शिव महापुराण में भगवान बोलेनाथ के निराकर और साकार रूप का सचित्र वर्णन है। भगवान शिव ही आदिदेव है, भगवान शिव से ही सकल ब्रम्हांड उत्पन्न और लीन हो रहे है। यह पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है।
शिव महापुरण में कुल 6 अध्याय हैं जोकि इस प्रकार है- विद्येश्वर,रुद्र, शत्रुद्र, कोटिरुद्र, उमा और कैलाश संहिता हैं. इसके अलावा अन्य मत में शिव पुराण में कुल सात अध्याय बताए गए हैं। इसमें वायु संहिता को अतिरिक्त अध्याय बताया गया है। शिव पुराण और शिव महापुराण दोनों ही भगवान शिव से जुड़े ग्रंथ हैं। शिव पुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, और भक्तों का ज़िक्र है। वहीं, शिव महापुराण में भगवान शिव की महिमा और भक्ति का विस्तार से वर्णन है।