अच्छे कर्म करने का संकल्प लेने का दिन होता है। यह एक प्रकार से आत्म-सुधार (Self-improvement) और आध्यात्मिक अनुशासन (Spiritual discipline) का प्रतीक है।
शनि त्रयोदशी पूजन विधि (Shani Trayodashi Puja Rituals)
शनि त्रयोदशी के दिन पूजा विधि को भक्ति और अनुशासन के साथ करने से अधिकतम लाभ मिलता है।
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ, विशेषकर नीले या काले रंग के वस्त्र धारण करें (यदि संभव हो)।
- हाथ में जल लेकर “मैं (अपना नाम) शनि देव और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शनि त्रयोदशी का व्रत कर रहा/रही हूँ” कहकर संकल्प लें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान शिव, माता पार्वती और शनि देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- शनि देव की मूर्ति या शिवलिंग पर सरसों का तेल (Mustard Oil) अर्पित करें। ध्यान रहे, शनि की मूर्ति को सीधे स्पर्श करने से बचें।
- काले तिल, उड़द दाल, लोहा और काले वस्त्र अर्पित करें। नीले या काले रंग के फूल (Blue or Black flowers) चढ़ाएं। दीपक जलाएं (सरसों के तेल का)।
- निम्न मंत्रों का 108 बार जाप करें: ॐ शं शनैश्चराय नमः, ॐ नमः शिवाय
- शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और जल चढ़ाएं। माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री (Shringar items) अर्पित करें।
- शाम को प्रदोष काल (सूर्यास्त के ठीक बाद का समय) में पुनः स्नान करें और पूजा करें। किसी पीपल के पेड़ (Peepal Tree) के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें। पूजा के बाद प्रसाद (मीठा भोजन, जैसे खीर) गरीबों में वितरित करें।
- शाम की पूजा और दान के बाद व्रत खोलें। अन्न-जल ग्रहण कर सकते हैं।
शनि त्रयोदशी पर किए जाने वाले विशेष उपाय (Special Remedies on Shani Trayodashi)
शनि त्रयोदशी पर कुछ विशेष उपाय करने से शनि की क्रूर दृष्टि से बचा जा सकता है:
- इस दिन काले रंग की वस्तुओं का दान सबसे उत्तम माना जाता है। किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को काले कम्बल, जूते, छाता, काले तिल, सरसों का तेल या लोहे के बर्तन दान करें।
- हनुमान जी की पूजा करने वालों पर शनि देव की कुदृष्टि नहीं पड़ती। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
- संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं और ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए 7 या 11 बार परिक्रमा करें।
- दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि की पीड़ा में तत्काल राहत (Immediate relief) मिलती है।
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