|| श्री गरुड़ देव आरती PDF ||
ॐ जय गरुड़ देवा, प्रभु जय गरुड़ देवा।
विष्णु वाहन सुखकारी, निज भक्तन सेवा॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
पंख विशाल तिहारे, वेग अतिशय भारी।
सुर-असुर सब कांपत, देख गति तुम्हारी॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
अमृत कुंभ लाये, देवों को सुख दीन्हा।
नागों का मद उतारा, पाताल में कीन्हा॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
कश्यप ऋषि के नंदन, विनता के प्यारे।
दुष्टों को संहारे, भक्तन के सहारे॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
पीतांबर धारी, पीत मुकुट शोभा।
कमंडल हाथ सोहत, मन को अति मोहा॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
गरुड़ पुराण रच्यो, ज्ञान की धारा।
मोक्ष मार्ग दिखलाओ, भव सिंधु पारा॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
जो नर आरती गावे, श्रद्धा मन लाये।
गरुड़ कृपा से तर जाए, भव बंधन जाए॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
यह आरती पूर्ण करे, सब कष्ट हरे।
सुख-संपत्ति बढ़े घर, भक्ति से भरे॥
ॐ जय गरुड़ देवा…
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