Durga Ji

श्री चंडी चालीसा

Shri Chandi Chalisa Hindi Lyrics

Durga JiChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
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श्री चंडी चालीसा देवी दुर्गा को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है। इस चालीसा में 40 छंद हैं जो माता रानी की महिमा, उनके विभिन्न रूपों और उनके द्वारा किए गए चमत्कारों का गुणगान करते हैं। इसका पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे भय, रोग और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। चालीसा का नियमित पाठ मन को शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है, और जीवन में सफलता, समृद्धि और शक्ति लाता है। यह चालीसा भक्ति और आस्था का प्रतीक है, जो हर भक्त को देवी के करीब ले जाती है।

|| श्री चंडी चालीसा (Chandi Devi Chalisa PDF) ||

।। दोहा ।।

दुर्गे! दुर्गतिनाशिनी,
वासिनी गिरिकैलास!
मंदहास ! मृदुभाषिणी!,
माॅं! काटौ यमपाश!

।। चौपाई ।।

जयति! अंबिका! जयति! भवानी!
शिवा ! सांभवी! भवा! मृडानी!!

विन्ध्यनिवासिनि! हिमगिरि-गेहा!
वपु विराट अति सूक्ष्म सुदेहा!

तुंग शृंग अयि!गब्बरवासी!
शिव-पत्नी! मख दक्ष विनाशी!!

सती! जया! कोहला-नग-वासी! !
सकलशब्दमयि!आनंदराशी!!

हिंगलाज!भगवति! जयदाई !
असुरनिकंदनि! अभयप्रदाई!

जपाकुसुम-कर! जय कौमारी!
पूजित सुर हरि अज, त्रिपुरारी!

विघ्ननिवारिणि! भव भय हारिणि!
दैत्य विदारिणि! रिपुदलमारिणि!

विश्वविमोहिनि! दुर्गतिहारी!
कालविभंजनि! शरणतिहारी!

कात्यायनि! कुशमांडा गौरी!
शशिघंटा गिरिराजकिशोरी!

कालरात्रि! ब्रह्मचारिणि बाला!
सिद्धिदात्रि! धात्रि जगपाला!

स्कंदजननि! गणनायक माता !
भव भय भंजनि! सुर मुनि त्राता!

बीसभुजी! वाणी! ब्रह्माणी!
कवि कल्याणी! पुस्तकपाणी!

स्वर सुर शब्द भाव शुचि दाता!
शारद शुभ्र वसन अवदाता!

खप्पर धारिणि! आभ कपाली!
सुर संतन भक्तन प्रतिपाली!

मुंडमालिनी! डाक-डमाली!
भद्रकालिका ! तारा!काली!

कमलाक्षी!दारिद्र्यप्रजारी !
यश-वैभव-धनदा! अघहारी!

विमले! रक्तकमल- वर-पाणी!
पद्मनाभ- प्रिय! जनकल्याणी!

शून्य शिखर में अंब! विराजै!
गड़ड़ गड़ड़ घन नौबत गाजै!

तडित विनन्दित रूप मनोहर!
ज्योति पुंज!जग-तम-हर सुंदर!!

सकल चराचर देखनहारै!
सूर्य चंद्र दो नैन तिहारै!!

आदि शक्ति जयदायिनि ज्वाला!
कुमकुम सिंदुर रेख कपाला!

शिशु-शशि-स्वर्ण मुकुट पर सोहे!
स्मित मुख मंद मंद मन मोहे!

कुंडल मकराकृतशुभ कर्णा!
रत्न जटित गलहार सुवर्णा!

खडग शूल शर चाप कटारी!
जगद्धोधरण धरे महतारी!

नेत्र, लाल विकराल! कराली!
चामुंडा! चंडी! करवाली!

भैरवि! असुर भयावनि! माया!
तप्तस्वर्णआभा सुरराया!

युगल चरण अरविंद तुम्हारै!
सेवत सुर मुनि भये सुखारै!

जगदंबे! त्रिकुटाचलवासी!
परमेश्वरी!विराजिनि काशी!

अनपुरणा! अन धन यश दाता!
ऋषि मुनि भजै तुम्है दिन राता !

वरमुद्राधारी! रूद्राणी!
सुधा सहोदरी-कमला-रानी!

संकट विकट समय जब ध्याई!
सपदि सिंह चढ रही सहाई!

चंड मुंड महिषासुरमारै!
रक्त बीज शक्ति संहारै!

धूम्रविलोचन भृकृटि विलासा!
दुर्गा-पाप पुंज-तम-नाशा!

भक्त-कल्पलतिके! वरदाई!
नवदुर्गे! दशविद्ये! माई!

अष्ठ सिद्धि! नवनिद्धि प्रदाई!
अस कहि कविजन कीरत गाई!

महिमा अमित! चरित सुखकारी!
गावत जन जावत बलिहारी!

सकल जगत तुम्हरौ जस छायौ!
मार्कंडेय मुनि किंचित गायौ!

ऋषि कोविद कवि पंडित ज्ञानी!
नेति नेति कहि! तोही!बखानी!!

मोह निशा ने मम मन घेरो!
सत्वर करियै मात सवैरौ!

कवि नरपत पर किरपा कीजै!
निज चरणन चाकर रख लीजै!

।। दोहा ।।

गणपति षणमुख शिव सहित,
करन सुमंगल मूल!
रहौ विराजित ह्रदय में,
शिवा!चढी शार्दूल!!

|| श्री चंडी चालीसा का पाठ करने की विधि ||

श्री चंडी चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ सरल नियमों का पालन करना लाभकारी होता है:

  • सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को भी स्वच्छ रखें।
  • पाठ शुरू करने से पहले मन में अपनी मनोकामना का संकल्प लें।
  • माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें। एक दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • शांत मन से चालीसा का पाठ करें। आप सुबह और शाम दोनों समय इसका पाठ कर सकते हैं।
  • पाठ करते समय हर शब्द पर ध्यान केंद्रित करें और माता के स्वरूप का ध्यान करें।
  • पाठ समाप्त होने पर माता से अपनी गलती की माफी मांगें और उन्हें धन्यवाद दें।

|| श्री चंडी चालीसा पाठ के लाभ ||

श्री चंडी चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:

  • यह चालीसा सभी प्रकार के भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
  • नियमित पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
  • जीवन में आने वाली सभी रुकावटों और समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
  • माता दुर्गा की कृपा से धन, समृद्धि और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • यह मन को शांति और स्थिरता प्रदान करती है, जिससे तनाव कम होता है।
  • चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह स्वयं को सशक्त महसूस करता है।

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